रोटी : खुशी : Moral Stories in Hindi

सुधाकर सिंहा एक सरकारी दफ्तर में काम करते थे।पत्नी नीला वो एक गृहणी थी दो बेटे थे रमन और नमन हसी खुशी गृहस्थी चल रही हैं बच्चे भी संस्कारी देखते मां बापूजी कैसे पैसे बचा कर उन्हें पढ़ा रहे हैं।सुधाकर जी ने अपनी नौकरी में ही जमीन लेकर घर बनवा लिया था।नीचे ड्राइंग रूम एक बेड रूम किचेन और अम्मा बाबा का कमरा जो उनके ना होने पर बच्चे इस्तेमाल करते।

ऊपर भी दो बड़े कमरे और खूबसूरत बरामदा था ।नीचे आंगन में पेड़ पौधे भी लगवाए उन्होंने अपनी मेहनत से अपना सपनो का घर बना लिया।नीला जी भी खाली ना बैठती कभी किसी के कपड़े सिल देती कभी क्रोशिया तो कभी आचार पापड़ बना देती जिससे उनकी भी कुछ कमाई हो जाती और वो पैसा वो बच्चों पर ही लगाती और कुछ बचा कर रखती।

उनके पड़ोसी श्यामलाल जी हमेशा कहते भाभी आप इतना अच्छा अचार पापड़ बनाते हो अपना एक लघु उद्योग खोल लो सरकार ही पैसा देगी और आपका सामान भी खरीदेगी।पर नीला और सुधाकर कहते नहीं भाईजी जो है वो ठीक है।साल बीते सुधाकर जी ने नौकरी में रहते हुए ही घर का लोन चुका दिया था बच्चे भी पढ़ लिख गए बड़ा बेटा बैंक में लग गया और छोटा रोबोटिक एनालिसिस के लिए

अमेरिका जाना चाहता था पर सुधाकर जी ने कहा।बेटा यही पढ़ो मेरे पास इतना पैसा नहीं की मैं तुम्हे।अमेरिका भेज सकूं।नमन यही पढ़ा पर उसके मन में ये बात आ गई कि पापा ने मुझे अमेरिका नहीं भेजा चाहते तो पीएफ का पैसा निकाल कर भेज सकते थे।अब रमन के लिए लड़कियां देखनी शुरू की गई और रमन के चाचाजी ने अपने जानकार मनोहर जी की बेटी रिया का रिश्ता रमन के लिए सुझाया ।

रिया बीएड थी और शादी से पहले स्कूल में नौकरी कर रही थीं।शादी के बाद नौकरी उसका जाति फैसला था करना चाहे तो करे नहीं तो नहीं ।सभी रस्में अच्छे से हो गई और बहु घर आ गई। ऊपर का पोर्शन बहुओं के लिए रेडी करवा दिया था।सुधाकर जी ने पूछा था कि एक रसोई भी निकलवाए पर नीला और बेटों ने मना कर दिया।

बहु आई 4 दिन में मेहमान चले गए अब बस 5 लोग ही घर में थे।नीला ने रमन से कहा बहु और तुम घूमने जाना चाहते हो तो हो आओ फिर एक बार दफ्तर में जाने लगे तो समय नहीं मिलेगा ।अगले दिन रमन और रिया घूमने चले गए।रिया हनीमून पर बोली रमन आपने खुद कही जाने का प्लान नहीं बनाया ये भी आपको आपकी मां बताती हैं।

रमन बोला ऐसा नहीं है मैने तो पहले ही कुल्लू की टिकट्स करवा ली थी मां ने तो वैसे ही कह दिया था।10 दिन घूम फिर कर रमन और रिया वापस आ गए।रमन ने ऑफिस ज्वाइन कर लिया और उसी समय नमन को भी बड़ी अच्छी कंपनी में नौकरी लग गई  और लाइफ स्मूद चलने लगी।एक दिन सुबह घर का काम निपटा दोनो सास बहु बैठी थीं तब नीला बोली बहु अगर बुरा ना मानो तो एक बात कहूं तुम पढ़ी लिखी हो

