सास पर भारी पड़ी एक मां  

रागिनी और विपुल की शादी को दो साल बीत जाते है. इन दो सालो में रागिनी की सास देवयंती अपने चिड़चिड़े और गुस्सैल स्वभाव के कारण घर वालों को बड़ा परेशान करती है. इस चक्कर में वो अपनी बहु रागिनी को भी नही छोड़ती. उसकी सास की सिर्फ अपनी बेटी से ही बनती थी. जिसकी शादी एक ऊंचे खानदान में हो गई थी. और वह एक ही शहर में रह रही थी जब की ननंद का ससुराल तो वैसे उस शहर से दूर था और वो सिर्फ अपनी पति के साथ फ्लैट में रहती थी. जो उसके मायके के बहुत करीब था. जिसके कारण वह ज्यादातर अपना समय मौके में ही आकर बिताती. ऐसे में एक दिन जब सास देवयंती अपनी बहु को आवाज देती है,

“अरे बहु किधर हो पूरा दिन सोती ही रहोगी क्या… मेरी बेटी को देखो अपने घर का कितना सारा काम कर मायके के कम में हाथ बटाने आती है…”

“अरे नहीं माजी सुबह से थोड़ी कमजोरी लग रही है इस लिए कमरे में थोड़ा आराम कर रही थी. आपको कुछ काम था क्या…”

“तेरे मां बाप ने ससुराल में आ कर सिर्फ आराम करना ही सिखाया है क्या! मेरी बेटी को देख बेचारी कितना काम करती है…”

बहु रागिनी मन में बोलती है, “हां हां जानते है कितना काम कर के आती है, झाड़ू पोछा तो नौकरानी करती है और उसे तो बस अपने पति और उसका खाना बना कर यहां आ जाना है और मेरा काम बढ़ती है…”

“बहु कुछ बोली हो क्या…!”

“नही नही माजी कुछ नही…”

इतने में ससुर अपनी बहु का पक्ष लेते हुए बोलते है,

“क्या तुम भी बेचारी सुबह को चार बजे उठ कर अपने बेटे के लिए टिफिन बनाती है… घर का सारा काम करती है और तुम हो की हर समय उसके सर पर नाचती रहती हो!”



ये सुन कर तो सास का पारा ऊपर चढ़ जाता है वह बेलन ले कर अपनी पति को मरने भागती है. वहां बहु रागिनी आ कर अपनी सास को रोकती है. अरे माजी नहीं नहीं पिताजी को कुछ मत कीजिए आपको जो चाहिए मुझे बता दीजिए मैं आपके लिए कर दूंगी पर उनको कुछ मत करिए.”

दरअसल ससुर तो सास के सामने कभी अपना मुंह ही भी खोल पाते थे अगर कुछ बोलते भी तो ऐसे ही वह अपने पति के तरफ बेलन लेकर मारने पीटने भागती. सास के घर में होते हुए तो ससुर की घर में बिलकुल नही चलती. समय गुजरता है एक दिन जब रागिनी की ननंद रागिनी से कहती है,

“भाभी मैने आपसे कहा था ना की मुझे अपने थिएटर के नाटक में पुराना कुर्ता पहन कर जाना है, फिर आपने इसको अभी तक इस्त्री क्यूं नही की?”

“अरे बेटा तेरी भाभी कितना करेंगी… तू कम से कम अपना काम तो खुद से कर लेती!” पिता अपनी बेटी से फिर से अपनी बहू का पक्ष लेते हुए बोलते है तो सास सुन कर फिर से अपने पति के पीछे दौड़ती है. वो देख पीछे रागिनी भी जाति है और फिर से रोकती है ताकि घर में उसकी सास हिंसा ना करे. और जा कर अपनी ननंद के हाथ से कुर्ता लेकर इस्त्री करने लगती है. और ऐसे घर में आए दिन होता रहता था. लेकिन रागिनी कुछ नही कहती. और ना ही सास के सामने उसके ससुर कुछ बोल पाते. और बेटा यानी रागिनी का पति तो जिसे घर के मामलों में से कोसो दूर था. ऐसे में एक दिन जब रागिनी के  ननंद के ससुराल वाले घर आने वाले थे तो उस दिन सास बहू और ससुर में बहस शुरू हो जाती है और इतने में सास ने बहु रागिनी को धक्का दिया तो रागिनी चक्कर खा कर नीचे बेहोंश गिर पड़ी. ऐसे में रागिनी के ननंद की सास वहां आ जाती है और बहु को नीचे गिरते हुए वह बोल पड़ी,

“अरे ये क्या घर में खुद को बहू से ये व्यवहार… ये क्या समधन जी हमने तो आपको बेटी के साथ ऐसा कभी नहीं किया और करते भी कैसे हम तो उसके साथ ही नहीं रहते पर यहां तो…”



“अरे नहीं नहीं समधन जी वह तो बस बहू का पैर फिसल गया और वह नीचे गिर पड़ी इसलिए हम उसे पकड़कर कमरे में ले जा रहे है… आप जो सोच रही हैं ऐसा नहीं है!”

रागिनी को कमरे में ले जाते है और डॉक्टर का फोन करते है. डॉक्टर आते है रागिनी को देखकर बताते है कि रागिनी मां बनने वाली थी. अब घर में सब की खुशी का ठिकाना नहीं रहता. रागिनी की ननंद की सास भी सबको बधाइयां देती है की घर में अब नन्हा सा मेहमान आने वाला है. और लगे हाथ कहती है कि अब उसको भी एक पोता या पोती का मुंह दिखा दे तो वह गंगा नहा ले. लेकिन रागिनी की ननंद एक काम चोर थी. ऐसे बच्चे और घर की जिम्मेदारी संभालना बहुत मुश्किल लगता है इसलिए वह हर बार बच्चा करने से डरती. ऐसे में जब रागिनी ठीक  नौ महीने बाद एक बच्चे को जन्म देती है. तो उसकी हरकतें अभी भी नहीं सुधरती. रागिनी अपने बच्चे की देखभाल में जब अपनी सास की सेवा करनी कम करती है तो सास को फिर गुस्सा आता है और वह अपनी बहु से कहती है,

“अरे क्या पूरा दिन अपने बच्चे के साथ चिपकी रहती है… हमने भी बड़े बच्चे पैदा किए है लेकिन तेरी तरह नहीं, और पता नही ये भी कैसा है अपनी मां का जैसा कमजोर और खर्चालू, हर दो दिन में बीमार हो जाता है… और डॉक्टर के खर्चे!”

“लेकिन मां छोटे बच्चे तो बीमार पड़ते ही है ना आप ये भला कैसी बात कर रही है!”

इतना कहते हुए जब सास गुस्से में लाल सोते हुए छोटे से बच्चे को चिमटी काटने जाती है तो बहु रागिनी सास का हाथ मरोड़ देती है और कहती है,

“आज तक माजी मैं चुप रही जब आप पिताजी के साथ ऐसा व्यवहार करती थी, लेकिन अब मैं खुद मां बन गई हूं और अपने बेटे के साथ ऐसा होते हुए मैं नही देख सकती… आज तक मैने आपसे एक शब्द नही कहा लेकिन आज के बाद अगर आप मेरे बच्चे या बाबूजी के आसपास भी नजर आई तो मुझसे बुरा कोई नही होगा…”

ये कह कर रागिनी अपने बच्चे को गोद में लिए प्यार करने लगती है. और आज पहली बार बहू की इतनी ऊंची आवाज सुन सास डर जाती है. की उसका राज अब इस घर से खतम अब तो बहु उसके दो गुना आगे निकल गई है. अब उसका घेरलू हिंसा करना और मार पीट करना इस घर में नही चलने वाला. अब जब पहले बहु सास से डरती थी, अब सास बहू से डरने लगती है. और ऐसे में भाभी से डर के अब ननंद का भी घर पर आना जाना कम हो जाता है.

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