अपमान बना वरदान – विधि जैन : Moral Stories in Hindi

डॉली के दो बेटे दोनों पढ़ने में बहुत होशियार एक छोटे से गांव में डॉली की शादी हुई भरा पूरा परिवार पति राजेश का बिजनेस आसमान छू रहा था पैसा इतना था किसी चीज की कमी नहीं थी बेटे नवीन और रितिक दोनों पढ़ने में बहुत होशियार हमेशा अब्बल रहने वाले बच्चे गलत रास्ते में कभी नहीं चल एक ने बी ए किया

दूसरे ने बीकॉम किया दोनों की पढ़ने की इच्छा थी उन्होंने अपने पापा के सामने अपनी इच्छा जाहिर की लेकिन पापा और मम्मी ने कह दिया कि इतना बड़ा बिजनेस से तुम दोनों ही हो जो इस बिजनेस को अच्छे से संभाल सकते हो और इसे आगे तक ले जा सकते हो नवीन और रितिक ने पापा की बात मानते हुए बिजनेस में जी तोड़ मेहनत की दिन रात एक करे कर दिया

नई-नई तकनीक का उपयोग करते हुए कृषि से संबंधित जितने प्रोडक्ट थे उन सब का अच्छे से प्रचार प्रसार किया यहां तक की गांव-गांव देश-विदेश में भी उनका नाम होने लगा हर एक मीटिंग में उन दोनों का जाना बहुत आवश्यक होता था यह सब देखकर डॉली बहुत खुश होती थी कि बच्चे अपने पैरों पर जल्दी ही खड़े हो गए हैं बड़ा बेटा नवीन उसकी शादी का वक्त आ गया

शादी बहुत अच्छे घर में हुई लड़की भी पढ़ी लिखी थी जब वह घर में बहू बनकर आए तो उसे ढेर सारा प्यार मिला डॉली ने कभी अपनी बहू से बहुत काम नहीं कराया हमेशा कहती थी कि तुम भी यह बिजनेस नवीन से सीख लो बाहर निकलना सीख जाओगी तो आगे तुम्हें यह काम आएगा बहु रेशम कहती थी

मम्मी मैं आपके साथ ही काम कर लिया करूंगी मुझे सीखने की कोई जरूरत नहीं है डॉली कहती थी नहीं जीवन इतना बड़ा है हमें सब कुछ आना चाहिए सिर्फ रोटी ही बनानी नहीं है रेशम को अपनी सास की बातें अच्छी लगी और उसने भी ऑनलाइन काम सीखना शुरू कर दिया रेशम हमेशा अपनी मम्मी से सास की बहुत तारीफ करती थी

जब भी रेशम मायके जाती थी मन उसका मायके में नहीं ससुराल में ज्यादा लगता था यहां पर काम भी कम होता था और सास हमेशा हेल्प कर देती थी मायके में इकलौती बेटी होने के कारण उसे बहुत बोर लगने लगा था  एक दिन अचानक नवीन को सिर में बहुत दर्द हुआ रेशम पास में ही बैठी हुई थी

उसने सिर अच्छे से दबाया बिक्स बाम लगाए नवीन को थोड़ा ठीक लगने लगा और अपने काम पर वापस निकल गया दूसरे दिन फिर से अचानक सर में दर्द हुआ पेन किलर देकर नवीन को फिर ठीक लगने लगा ऐसा करते-करते 15 दिन बीत गए लेकिन एक दिन अचानक चक्कर खाकर गिर गया तुरंत ही दूसरे गांव में अस्पताल में एडमिट कराया गया

कुछ दिनों में नवीन ठीक हो गया लेकिन अगले 15 दिन बाद फिर से इस चक्कर आ गया आनन फानन में उसे मुंबई ले जाया गया वहां पर लगभग 1 महीने एडमिट रहा और वहां पता चला कि उसे ब्रेन ट्यूमर हो गया है बचपन में कहीं पर गिर जाने से वह चोट पता नहीं चली थी अब जाकर यह चोट ट्यूमर का रूप ले लिया है

डॉक्टर की यह सब बातें सुनकर डॉली के तो पैरों तले जमीन खिसक गई हो मानो वह अपने सिर पकड़ कर बैठ गई यह क्या मेरे बेटे के साथ हो गया है मानो किसी की नजर लग गई हो इतना अच्छा परिवार जहां सारे खुश थे वहीं दूसरी ओर रेशम जब डॉक्टर के पास गए तो 3 महीने की प्रेग्नेंट थी घर में एक तरफ खुशियां थी

तो दूसरी तरफ नवीन का इलाज रेशम को प्रेगनेंसी में इतनी प्रॉब्लम हो रही थी कि उसे रात में नींद नहीं आ रही थी और कभी उल्टियां हो रही थी खाना नहीं खाया जा रहा था लेकिन नवीन के साथ वह मुंबई नहीं जा पाई नवीन के साथ डॉली छोटा देवर और चाचा जी उसके साथ गए पापा और रेशम घर पर थे बिजनेस संभाल रहे थे

नवीन रेशम की हाल-चाल ले लेता था लेकिन धीरे-धीरे नवीन की हालत बिगड़ती गई नवीन की हालत इतनी बिगड़ने लगी कीमो स्टार्ट हो गए रेशम को इस बारे में बहुत अधिक नहीं बताया जा रहा था रेशम से बस यही कह रहे कहा जा रहा था कि नवीन जल्दी ठीक होकर वापस आ जाएगा

रेशम बहुत धार्मिक थी और अपने पति के लिए दिन रात जाप अखंड पाठ करती रहती थी जितनी उसकी तबीयत ठीक होती थी अपने पति के लिए करती रहती थी एक दिन रेशम ने इच्छा जाहिर की कि मुझे अपने पति से मिलना है लेकिन कोई भी उसे मिलवाने तैयार नहीं था कीमो के समय नवीन की हालत बहुत खराब हो जाती थी

अब वह ज्यादा सहन भी नहीं कर पा रहा था देखते ही देखते हैं नवीन की हालत इतनी खराब हो गई कि उसने कहा कि मम्मी मुझे रेशम से मिलना है और वहां पर रेशम का 9 मंथ चालू हो गया रेशम भी नवीन से मिलने के लिए तड़प रही थी डॉक्टर ने डॉली को समझाया कि आप नवीन को घर ले जाइए और आप यह कुछ ही दिन का मेहमान है

डोली ने बहुत हिम्मत करके नवीन को अपने साथ घर लेकर आई और इस समय रेशम को अचानक हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा और उसने एक छोटी सी प्यारी सी नन्ही सी बच्ची को जन्म दिया फिर उसे जब अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया तो नवीन के पास लाया गया और अंत समय में नवीन ने अपनी बच्ची को गोद में उठाया

और रेशम को गले लगाया यह सब देखकर रेशम तो हिम्मत हार गई और अंतिम समय में नवीन ने अपनी बच्ची को जब गोद में उठाया तब रेशम से कहने लगा कि तुम मेरे बाद मेरी बच्ची को किसी चीज की कमी नहीं होने देना उसे हर चीज हर इच्छा की पूर्ति करोगी हमारा और तुम्हारा साथ शायद इतना ही था भगवान को इतना ही मंजूर था

लेकिन हम अगले जन्म में फिर से मिलेंगे हम जितने दिन भी तुम्हारे साथ रहे मुझे बहुत अच्छा लगा यह सब सुनकर रेशम के आंसू रूक नहीं रहे थे और आसपास खड़े लोग भी अपने आंसू रोक नहीं पाए अंतिम समय में नवीन को रेशम ने वादा किया कि मैं तुम्हारे सिवा किसी ओर की नहीं हो पाऊंगी लेकिन तुम्हारे लिए जितनी दुआएं मांगी थी

वह सब फेल हो गई है लेकिन मैं अभी भी दुआएं करुंगी कि तुम जहां रहोगे हमेशा खुश रहना हम कभी बिछड़ेंगे नहीं तुम हमारे दिल में हमेशा रहोगे धीरे-धीरे रेशम की बच्ची नंदा बड़ी होने लगी रेशम ससुराल में ही रहती थी देवर की जब शादी हुई देवरानी को रेशम बिल्कुल पसंद नहीं आती थी

वह हमेशा छोटी-छोटी बातों पर रेशम का अपमान करती थी एक दिन रेशम ने नई साड़ी पहन कर घूमने जाने के लिए अपनी बेटी को साथ ले लिया तभी देवरानी ने पीछे से कहा कि आज इतनी सुंदर तैयार होकर किसी से मिलने जा रही हो रेशम ने पलट कर तुरंत जवाब दिया कि तुम मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच सकती हो देवरानी काफी तेज थी

और हमेशा किसी न किसी बात पर रेशम का अपमान करती रहती थी एक दिन रेशम ने सास डोली से कहा कि अब मैं इस घर में ज्यादा दिन तक नहीं रह सकती हूं डॉली ने देवरानी और जेठानी को मिलाने की बहुत कोशिश की लेकिन रेशम ने अपना सामान पैक करके दूसरे शहर में शिफ्ट हो गई वहां पर रेशम ने अपनी बिटिया को बहुत पढ़ाया लिखाया

और एक दिन वह इंजीनियर बन गई इंजीनियर बनकर अपने दादा-दादी का नाम रोशन किया साथ ही अपने पापा का नाम भी रोशन किया और एक अच्छी कंपनी में जॉब करने लगी वहीं पर रेशम ने भी एक छोटा सा ऑफिस डाल लिया जिसमें वह एमपी ऑनलाइन का काम करती थी

एक अपमान ने उसे बहुत बड़ा वरदान दे दिया और अब उसने सास डॉली और ससुर को भी अपने पास रख लिया क्योंकि  देवरानी का बिहेवियर इतना गंदा था कि उसकी सास ससुर से भी नहीं पटती थी।

इस कहानी के माध्यम से मैं यह बताना चाहती हूं कि कभी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए कभी-कभी अपमान भी वरदान साबित होता है देवरानी के भी दो बच्चे हुए और दोनों बच्चे नालायक निकले दो बेटे थे दोनों बेटे शराब जुआ सट्टा में लग गए और सारा पैसा सास ससुर का कमाया हुआ पूरा लुटा दिया।

लेखिका : विधि जैन

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