#भरोसा
रूही के पापा का यूँ असमय जाना उसके लिये बहुत दुखदाई था पर उससे ज्यादा परेशान उसे मम्मी का सुध-बुध खो देना कर रहा था…ऐसा लग रहा था कि महज चौदह वर्ष की उम्र में ही उसके साथ ऐसा क्यूँ हुआ…!!!!
पापा के जाने के बाद उनके ही परिवार ने मम्मी को भरोसे में लेकर साईन करा लियें और सब अपने नाम कर लिया जब उनकों समझ आया तो वो पूरी तरह से टूट गयी कि इकलौती बेटी के साथ कैसे ज़िन्दगी काटेंगी…!!!!
एक तो पापा के जाने का सदमा व दूसरा अपना सबकुछ खो देना इतना टूट गयी कि सुसाइड करने का सोच लिया और एक रात ने आप को आग लगा ली…वही बेटी भी सोई थी..उनके
हिसाब से वो भी वही खत्म हो जायेगी….!!!!
पर…जाकों राखे सांईया मार सके ना कोय…एकदम उसकी नींद खुली और उसने पहले कमरे की खिड़की खोली फिर गद्दें से आग बुझाने की कोशिश की…उसके दोनों हाथ झुलस गयें पर बहुत देर हो चुकी थी…वो जैसे-तैसे कमरे से बाहर तो सबने जाकर आग बुझाई….पर मम्मी को बचा ना सकें…!!!!
पुलिस आई बयान हुए सब के रूही का भी बयान हुआ उसने किसी के खिलाफ नहीं बोला वो तो नादान थी उसे कुछ समझ ही नहीं थी….!!!!
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बाद में घर पर ही किसी की बातों से पता चला कि मम्मी की चिठ्ठी मिली थी अगर पुलिस के हाथ लग जाती या रूही उनके खिलाफ बयान
देती तो पूरा परिवार जेल में होता…!!!!
रूही सबके साथ खुश रहना चाहती थी पर कैसे जो मम्मी के होने पर साथ नहीं थे वो अकेली लड़की का भरोसा कैसे नही तोड़ते…????
रूही ने परिवार को मुसीबत में नहीं डाला मगर उनका मां के जाने के बाद बर्ताव बदल गया था हालांकि पढ़ाया लिखाया समाज और के डर से लेकिन कुछ दिल दुखानें वाली ऐसी बातें होती जिन्हें वो खामोशी से सुन तो लेती पर उसका दर्द और बढ़ा देती थी….वक्त गुज़र गया फिर उन्होंने उसकी शादी करा दी….बस उसके बाद सब छूट गया…!!!!
आज रूही अपने पति व दो बच्चों के साथ बहुत खुश है कहतें हैं ना वक्त से बढ़कर कोई मरहम नहीं होता…पर आज उसे लगता है कि अगर मम्मी का भरोसा ना टूटता तो वो ऐसे हिम्मत ना हारी होती…!!!!
गुरविंदर टुटेजा
उज्जैन (म.प्र.)