घर में बैठने की जगह तुम जॉब कर सकती हो।रिया बोली क्यों आपको मेरे बैठने से परेशानी होती हैं। आप और पापा भी तो घर पर बैठे रहते है।नीला उसको देखती रह गई कि यह क्या जवाब दे गई। शाम को जब रमन घर आया तो नीला खाना बना रही थी और रिया अपने कमरे में बैठी थीं  रमन ने पूछा क्या हुआ तुम यहां बैठी हो मां खाना बना रही है।

रिया चिल्लाने लगीं आते ही मेरी शिकायत कर दी ।राजन बोला मां ने तो कुछ नहीं कहा क्या नहीं कहा रिया बोली में घर में रहती हूँ उन्हें अच्छा नहीं लगता ।रमन बोला ऐसा नहीं है तुम पढ़ी लिखी हो इसलिए मां ने बोल दिया होगा गुस्सा मत करो राजन समझा बुझा कर रिया को बाहर लाया तब तक खाना बन चुका था और सबने शांति से खाना खाया ।

रिया का मूड अच्छा करने के लिए रमन उसे आइस्क्रीम खिलाने ले गया।नीला  ने रसोई समेट ली और सुधाकर जी के लिए दूध लेकर कमरे में आई सुधाकर बोले नीला कुछ काम बहु को भी करने दो।

तभी घंटी बजी रमन और रिया आ गए।सुधाकर जी ने दरवाजा खोला रिया अपने कमरे में चली गई और रमन नीला के पास आ कर बोला मां आपको क्या परेशानी है आप क्यों पीछे पड़ी हैं रिया के उसका घर में रहना आपको सुहाता नहीं क्या।नीला बोली बेटा मैने तो ऐसे ही कहा था।रमन के जाने के बाद सुधाकर बोले काम करे ना करे उनकी मर्जी तुम कुछ नहीं कहोगी।

इधर नमन के लिए भी रिश्ते आने लगे उसके लिए एक बैंक में काम करने वाली लड़की अदिति को पसंद किया गया।अदिति थोड़ी मॉर्डन थी सबने कहा जॉब करती है इसलिए शादी हो गई अदिति अमीर घर से थी उसके आने से पहले ही उसका रूम दुबारा उसके हिसाब से उसने रेनोवेट करवाया।महंगा सामान सब कुछ वो लाई।

अब भी सुबह नीला ही उठती और सारा काम करती बहुएं नाश्ते पर आती खाती और अदिति दफ्तर निकल जाती और रिया अपने कमरे में सुधाकर जी एक दो बार बेटों को बोल चुके थे अपनी बीवियों से कहो काम करे मां नौकरानी नहीं है।आज नीला और सुधाकर की शादी की 40 वी वर्षगांठ थी।सुबह दोनो मंदिर गए घर आकर सुधाकर ने कहा मै जरा अपने दोस्त से मिलकर आता हूं।

फिर शाम को बाहर चलेंगे।सुधाकर अपने दोस्त महेश के पास गए और बोले मुझे विल करवानी है वो भी रजिस्टर्ड आज ही।महेश बोला अरे तू कहा चला सुधाकर बोले बच्चो का बाहवर अजीब सा हो रहा है मैं नहीं चाहता कि नीला को कोई परेशानी हो।घर मेरी पेंशन ,एफडी ,एलआईसी और एक प्लॉट है

वो सब नीला के नाम कर दो।महेश ने विल बनाई और सुधाकर ने साइन कर दिए।महेश बोला कल तुझे दे दूंगा रजिस्टर्ड होते ही सुधाकर बोले अपने पास रख जब जरूरत होगी ले लूंगा।सुधाकर घर आए बेटे बहु और नीला को ले रेस्टोरेंट गए।रिया और अदिति को लगा हमारी जेब कटेगी दोनों अपने पतियों को देख रही थी सुधाकर समझ गए

