आपको बहू नहीं चलता फिरता रोबोट चाहिए जो सारा दिन आप लोगों की सेवा करता रहे और आप लोग आर्डर देते रहे।अब मुझसे ना हो पाएगा। मैं भी इंसान हूं मुझे भी तकलीफ़ होती है, दर्द होता है। क्या मैं थकती नहीं हूं।एक सांस में इतना बोलते हुए निम्मी फफक-फफकर रोने लगी।
इतना शोर सुनकर घर के सारे सदस्य निम्मी के कमरे के बाहर आंगन में इकट्ठे होकर एक-दूसरे को प्रश्न भरी दृष्टि से देखते हुए इशारे में पूछने लगे क्या हुआ भाई आज से पहले जिसकी आवाज कमरे के बाहर नहीं आईं आज वही निम्मी इतना क्यों चीख रही है। निम्मी की शादी को सत्ताईस साल हो गये।
जब से वह ब्याह कर इस घर में आई तभी से घर के हर एक सदस्य की जरूरतों का ख्याल रखतीं मायके में इकलौती बेटी छोटा परिवार। ससुराल का बड़ा परिवार और उसपर छोटी ननद रानी ससुराल कभी जाने का नाम ही नहीं लेती उनके साथ ननदोई जी भी ससुराल में आराम की जिंदगी जी रहे थे न उन्हें खानें की चिंता न कमाने की बस हुक्म चलाना ही तो था।
और उसपर उनके दो छोटे-छोटे बच्चे और तीसरा आने वाला। निम्मी सुबह पांच बजे से उठती जैसे ही उसके जागने की आवाज आती देवर कह उठते भाभी चाय पिला दो ससुर जी कहते जाय नहीं मिलेगी क्या इस तरह से सबकी मांगे शुरू हो जाती।वह सबके बिस्तर तक चाय लेकर जाती। फिर जल्दी से नाश्ता तैयार करती।
और स्कूल के लिए निकल जाती। अपने हाथ खर्चें के लिए उसने प्राइवेट स्कूल ज्वाइन कर लिया था।दो बजे जब स्कूल से आती तो।सासू मां के ताने शुरू हो जाते निम्मी को देखते ही वह कहती चलो अब खाना बनाए बहूं रानी तो नौकरी से आई है वह तो आराम करेगी। उनके ऐसे तानों से जैसे खून खौलने लगता फिर भी ख़ामोश रहती।
धीरे-धीरे समय बीतता गया निम्मी के एक के बाद एक दो बेटियां हो गई सासू मां के तो जैसे तानों की बौछार होने लगी वह सीधे निम्मी से न कहकर अक्सर पड़ौसियो से ही कहती थी निम्मी ने भी अपने कानों से सुना एक दिन सासू मां उसके साथ स्कूल में पढ़ाने वाली वर्षा मैम से बोल रही थी इतना पैसा खर्च हुआ और बेटी हुई।
निम्मी खून का घूंट पीकर रह जाती जवाब देना उसे आया ही नहीं बस घुट-घुटकर जीती। किसी से झगड़ कर वह करती भी क्या उसके पति का ढ़ंग का कोई काम नहीं था। और मायके में मां के अलावा किसी को कोई मतलब नहीं था पापा का स्वभाव तो शुरू से ही कम बोलने का था भाई-भाभी भी अपने आप में ही रहते थे इतने सालों में उसके भाई कभी भी राखी बंधवाने नहीं आएं
मायके भी वह मां के फोन करने पर अपने पति के साथ जाती थी। इसलिए वह मायके जाकर मां और भाभी के बीच कोई झगड़ा नहीं करवाना चाहती थी। इसलिए ख़ामोश रहकर सबकी बातें सुनकर रह जाती।एक दिन तो हद हो गई जब उसके देवर ने उससे बोला क्या भाभी आपकी मशीन कैसी है मुझे एक भतीजा नहीं दे सकती।
निम्मी तो जैसे खून के आंसू पीकर रह गई उसका दिल उस दिन बहुत रोया था। लेकिन वह अपने कान्हा पर विश्वास करती थी अपना दुख प्रभु के सामने ही व्यक्त करती औरों के सामने मुस्कुराकर रह जाती। अब वह पचास की उम्र पार कर चुकी थी लेकिन अपने बच्चों की खातिर उसने स्कूल जाना बंद नहीं किया लेकिन उम्र बढ़ने के साथ बीमारियों ने भी घेरना शुरू कर दिया था
तीन महीने से उसके दाहिने पैर में साइटिका का दर्द था दर्द बढ़ता ही जा रहा था। बेटियां पढ़ाई के चलते बाहर थी।बेटा उसके साथ था काम उतना ही ससुर की उम्र 83 साल उनका तो वहीं हाल हर चीज उनको हाथों में चाहिए आर्थिक स्थिति में कोई सुधार ना था।आज जैसे ही वह स्कूल से आई उसका पैर के दर्द के मारे बुरा हाल था।
वह कपड़े बदल कर कुछ देर आराम करने वाली थी कि उसके पति ने फरमाइश की यार आज सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा है थोड़ा दबा दो दूसरी तरफ से उसके ससुर ने आवाज दी बहू आ गई क्या बहुत देर से चाय की तलफ लगी है एक कप चाय बना दो बस इतना सब सुननें के बाद आज उसके सब्र का बांध टूट गया बह अपने पति से ही चिल्ला उठी थी।
निमीषा गोस्वामी