दीदी ! रोमा की शादी में तो जीजा जी आए नहीं थे पर इस बार वीरेन की बारात उनके बिना नहीं जाएगी, कह देना उनको । अभी रिश्ते की बात चल रही है सिर्फ़….. इसलिए पहले से ही निमंत्रण भेज रही हूँ अपने ननदोई को, ऐसा ना हो कि बाद में बोले , ये काम था और वो काम था ।
अपनी भाभी लतिका की बात सुनकर पिंकी गदगद हो उठी । उसने चहकते हुए अपने पति माधवन को भाभी की बात बताई पर उसकी उम्मीद के विपरीत माधवन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी । पिंकी को बहुत आश्चर्य हुआ कि ऐसे अपनेपन भरे सम्मानित शब्दों को सुनकर कोई बिना बोले कैसे रह सकता है? उस समय तो पिंकी कुछ नहीं बोली पर अगले दिन सुबह हर रोज़ की तरह ,जब वे दोनों पति-पत्नी टहलने निकले तो पिंकी ने माधवन से कहा —-
माधव ! एक बात पूछूँ…. सच-सच बताओगे ना ?
मुझे पता है कि तुम क्या पूछना चाह रही हो ? छोड़ो … देखो कितनी सुहावनी सुबह है , इसका आनंद उठाओ ना … क्यूँ अपना और मेरा मूड ख़राब करती हो ?
पिंकी समझ गई कि कोई न कोई गहरी बात तो है, जिसका उसे पता नहीं । इतवार का दिन था । दोनों पति-पत्नी इत्मीनान के साथ घूमकर आए । पिंकी ने घर आकर चाय बनाई । बार-बार उसके होंठों पर बात आती कि माधवन से पूछे पर वह ज़बरदस्ती खुद को रोक रही थी । उसने सोच लिया कि बात तो पूछकर ही रहेगी पर सही समय का इंतज़ार करना पड़ेगा ।
तक़रीबन दो हफ़्ते बाद ही भाभी ने बताया कि जहाँ वीरेन के रिश्ते की बात चल रही थी, वहाँ रिश्ता पक्का हो गया है । उन्होंने आज फिर पिंकी को याद दिलाते हुए कहा—
दीदी ! जीजाजी को ख़ास तौर पर हमारी तरफ़ से कह देना कि इस बार कोई बहाना नहीं सुनने वाले हम । रोमा की शादी में मुझे और तुम्हारे भैया को बहुत ही बुरा लगा था कि घर के इकलौते ननदोई शादी में नहीं आ पाए । माँ भी पूरी शादी में कितनी उदास रही थी ।
पर इस बार पिंकी ने माधवन से कुछ नहीं कहा । बस इतना बताया कि भतीजे का रिश्ता पक्का हो गया ।
उसी शाम भैया का भी फ़ोन आया और उन्होंने खुद माधवन को इसकी सूचना देते हुए विशेष निवेदन किया कि छुट्टियाँ बचाकर रखें ।
वीरेन की सगाई का दिन निश्चित हो गया तथा लतिका ने पिंकी को फ़ोन करके कहा—-
दीदी! तीन छुट्टियाँ बन रही है । शनिवार, इतवार और सोमवार की गैजेटिड होलीडे है तो इतवार का अच्छा मुहूर्त है । उस दिन की सगाई रख लेते हैं । आप सभी शुक्रवार की शाम को आ जाइए । फिर सोमवार की शाम वापस चले जाइएगा । जीजाजी से बात करके बता देना ।
पिंकी ने उसी समय ऑफिस में फ़ोन करके माधवन को पूरी बात बताते हुए पूछा कि क्या उसके हिसाब से ये प्रोग्राम सही रहेगा? पर पिंकी का सारा उत्साह उस समय छूमंतर हो गया जब माधवन ने यह कहते हुए फ़ोन रख दिया कि शाम को घर आकर बात करेंगे अभी मीटिंग में व्यस्त हैं ।
अब पिंकी का सब्र टूट गया । शाम को माधवन के आते ही उसने चाय का प्याला पकड़ाते हुए कहा—-
माधव ! क्या बात है ? जब भी मायके से भैया- भाभी का फ़ोन आता है शादी को लेकर, तुमने एक बार भी जाने की बात स्वीकार नहीं की । एक ही तो भाई है मेरा ….. भतीजी की शादी में तुमने बैंक के कलोजिंग सैशन की बात कह दी थी, अब इस पीढ़ी की आख़िरी शादी है पर मुझे तो ऐसा लग रहा है कि इस बार भी जाने का मूड नहीं है । शादी के बाद आप गिनी- चुनी बार ससुराल गए हो वो भी माँ – पापा से मिलकर दिन के दिन वापस आ गए । तुम्हें मेरी क़सम है…..बताना ही पड़ेगा ।
पहले तो माधवन ने पत्नी को बहलाने की कोशिश की पर पिंकी का उखड़ा मिज़ाज देखकर माधवन बोला —-
अच्छा, प्रामिस करो कि बात सुनकर एकदम से ग़ुस्से से कोई एक्शन नहीं लोगी …. तुम्हें याद होगा कि शादी से कुछ महीनों पहले तुम हम सभी दोस्तों को रोमा के जन्म की दावत पर अपने घर लेकर गई थी ।
हाँ….तो ?
नहीं…. उसी दिन शायद लतिका भाभी का परिवार भी वहाँ किसी रस्म अदायगी के लिए मौजूद था ?
हाँ- हाँ….बात बताओ …. ये क्या पहेलियाँ बुझा रहे हो?
