आईना – डॉ पारुल अग्रवाल

रात को पार्टी थी। पीने-पिलाने का दौर कुछ देर तक चल पड़ा था। सुबह के 11 बजे तनुजा की आंख खुली तो उसने किसी तरह डगमगाते कदमों से बाथरूम की तरफ कदम बढ़ाया। मुंह पर जैसे ही पानी के छपके मारें तो आईने में उसे अपना एक झुर्रीदार भयावह सा चेहरा दिखाई दिया। ये देखकर उसकी चीख ही निकल गई। उसने जो देखा उस पर उसको विश्वास नहीं हुआ, मन में बुदबुदाते हुए उसने खुद से कहा कि ये मैं नहीं हो सकती तभी उसे लगा कि आईने में से कोई आवाज़ आ रही है जो कह रही थी कि अभी भी वक्त है, संभल जा,ये तेरे आने वाले कल की तस्वीर है, बुढ़ापा सब पर आना है। जिस चेहरे पर तू ढेर सारा मेकअप करके अपनी अमीर दोस्तों के बीच तारीफ पाती है वो क्षणभंगुर है।

 कल जब ये पैसा,रुतबा और उम्र नहीं रहेगी तब क्या करेगी? आज जो तू अपने सास-ससुर से इतना गलत व्यवहार करती है, अगर तेरी सास कभी तुमको कुछ समझाना भी चाहती हैं तो उनको नौकरों के सामने खूब बुरा भला बोल देती है।दूर मत जा,अब कल की ही बात याद कर, जब तुमको  अपनी दोस्तों के साथ किट्टी पार्टी के लिए जाना था और तुमको  पता था कि तेरा 10 साल का बेटा बुखार से तप रहा है,तब तूने ना तो उसे एक बार भी प्यार से दुलारा था, ना हाल चाल पूछा था।



अपना तैयार होकर निकलने लगी थी अपनी मित्र मंडली के पास,तब सासू मां से भी रहा नहीं गया था,उन्होंने मिन्नत करते हुए तुमसे  बच्चे का हवाला देकर घर रुकने के लिए बोला था तब क्या कुछ नहीं सुनाया था तूने, और तो और यहां तक कह दिया था कि गांव से लाकर तूने उनको इतने आराम दिए हैं, उन पर एहसान किया है। पर वो तेरे पैरों में बेड़ियां डालना चाहती हैं। वो चुप होकर रह गई थी। 

तूने तो कुछ भी कहते ये भी नहीं सोचा की जिस पति के पैसे के बल पर तू शान से इठलाती है,समाज सेवा के नाम पर ढोंग करती है,किट्टी पार्टी में दिल खोलकर खर्चा करती है वो तेरी नजरों में गंवार और जाहिल दिखने वाली उसी सास का बेटा है। तेरे पति को इस तरक्की के पीछे उन सास सुसर की ही सालों की मेहनत है। जरा सोच जब तू कल बुढ़ापे के दौर से गुजरेगी तब किस मुंह से अपनी औलाद से कुछ उम्मीद करेगी? जब आज तू उसको थोड़ा सा भी समय नहीं देती।

 अभी भी वक्त है संभल जा, अपने बहकते कदमों को यही रोक ले। तनुजा को अपने किए पर पछतावा होने लगा,वो तेजी से अपने कमरे से बाहर आई  और सास-ससुर और दस साल के बच्चे से अपने किए की माफी मांगने लगी। सब पहले तो उसे आश्चर्य से देखने लगे पर फिर उसकी सास ने उसे गले लगा कर कहा बेटा अगर सुबह का भुला शाम को घर वापस आ जाए तो उसे भुला नहीं कहते। उसके पति भी आज बहुत खुश थे क्योंकि घर में झगड़े होंगे इस डर से उन्होंने भी तनुजा को कुछ कहना बंद कर दिया था। उधर तनुजा भी मन ही मन अपने आपको बहुत हल्का महसूस कर रही थी क्योंकि आज आईने ने उसे आने वाली कल की झांकी दिखाकर उसकी घर वापसी कर दी थी।

डॉ पारुल अग्रवाल

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!