रति एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखती थी। परिवार में मां शांति , पिता श्याम लाल और दो भाई बहन नीता और अनंत ।रति कॉलेज के आखिरी साल में थी उसी के साथ पढ़ने वाले आकाश से उसकी दोस्ती थी।दोनो ही मेघावी छात्र थे।दोनो की बातों का विषय किताबें या समाजिक मुद्दे ही होते।
आकाश लॉ पढ़ना कर रहा था क्योंकि उसके पिता दीनानाथ की लॉ फर्म थी।जिसे आगे आकाश को ही बढ़ाना था।दोस्ती प्यार में बदल चुकी थीं और आकाश रति से यही कहता मै डिग्री पूरी कर लॉ फर्म ज्वाइन करते ही तुमसे शादी करूंगा।आकाश अपनी पढ़ाई पूरी करने अमेरिका चला गया। और रति ने भी Ma पूरा कर लेक्चरर की पोस्ट के पेपर देने शुरू कर दिए।
दो महीने की अथक मेहनत से रति को कॉलेज में प्राध्यापक की नौकरी लग गई।उसके माता पिता गंगा स्नान के लिए हरिद्वार गए वहां नौका पलटने से दोनों की मृत्यु हो गई।रति पर दोनों भाई बहन की जिम्मेदारी आ गई।आकाश अमेरिका से आया और उसने अपनी फर्म ज्वाइन कर ली पहले केस से ही उसे इतनी प्रसिद्धि मिली कि हर तरफ उसी की तारीफ हो रही थी।आकाश रति से मिलने गया
और बोला में पिताजी से हमारे विवाह की बात करता हूं।रति बोली मुझ पर बहुत जिम्मेदारी है मैं विवाह नहीं कर सकती।आकाश बोला मै तुम्हारा साथ दूंगा। आकाश ने घर आकर अपने माता पिता से बात की । दीना नाथ जी ने साफ मना कर दिया।मै अनाथ बच्चों को अपने घर नहीं लाऊंगा।तुमने सोचा भी कैसे ऐसे ही किसी को हम अपनी बहु बना लेंगे।
तुम्हारा विवाह बैरिस्टर खन्ना की लड़की कामिनी से तय किया है मैने अगले हफ्ते सगाई है।आकाश बोला मै ये विवाह नहीं कर सकता।मैने रति से वादा किया है।दीनानाथ जी बोले यदि तुम यही चाहते हो तो आज से हमारा रिश्ता खत्म इस जायदाद और लॉ फर्म से भी मै तुम्हे बेदखल कर दूंगा। यह सुन आकाश घर से चला गया और रति से उसके कॉलेज मिलने पहुंचा।
रति को जब सब पता चला तो रति बोली आकाश जहां तुम्हारे पिता चाहते है तुम्हे वही शादी करनी चाहिए क्यों अपना भविष्य खराब करते हो। मुझे तो अभी इन बच्चों का भविष्य बनाना है तो मै शादी नहीं कर सकती और मैं तुमसे प्यार करती हूं तो तुम्हारा भविष्य भी दाव पर नहीं लगा सकती।
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बहुत समझाने पर भारी मन से आकाश उठा बोला ठीक है मै तुम्हारा फैसला मानूंगा पर तुम्हे भी मेरी एक बात माननी पड़ेगी रति बोली क्या कि तुम्हे जब भी कोई जरूरत पड़ेगी तुम मुझे ही आवाज लगाओगी।रति बोली अच्छा।घर आकर आकाश ने अपनी मां को शादी का फैसला सुना दिया।आकाश अपनी शादी का कार्ड रति को देकर आया
और बोला मैने तुम्हारा फैसला मान लिया अब तुम खुद से मिलने से मुझे मत रोकना। रति बोली ठीक है अब तुम जाओ।घर आकर रति बहुत रोई पर उसे अपने भाई बहन के लिए ये कदम उठाना था। रति के भाई अनंत का मेडिकल कॉलेज में मेरिट पर एडमिशन हो गया पर वो दूसरे शहर में था।रति ने अपने कॉलेज में बात
कर अपना ट्रांसफर भी वही करवा लिया क्योंकि वो इस शहर में रहकर आकाश का सामना नहीं करना चाहती थी।नए शहर आकर अनंत अपनी पढ़ाई में जुट गया।रति कॉलेज घर में ट्यूशन पढ़ाती और नीता का दाखिला भी अपने कॉलेज में बीकॉम में करवा दिया।
रति को कभी कभी आकाश की बहुत याद आती पर अपने होनहार भाई बहन को देख वो चुप हो जाती।अनंत और नीता भी उसकी बहुत इज्जत करते थे आकाश रति के घर गया उसे पता चला कि रति वहां से चली गई है तो वो भी अपने परिवार पर ध्यान देने लगा।आकाश की पत्नी शिखा एक पार्टी वूमेन थी