पिंकी! उसी समय लतिका भाभी ने अपनी बहन या भाभी से हँसते हुए कहा था——
पिंकी के इस दोस्त को देखकर तो उल्टी सी आती है, उल्टा तवा है । कोई देखकर कहेगा इसे कि पिंकी का दोस्त है…. नौकर समझकर कोई झूठी प्लेट ही ना पकड़ा दे …. मुझे तो बताते हुए भी शर्म आ रही है कि ननद का दोस्त है ।
इसलिए….. बस कि कहीं मेरे कारण उन्हें परिचय करवाने में शर्म ना महसूस हो …. मैं रोमा की शादी में नहीं गया ।
और ये बात आज बता रहे हो…. इतने सालों बाद ? इसलिए तुमने ज़िद पकड़ ली थी कि हमारी शादी तुम्हारे घर पर होगी… सही है ना ?
हाँ पिंकी, मैं नहीं चाहता था कि तुम्हारे परिवार वालों को मेरी वजह से शर्मिन्दा होना पड़े इसलिए शादी चेन्नई में ही हुई थी ।
माधवन की बातों से पिंकी के मन को गहरी ठेस पहुँची । उसकी भाभी ने उसके दोस्तों का इस तरह मज़ाक़ उड़ाया था । बेचारा माधवन …. कितना बड़े दिल का है कि आज तक उसने मेरे सामने भी इस बात का ज़िक्र नहीं किया ।
ख़ैर , जिस शुक्रवार को उन्हें सगाई के लिए निकलना था , वे नहीं गए हालाँकि माधवन ने पिंकी को बच्चों के साथ जाने के लिए कहा पर उसने साफ़ इंकार करते हुए माधवन को इस मामले से दूर रहने के लिए कह दिया । शाम को लतिका के कई फ़ोन आए पर पिंकी ने रात के आठ बजे आए फ़ोन का जवाब देते हुए कहा—-
भाभी, कुछ ज़रूरी काम आ गया है । हमारा इंतज़ार मत करना , आप लोग चले जाना ।
पिंकी के जवाब देने के ढंग से लतिका समझ गई । वह अगले दिन सुबह सात बजे ही बेटे वीरेन और पति के साथ पिंकी के घर पहुँच गई ।
पिंकी और माधवन तो सुबह की सैर के लिए गए हुए थे । बच्चे घर में ही थे । लतिका ने चाय बना ली और तब तक ननद-ननदोई भी वापस आ गए ।
चाय पीते-पीते ही भैया ने पिंकी से सारी बात पूछी । आज फिर माधवन ने बात को टालना चाहा पर पिंकी ने बीच में टोकते हुए कहा—-
एक मिनट माधव , मुझे बात करने दो और उसने वहीं सबके सामने बरसों पहले कहे शब्दों को दोहराते हुए कहा—-
भाभी! ठीक है…. उस दिन माधव सिर्फ़ मेरा दोस्त था पर क्या किसी के रुप – रंग के बारे में टीका- टिप्पणी करनी अच्छी बात है? आपको माधवन उल्टा तवा नज़र आता है पर मुझे उसकी इंसानियत, उसके संस्कार और दूसरों के लिए आदर- सम्मान नज़र आता है । आपको अपनी ननद के परिवार का परिचय देने में संकोच ना हो इसलिए केवल माधव ही नहीं, हम कोई भी नहीं आएँगे ।
भाभी! माधव तो आज भी इस बात को बताना नहीं चाहते थे पर मन की गाँठ परिवार के बीच खोलनी आवश्यक है इसलिए मैंने पूरी बात बताई है ।
लतिका ने आँखों के आँसू पोंछे और लज्जित स्वर में बोली —
हाँ जीजाजी! उस दिन मैंने आपका मज़ाक़ उड़ाया था पर उस दिन आप हमारे परिवार का हिस्सा नहीं थे … केवल पिंकी दीदी के दोस्त थे । मुझसे सचमुच बहुत बड़ी गलती हुई थी, इस तरह की घटिया बातें नहीं करनी चाहिए …. मुझे माफ़ कर दीजिए । मैं अपने दोनों बच्चों की क़सम खाकर कहती हूँ कि जितना मान- सम्मान मेरे दिल में आपके लिए है उतना किसी के लिए नहीं ।
मैं अक्सर मन ही मन में सोचती थी कि हम कितने भाग्यशाली हैं जो आप जैसा सुलझा हुआ समझदार दामाद मिला । एक बार मुझे मेरे कहे शब्दों के लिए क्षमा कर दीजिए ।
इतना कहकर लतिका ने छोटे ननदोई के सामने जैसे ही हाथ जोड़ने के लिए उठाए , उन्होंने आगे बढ़कर भाभी के सामने हाथ जोड़कर कहा—-
भाभी! आप हाथ जोड़ती हुई अच्छी नहीं लगती । बड़े तो आशीर्वाद देते हुए अच्छे लगते हैं । पिंकी! चलने की तैयारी करो , हम सब वीरेन बेटे की सगाई के लिए अभी निकलते हैं, लंच कहीं रास्ते में कर लेंगे ।
सगाई वाले दिन स्टेज पर बैठे मेहमानों का परिचय करवाने के लिए जब लतिका और उनके पति को कहा गया तो उन्होंने अपने सास- ससुर के परिचय के बाद ननद- ननदोई का परिचय देते हुए कहा—-
ये हैं वीरेन के फूफा श्री माधवन और बुआ पिंकी ……
आज लतिका के हर्षपूर्ण स्वर ने बरसों की पड़ी मन की गाँठ को खोल दिया था ।
लेखिका : करुणा मलिक