आज सुमन तैयार हो 7:00 बजे घर से निकल गई । कॉलेज के लिए । आज 15 अगस्त है । कॉलेज के फंक्शन की तैयारी आदि ठीक-ठाक है । उसका सारा स्टाफ तैयारी में लगा था आज के फंक्शन की । सबसे महत्वपूर्ण विषय है
कॉलेज की भूतपूर्व प्रधानाचार्य प्रिंसिपल प्रभा जी चीफ गेस्ट बन के आ रही है । उनका स्वागत बड़ी ही लगन के साथ करने का मन है। गाड़ी का हार्न सुनकर सब तैयार हो गये उनके स्वागत के लिए । बच्चों ने सरस्वती वंदना के साथ उनका स्वागत किया । सुमन ने फूलों की माला पहनाई । बाकी स्टाफ ने फूलों के साथ गर्म जोशी से स्वागत किया ।
सब लोगों ने अपना अपना परिचय दिया । अब बारी सुमन की आई । सुमन ने अपने दादाजी और मां को स्टेज पर बुलाया । और कहा मैं जो आज आपके सामने खड़ी हूं । यह इन दोनों के आशीर्वाद से है । मेरे दादाजी इनका हाथ सदा तीनों के सर पर आशीर्वाद के रूप में रहा । अपनत्व, लगन, सहनशीलता परिवार में एकाग्रता इन दोनों के कारण ही मैं इस मुकाम पर पहुंची हूं ।
पूरा हाॅल तालियों से गूंज उठा । अब सांस्कृतिक कार्यक्रम चलता रहा । अंत में प्रभा जी ने सब बच्चों को अपने आशीर्वाद के रूप में एजुकेशन से संबंधित सुझाव दिए ।
हमारा जीवन एक नदिया की बहती धारा है । हम जीवन में जैसी शिक्षा पाएंगे नदिया उसी तरह बहती जाएगी । अंत में मिठाई वितरण के बाद समारोह की समाप्ति । जब घर आई दादा जी और मां के साथ ताऊ जी ने कहा हमें खाली मिठाई ही मिलेगी । तुमने हम लोगों को बुलाया नहीं फंक्शन में । सुमन ने कहा ताई जी आपके सहयोग और बातों के कारण ही हम दोनों आज इस लायक हैं ।
आपने आशीर्वाद दिया था कौन सी कलेक्टरनी या मास्टरनी बनेगी पढ़कर । वह आपकी दुआ ही है । जो बातें आपकी मेरे “मन की गांठ” बनकर मेरे को हिम्मत देती रहती हैं । सुमन की मां सुषमा पापा विजय जी एक उच्च पद पर सरकारी सर्विस में थे । एक रात ऑफिस में मीटिंगृ के चक्कर में लेट हो गए थे ।
वह घर आ रहे थे । पीछे से ट्रक ने टक्कर मारी । गाड़ी दूर जाकर पलट गई । उसमें आग लग गई । सब कुछ खत्म हो गया । पूरे घर का रो-रो कर बुरा हाल था । सुषमा जी अपनी दोनों बेटियों को चिपटाकर कोने में बैठकर रोये जा रही थी । सबने धैर्य देते हुए समझाया । भगवान की लीला है सुख दुख । धीरे धीरे सुषमा जी ने अपने आप को संभाला ।
घर के कार्य में लगकर दिन बीतने लगे । उनके मन में बच्चों की पढ़ाई की चिंता होने लगी । उसने एक दिन जेठ जी से कहा दोनों बच्चों का सरकारी स्कूल में एडमिशन करा दीजिए । यह सुनकर ताई जी आई और बोली । इनको तो घर का काम करवाना है । कौन सी इनको पढ़ाई करके मास्टरनी या कलेक्टरनी बनना है ।
कल को उनकी शादी भी हमको ही करनी पड़ेगी । सुमन सब सुनती परंतु अपनी मां को देखकर चुप रहती । मां की आंखों में आंसू देख कर तभी से उसके “मन में गांठ” बन गई । मां ने समझाया बेटा यह परिवार है । सबके विचार अपने-अपने स्वभाव के अनुसार होते हैं । तुम इन बातों के चक्कर में कुछ नहीं सोचो ।
अपनी लगन से पढ़ाई करो । तब से दोनों बहनों ने पढ़ाई खूब मन लगाकर की । सुमन ने दसवीं क्लास पूरे स्कूल में टॉप करी । वह स्टेप बाइ स्टेप आगे बढ़ती रही । अब वह कॉलेज में फर्स्ट ग्रेड टीचर लग गई । वह शुरू से पढ़ाई में टॉपर रही । मधुर व्यवहार के चलते सभी स्टाफ में उसकी बहुत तारीफ किया करते थे ।
कॉलेज के बच्चे भी सुमन मैम से बहुत खुश रहते । कुछ समय पहले कॉलेज कक प्रिंसिपल प्रभा जी रिटायर हुई थी । उनकी पोस्ट के लिए सर्वसम्मति से सुमन को प्रधानाचार्य के लिए चुन लिया । छोटी बहन सरिता की भी जॉब ICICI बैंक में लग गई । सुमन के ताऊजी कृष्ण और ताई जी कृपा देवी के भी दो बच्चे हैं । एक बेटी एक बेटा ।
ताई जी शुरू से अपने बेटे को बहुत लाड प्यार करती हैं । उसकी हर जिद पूरी करती । इसी कारण छोटे पर जिद्दी स्वभाव का हो गया । घर में तीन बेटियों को देख देख कर ताई खुश नहीं थी । दादाजी ताऊजी अधिकतर अपने काम में बिजी रहते । ताई जी दादी जी हम लड़कियों को हरदम उल्टा सीधा बोलती रहती ।
मां यह सब कुछ सुन सुन करके चुपचाप आंसू बहाती रहती । यही सब की बातें सुनकर मेरे “मन की गांठ” पक्की होती गई । थोड़े समय बाद कॉलेज के पास मकान ले लिया । मां हमारे साथ रहती ।
ताई जी का बेटा राजेश पढ़ाई में फिर फिसड्डी रह गया । आवारा लड़के उसके साथी दोस्त बन गए । दिन पर दिन वह हर प्रकार का हरफन मौला थऋबनता गया । दादाजी दादी जी मां पिताजी अब उम्र दराज हो गए । चारों को अब दो कमरों में कर दिया और घर आया को बोल दिया । इन सब का खाना कमरे में ही दे दिया करो घर में अपने दोस्तों को बुला लेता ।
अच्छे से खाना पीना नाच गाना होता । बड़े बुजुर्ग लोग मन ही मन कुढ़ते रहते । यह सब नजारा देखकर काम वाली बाई भी छोड़ कर चली गई मोहल्ले में इस तरह का माहौल देखते हुए किसी ने पुलिस से खबर कर दी । पुलिस ने छापा मारा । सब देखने के बाद लड़के लड़कियों को पकड़कर ले जाकर बंद कर दिया अब ताई जी को अपने बेटे की चिंता हो गई ।
दादाजी को कुछ तबीयत खराब होने के कारण सुमन पहले ही अपने घर ले गई थी । दादाजी ने ठीक होकर अपने घर जाने के लिए सुमन से कहा । सुषमा जी ने कहा यह भी आपका ही घर है । दादाजी बहुत खुश पर दादी को अपने किए व्यवहार के कारण पश्चाताप हो रहा था । एक दिन ताई जी रोते-रोते सुमन के घर पहुंची ।
राजेश के बारे में बताया । उसे पुलिस पकड़ कर ले गई है । उसको छुड़ाने के लिए दादाजी के पैर पड़कर रोने लगी । दादाजी ने कहा बहू जैसे संस्कार तुमने बच्चों को दिए हैं । उसका यही प्रभाव देखने को मिलेगा । सबके कहने पर दादाजी पुलिस स्टेशन गए । वहां के सर थे उनसे मिले । वह दादाजी को जानते थे ।
उनके पिताजी दादा जी के दोस्त थे । उनके कहने पर ही राजेश को छोड़ दिया । साथ में चेतावनी के साथ । अगर दोबारा ऐसी हरकत की तो नहीं छोड़ा जाएगा । सबके समझाने पर और मां को रोता देख थोड़ी अकल आई । अपने दादाजी पिताजी के पैरों पर पढ़कर माफी मांगी । दोनों ने प्यार से गले लगा लिया ।
घर जाकर दादाजी और राजेश के पिताजी ने बिजनेस में लगा दिया । अब दादाजी और सुषमा जी ने सुमन की शादी करने पर जोर डाला । सुमन ने साफ कह दिया मैं शादी नहीं करूंगी ।
सरिता की शादी करनी है । दादाजी की नजर में उनके मिलने वालों का पोता बैंक में मैनेजर है । अच्छा परिवार है । मैं बहुत समय से जानता हूं । दोनों परिवार वालों को लड़का लड़की पसंद थे । खूब धूमधाम से सरिता की शादी हो गई । ताई जी ने राजेश की शादी के लिए दादा जी से कहा ।
उसके गुण अवगुण से तो अधिकतर लोग रूबरू थे । कौन अपनी लड़की को उस घर भेजेगा ।
एक गरीब परिवार की लड़की सुधा से शादी करने को तैयार हो गया । दादाजी के व्यवहार को देखते हुए आनंद फानन में राजेश की शादी सुधा से हो गई । तीनों बहनों ने खूब अच्छे से अपनी भाभी का स्वागत किया । राजेश की दीदी ने दोनों भैया भाभी को अच्छे से आशीर्वाद दिया । घर में सबका मान सम्मान रखने के लिए कहा । सुधा भी मिलनसार पारिवारिक लड़की है । सबका बहुत आदर भाव करती है । सुमन की “मन की गांठ” अब खुलकर ढीली हो गई थी । एक दिन ताई जी दादी जी ने सुमन और सुषमा से कहा हमें अपने किए व्यवहार से बहुत शर्मिंदगी है । सुमन ने कहा ताई जी वह तो आप लोगों का मधुर आशीर्वाद था । उसके अनुसार ही मैं इस लायक हूं । हमारा परिवार एक होकर खुशियों से परिपूर्ण है ।
“मन की गांठ”
लेखिका
सरोजनी सक्सेना