जिसे सिर्फ बाहर घूमने और पार्टी करने का शौक था।आकाश एक घरेलू पत्नी चाहता था पर शिखा मॉर्डन थी।शिखा अपनी फिगर खराब नहीं करना चाहती थी इसलिए बच्चा पैदा नहीं करना चाहती थीं जबकि आकाश को बच्चे पसंद थे।इसी तरह 5 साल दोनो ने एक दूसरे के साथ खींचे और अलग हो गए। उधर रति की मेहनत रंग लाई।
अनंत एक न्यूरोलॉजिस्ट बन गया और नीता भी बैंक में लग गई उसके लिए अच्छा घर वर देख उसकी भी शादी हो गई। अब वो चाहती थीं कि अनंत की भी शादी हो जाए। उसके साथ डॉक्टर आरती जो कॉस्मोलॉजिस्ट थी उसके साथ अनंत का भी रिश्ता पक्का हो गया।अनंत ने सगाई के समय ही अपने ससुराल वालों को बता दिया था
कि रति उसकी मां की जगह है तो उसके सम्मान का ध्यान रखना पड़ेगा।आरती बोली अनंत मै इस बात का ध्यान रखूंगी।आरती शादी हो कर घर आ गई सब सुबह ही काम पर चले जाते ।अनंत को काम के सिलसिले में बाहर जाना पड़ता उसकी दूसरे शहर में कांफ्रेंस थी वहीं उसकी मुलाकात आकाश से हुई ।
अनंत आकाश को पहचान गया और उसके पास आया और बोला आप आकाश जी है ।आकाश बोला हा पर मैने आपको नहीं पहचाना।अनंत बोला मैं रति दीदी का भाई अनंत हूँ।आज दीदी की वजह से मैं न्यूरोलॉजिस्ट बन गया हूं यहां मेरी कॉन्फ्रेंस थी आप कैसे है?आकाश बोला मै ठीक हूं दोनों बहुत देर
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तक बाते करते रहे वही अनंत को पता चला कि आकाश का तलाक़ हो गया है।अनंत ने आकाश को अपना पता दिया और घर आने का वादा लिया। घर पहुंच कर अनंत ने आरती ,नीता और नीरज को बुलाया और उन्हें बताया कि वो आकाश से मिला था और आकाश कौन है।रति का 45 वा जन्मदिन आ रहा था।आकाश ने कहा मै चाहता हूं हम आकाश जी को भी बुलाए और रति दी को भी उनकी जिंदगी जीने का मौका दे।दी ने हमारे लिए बहुत कुछ किया है अब हमारा कर्तव्य है।
रति के जन्म दिवस की तैयारी शुरू हो गई जो कि रति के लिए सरप्राइस था।अनंत ने आकाश को भी बुलाया और आकाश ने भी आने का वादा किया।
जन्म दिन वाले दिन किसी ने भी सुबह से उसे विश नहीं किया उसे लगा सब बिजी है शायद भूल गए वो भी कॉलेज गई आज उसे आकाश बहुत याद आ रहा था शाम को घर आई तो अनंत बोला दी आज आरती के यहां फंक्शन है तैयार हो जाओ जाना है।रति बोली मै ना आऊ तो चलेगा।अनंत बोला नहीं दी ससुराल का मामला है प्लीज चलो।
रति तैयार हो कर अनंत के साथ चली गई एक बड़े होटल के सामने कार रुकी।अनंत और रति दोनो अंदर गए वहां सब लोग थे और सबने रति को विश किया।रति सरप्राइस देख बहुत खुश थी।अनंत और नीता बोले हमारे मां पिताजी बचपन में गुजर गए हमारी।दीदी ने मां की तरह हमे संभाला अपने सुख और खुशियों की परवाह ना करते हुए वो सिर्फ हमारे बारे में ही सोचती रही और आज हमे इतना काबिल बनाया।रति की आंखों में आंसू थे जो मोती की तरह चमक रहे थे वो बोली तुम्हारा प्यार ही मेरी सच्ची दौलत है
मेरी तपस्या सफल रही। अनंत बोला दीदी आज हम आपको आपकी खुशियां सौंपने वाले हैं और वो आकाश को लेकर आए।आकाश को देख रति बोली तुम यहां? आकाश ने रति को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और बोला अनंत और नीता आज मै आपसे रति का हाथ मांगना चाहता हूं।अनंत ने आगे बढ़ रति का हाथ अनंत के हाथ में दे दिया।आकाश बोला रति तुम्हारा मेरा साथ ईश्वर ने जोड़ा था वो कुछ समय टूटा पर आज फिर जुड़ गया एक हफ्ते के अंदर दोनों की शादी हो गई।सबने रति को विदा किया रति आकाश के कंधे पर सर रखा आज उसकी आंखों में मोती झिलमिला रहे थे ये वो मोती थे जो उसकी इतनी तपस्या का फल थे।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी