कच्चा चिट्ठा खोलना – निमिषा गोस्वामी : Moral Stories in Hindi

अरे रे रे रे ये क्या कर रही है मेरी राजकुमारी सरोज ने अपने बेटे को देखकर बहू रेनू के सिर पर बड़े प्यार से हाथ रखकर कहा तुझे इतना काम करने की जरूरत नहीं है अभी तो तेरे हाथों की मेंहदी भी नहीं छूटी अभी तो मेरी बहुरानी के आराम करने के दिन है।रेनू अपनी सास के इस व्यवहार पर आश्चर्य था।हर रोज तो उससे ही सारा काम करवाती आराम करो तो ताने मारती दहेज की मांग करती वह समझ गई कि ये सब वह अपने बेटे के सामने बोल रही है।

लेकिन वह अपने पति भारत से कुछ बोल नहीं पाती क्योंकि उसके पति को अपनी मां के असली व्यवहार के बारे में पता ही नहीं था। उसकी शादी को अभी एक महीना ही हुआ था। दोनों बहुत खुश है।भारत की भी अच्छी खासी नौकरी है वह बैंक मैनेजर हैं । रेनू भी रेलवे की तैयारी कर रही है।भारत तो सुबह दस बजे बैंक चला जाता रेनू और उसकी सास ही घर में रहती।उसके ससुर का एक साल पहले देहांत हो गया था।

भारत के जाते ही सास अपने असली रुप में आती। और रेनू को परेशान भी करती तो बड़े प्यार से।आज भी भारत के जाते ही उसकी सास ने चुपके से सब्जी में नमक ज्यादा मिला दिया और रेनू से कहा बहू ला मुझे भी खाना दे दो बहुत भूख लगी है।लाती हूं मां जी कहकर रेनू ने सासू मां को खाना की थाली लगाकर दी और वह अपने कमरे में आराम करने लगी। तभी उसके कानों में आवाज पड़ी थू थू थू कैसी सब्जी बनाई है कमबख्त ने नमक ही नमक भर दिया फिर प्यार से रेनू को आवाज दी रेनू बेटा रेनू तो आवाज सुनते ही तुरंत हाजिर हुई बेटा आज सब्जी में नमक इतना डाल दिया एक टुकड़ा नहीं खाया गया।

नहीं मां जी नमक तो ठीक था तो क्या मैं झूठ बोल रही हूं उसकी सास थोड़ा झल्लाते हुए बोली।न न न नहीं मां जी रेनू डरते हुए बोली। मैं अभी दूसरी सब्जी बना देती हूं।न न न न रहने दें बेटा एक दिन खाना नहीं खाऊंगी तो क्या मर जाऊंगी। उसकी सास ऐसा बोलकर अपने कमरे में चली गई। रेनू को कुछ समझ न आया।अब तो ऐसा हर रोज होने लगा रेनू किसी से कुछ न कहती बस अंदर ही अंदर घुटती रहती एक दिन भारत ने हनीमून के लिए टिकट बुक करवाई और अचानक छुट्टी लेकर आधे घंटे में घर वापिस आया भारत सबको सरप्राइज देना चाहता था।

दरवाजा खुला था इसलिए दबे पांव अंदर आया। तभी मां की तेज आवाज सुनकर ठिठक गया चुपचाप से खड़ा हो सब सुनने लगा। उसकी मां रेनू से कह रही थी तुम्हारी मां ने यदि काम नहीं सिखाया तो कम से कम दहेज तो मनभर कर देती देखो बहूअगर तुम्हारी मां ने मुझे पचास लाख रुपए नहीं दिए तो अबकी बार मायके में ही रह लेना जानती हो मेरा बेटा मुझे बहुत मानता है। मैं उसे भी प्यार से समझा दूंगी। रेनू कुछ न बोली बस आंसू बहते हुए काम करती रही भारत यह सब सुनकर हैरान था।

उसके सामने उसकी मां का कच्चा चिट्ठा खुल गया।वह अंदर जाकर मां को बस देखता रह गया तभी रेनू बेहोश होकर नीचे गिर पड़ी भारत ने उसे उठाया रेनू बुखार से तप रही थी उसकी मां भी आकर अरे रे रे क्या हो गया मेरी प्यारी बहू को।भारत ने मां को वहीं रोकते हुए कहा सब कर मां मैंने सब सुन लिया और रेनू को उठाकर कमरे में ले गया।

निमिषा गोस्वामी 

कालपी जिला जालौन उत्तर प्रदेश 

मौलिक एवं स्वरचित 

मुहावरा और कहावतें लघुकथा प्रतियोगिता विषय -कच्चा चिट्ठा खोलना (भेद खोलना)

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