अमित भैया ,रिया भाभी दिन भर ऑफिस में काम करती है, फिर घर आते ही ,घर के कामो में लग जाती है, उनकी बेटी (एंजल) अठारह साल की है उसकी कोई फिकर ही नही है , दिन रात फ़ोन पे लगी रहती है, जाने कौन सी पढ़ाई करती है। आप अपनी एंजल को संभाल लो भैया , कही कोई ऊँच नीच ना हो जाये, समय बहुत खराब है।
अमित के ऑफिस का काम कुछ ठीक नही चल रहा था , इसलिए बहुत गुस्से में था ।अमित ने आव देखा ना ताव एंजल का फ़ोन बिना कारण जाने उठा के पटक दिया । बोला अब बुक से करो पढ़ाई , पूरा दिन फ़ोन में लगी रहती हो। दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा। इतना बोल अपने कमरे मे चला गया। जब रिया घर आई तो एंजल जोर जोर से रोने लगी उसने सारी बात बताई ।
रिया ने बोला कोई बात नही बेटा मैं आपके पापा से बात करुँगी। एंजल ने बोला मम्मी पहले आप बुआ से बात कर लो, बुआ ने ऐसा क्या बोल दिया पापा से , जो पापा इतना गुस्सा हो गये। रिया अपने ननद के पास गयी बोली दीदी क्या “पट्टी पढ़ाया” है अपने भाई को जो एंजल का फ़ोन तोड़ दिया? भाभी आप को क्या पता आप की बेटी क्या करती है दिन भर।
परीक्षा तो बारहवीं की खत्म हो गयी है फिर भी पूरा दिन फ़ोन में लगी रहती है, दीदी आप ये बात एंजल से पूछ लेती? या हमसे पूछ लेती ? अरे मैं सब जानती हूँ आज कल की लड़कियों को , दिन रात फ़ोन पे लड़को से वीडियो चैट करती है और क्या, मैं भी बुआ हू एंजल की ,उसका बुरा भला, मैं भी सोचती हूं इसीलिए अमित भैया को सब बताया।रिया गुस्से में चिल्ला उठी, एकदम चुप हो जाइए दीदी ।
अगर आप एंजल को प्यार करती तो आप ,पहले एंजल से बात करती । आप को पता है, आज कल सारी परीक्षा ऑनलाइन होती है, उस का फार्म भी ऑनलाइन ही भरा जाता है, तैयारी भी ऑनलाइन ही कराई जाती है, तो बच्चे फ़ोन चलाएंगे ही । एंजल की बुआ आँखे जमीन में गड़ाए खड़ी थी चुपचाप। रिया की आखो में आंसू थे।
दीदी आपको पता है,तीन महीने नौकरी कर के मैंने एंजल के लिये फ़ोन खरीदा था। मैंने माना कि आप गलत नही है,
लेकिन , अब पहले जैसा समय नही है, “अब बच्चों पर विश्वास करना होगा। उनका भरोसा जितना होगा। उनको सही गलत बताना होगा। ना की उनको फ़ोन से दूर करना होगा ।
एंजल की बुआ रिया के आगे रोने लगी । बोली मैं अब मैं समझ गयी भाभी ,एंजल क्या अब मैं किसी भी बच्चे के बारे मे बोलने से पहले जरूर सोचूंगी। हमको माफ कर दो एंजल बेटा। एंजल बोली आप हमको नया मोबाइल दिलाओगी तभी माफ करुँगी बुआ। बुआ ने बोला, मैं जरूर दिलाऊंगी बेटा।
किसी के बच्चों के बारे मे कुछ भी गलत बोलने से पहले ,बच्चे से खुद बात करे । बच्चे को सही गलत बताए। ना की पारिवारिक कलह का कारण बने।एक “बुरी राय” परिवार मे बहुत से दुखो को जन्म देती है ।
रंजीता पाण्डेय