बोले आज की पार्टी मेरी तरफ से और उन्होंने नीला को एक डायमंड सेट भी दिया बोले जिंदगी भर तुम्हे कुछ दे ना सका पर आज नहीं रोकना और उन्होंने वो सेट नीला को पहना दिया।अदिति बोली बूढ़े को शर्म नहीं आती इस उम्र में ये चोंचले करते ।सबने खाना खाया और घर आए उस दिन बड़ी देर तक सुधाकर और नीला लॉन में बैठे रहे।

उस रात सुधाकर जो सोए तो उठे ही नहीं अगली सुबह नीला चाय बना उन्हें उठाने गई तो वो चिर निद्रा में जा चुके थे।  दिन वार पूरे हुए सब रिश्तेदार विदा हो गए।अब रिया ने पूरे घर की बागडोर संभाल ली।

खाना बनाने के लिए काम वाली लगा दी अदिति खुश थी क्योंकि वो खुद कोई काम करती ही नहीं थी सफाई वाली अलग कपड़े वाली अलग ।जहां नीला सुबह 5, 00 बजे अपनी और सुधाकर की चाय बनाती अब 10: 00

बजे चाय मिलती नाश्ता भी बचा खुचा फल अब नीला के लिए आते ही नहीं थे।फ्रिज में ताला रहता  एक रोज दोनों बहुएं नीला के पास आई और बोली अब आपको तो गहनों का कोई काम नहीं है आप हमें दे दे नीला बोली बेटा वो तुम्हारे पापा के प्यार की निशानी हैं दोनो हंसने लगी बुढ़िया को प्यार चढ़ा है और वो जबरदस्ती नीला के गहने ले गई।

अदिति रिया से बोली पहले घर के काम कौन करता था रिया बोली रसोई तो महारानी देखती थी और बाकी काम के लिए काम वाली थी।अदिति बोली ठीक है तो कल से रसोई की।जिम्मेदारी इसे दो कपड़े भी यही धोएगी मशीन है तो ।रात को रमन और नमन के सामने दोनों बोली ये कुक अच्छा खाना नहीं बनाती मां कितना टेस्टी बनाती थी

आप मां को बोलो खाना वही बनाए बेटे बीवियों की बातों में आ मां के पास गए नीला बोली चलो इसी बहाने में व्यस्त रहूंगी।नीला सुबह उठ चाय नाश्ता बनाती।खाना बना सबका लंच पैक करती।पर उसकी इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो ताजा बना खा ले।नाश्ते में उसे रात का बचा खुचा मिलता।फिर वो कपड़े धोती काम वाली ना आए

तो सफाई बर्तन सब उसकी जिम्मेदारी थे अच्छा खाना और  ध्यान ना देने की वजह से नीला बहुत कमजोर हो गई।एक दिन उनके घर में पार्टी थी सारा खाना नीला ने बनाया उसे बुखार था वो अपने कमरे में आ गई।भूख बहुत लगी थी इसलिए थोड़ी देर लेटकर वो खाने की तलाश में बाहर आई उसने प्लेट उठाई और वो गिर कर टूट गई

बस अदिति और रिया चिल्लाने लगीं सारा दिन खाने पर नजर रहती हैं कितना खाएगी हमे ही खा लीजिए।नमन आगे आया बोला मां क्या जरूरत थी बाहर आने की चलो अन्दर और वो नीला को घसीटते हुए कमरे में छोड़ आया ।नीला भूखी प्यासी पड़ी रही रात को आवाजें आ रही थी अब तुम्हारी मां के साथ रहना मुश्किल है

चोरी करती हैं सब खा जाती हैं कोई काम नहीं करती इन्हें वृद्धा आश्रम में भेज हम ये घर बेच देते हैं फिर अपनी पसंद से जहां चाहे वहां रहेंगे।नीला की आंखों से आंसू निकल रहे थे अगली सुबह बेटे चाय नाश्ता ले नीला के कमरे में गए मां नाश्ता कर लो।नीला ने जैसे तैसे चाय पी और फिर रमन बोला मां इस घर के कागज कहा है

नीला बोली मुझे नहीं पता नमन बोला अलमारी में होंगे । अलमारी से कागज मिल गए।रमन बोला मां हम तुम्हे तुम्हारे जैसे लोगों के पास वक्त गुजारने भेज रहे हैं और ये घर बेच हम भाई अपना अपना घर ले लेगे।नीला बोली नहीं बेटे ये घर बहुत प्यार से तुम्हारे पिता और मैंने तुम्हारे लिए बनवाया था ।रिया बोली आपकी मोहब्बत खत्म हमे घर चाहिए वो भी अपनी पसंद का।

सारी तैयारी हो गई नीला को वृद्धाश्रम भेजने की अगले दिन सुबह उसे जाना था उसी दिन सुबह घंटी बजी दरवाजा नमन ने खोला और बोला महेश चाचा आप । महेश बोले मै उस दिन किसी जरूरी काम से शहर से बाहर गया था इसलिए ना आ सका ।नीला को देख बोला भाभी क्या हालत बना रखी है कहा जा रही है

और आप ब्रेड खा रही है सूखी जिसने कभी खुद ब्रेड ना खाई हो ना हमे खाने दी हो।मेरा यार सच कहता था।रमन बोला चाचा जी हम हमारा घर बेच रहे है और मां को वृद्धाश्रम में भेज देंगे।वो भी सुखी और हम भी।महेश बोला तुम्हारा घर पता है ये घर किसका है ये भाभी के नाम पर है। भाभी मेरा दोस्त सब आप के नाम पर कर गया है

शायद उसे अंदाजा था।अब तुम अपना सामान उठाओ और एक घंटे में घर खाली करो।यह बात सुन चारों गिड़गिड़ाने लगे मां हम कहा जाएंगे। नीला बोली मुझे नहीं पता दोनो इतना अच्छा कमाते हो अपना इंतजाम कर लो एक घंटे में घर खाली हो जाना चाहिए और बहु मेरे गहने भी मुझे लौटा देना।नीला रो पड़ी सुधाकर मेरा कितना ख्याल रखते थे मरने के बाद भी सिर्फ मेरे बारे में ही सोचा।

नीला बोली ऐसे रोटी से तो सम्मान की सूखी रोटी ही भली पर मेरे सुधाकर मेरे लिए सूखी नहीं घी में तर रोटी की व्यवस्था कर के गए है।एक घंटे में दोनों बेटे बाहर थे।नीला जी ने महेश की सहायता से एक व्यवसाय खोला जिसमे गरीब औरते आचार पापड़ बनाती और बेचती उनका बिजनेस चल निकला सरकार उनको पैसा भी देती और सामान भी खरीद लेती। मोहल्ले में सब उनका सम्मान करते बेटे एक दो बार आए तो वो बोली बेटा मां की एक रोटी तुम पर भारी हो गई पर मैं अपने पति से वादा खिलाफी नहीं कर सकती तुम जाओ। आज नीला उन सब के लिए प्रेरणा स्तोत्र है जो पति या पत्नी के जाने के बाद बच्चों पर आश्रित हो अपनी जिंदगी नरक बना लेते है।कहते है फिर भी मां मां होती हैं।उन्होंने जो जमीन का टुकड़ा सुधाकर ने नीला के लिए लिया था वो बेटों को दे दिया ।गहने बहुओं में बाट दिए डायमंड सेट और मंगलसूत्र छोड़ कर ।फिर उनके गृहद्योग की महिला कर्मचारी की बेटी की शादी में वो सेट दे दिया बोली मेरा और सुधाकर का आशीर्वाद है।

दोस्तो कहानी पसंद आई हो तो कमेंट में बताएगा।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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