सौतेली माँ – ममता गुप्ता

आज राहुल की पत्नी को मरे हुए पांच साल हो गए थे… राहुल की पत्नी आरती का एक कार एक्सीडेंट के दौरान मौत हो गई थी…।आरती ने अंतिम सांस लेते वक्त राहुल से कहा था कि” हमारे बेटे (शुभम) को आप माँ औऱ बाप का दोनो का प्यार देना…।उसको हमेशा अपने साथ रखना..कभी दूर मत जाने देना…! मेरे बेटे शुभम को….बस अंतिम सांस पर भी आरती के मुँह पर अपने बेटे शुभम की फिक्र थी…एक माँ को अपने बच्चे की फिक्र होती ही हैं, औऱ आरती को अपने बच्चे की फिक्र हो भी क्यों नही…क्योंकि शुभम की उम्र अभी 7 साल की ही थी। 7 साल की उम्र में माँ का आँचल छूट जाना बहुत ही दयनीय होता हैं।

राहुल ने अपनी पत्नी को दिया हुआ वादा पूरे शिद्दत से निभाया अपने बेटे की देखभाल बिल्कुल एक माँ की तरह करता।

घर वाले बहुत बार कह चुके थे कि”बेटा दूसरी शादी कर ले ताकि शुभम को एक माँ मिल जायेगी औऱ तुझे भी एक जीवनसाथी। लेकिन राहुल हमेशा यही कहता था कि”दूसरी शादी करने पर कही उसका प्यार बट न जाये… औऱ क्या पता आने वाली जीवनसाथी शुभम के प्रति कैसा व्यवहार रखे..। इसलिए वह दूसरी शादी के लिए कभी भी राजी नही था।।

लेकिन एकदिन राहुल के मामा आये । राहुल के लिए एक रिश्ता लेकर..।राहुल की माँ यशोदा औऱ पिता किशन जी तो इस रिश्ते के लिए तैयार थे लेकिन राहुल राजी न हुआ।

तभी राहुल के पिता किशन जी ने उसे समझाया”बेटा जानता हूँ तू आरती से बहुत प्यार करता था…लेकिन जरा सोच जब आरती तुझे ऐसे उदास देखती होगी तो उसकी आत्मा भी तो दुःखी होती होगी ना… मैं जानता हूँ कि जो ज़िम्मेदारी तुझे आरती सौप के गई है तू उसे बड़ी ही शिद्दत से निभा रहा है… लेकिन बेटा तू अपने व शुभम बारे में तो थोड़ा सोच.. सारा जीवन अकेले कैसे कटेगा… हर किसी को एक न एकदिन जीवनसाथी की जरुरत पड़ती है,औऱ एक बच्चे को माँ की जरूरत पड़ती हैं। जीवन मे साथ चलने वाला न हो तो यह जीवन पहाड़ जैसे लगने लगता हैं… उम्र का एक पड़ाव ऐसा आता हैं, जहां जीवनसाथी की आवश्यकता महसूस होने लगती हैं… औऱ बेटा तेरे मन मे जो भी संशय हैं नए जीवनसाथी के लिए तू उसे मौका देगा तभी तो दूर होंगे ना…!!

पिता किशन ने समझाते हुए कहा।

पिता के बार बार समझाने पर राहुल को भी महसूस होने लगा कि”पिता जी ठीक कह रहे हैं..।वह दूसरी शादी के लिए राजी हो गया…घर मे शादी की तैयारी होने लगी…।



घर मे रौनक देख शुभम ने अपने पापा से पूछा-“पापा हमारे यहाँ यह क्या हो रहा है…?आज कौनसा फेस्टिवल हैं…? या फिर कोई आने वाला है ..? शुभम ने सवाल किए।

नही नही!!बेटा आज कोई फेस्टिवल नही है… आज हम तुम्हारे लिए नई माँ लेने जा रहे हैं…। आज तेरे पापा की शादी है…!!तभी पास में खड़ी दादी यशोदा जी ने जवाब दिया।।

नई माँ.???शुभम ने आश्चर्य से बोला।

नई माँ मतलब मेरी सौतेली माँ….!!नही नही …!!!

नई माँ बहुत ही गंदी होती है…!!वो बच्चो को बहुत ही मारती है… खेलने भी नही देती औऱ हर वक्त काम करवाती रहती है डांटती रहती है…। नई माँ मुझे नही चाहिए… मुझे नही चाहिए। शुभम ने रोते हुए कहा।।

यह सब तुझसे किसने कहा…? दादी ने शुभम से पूछा।।

दादी ..वो मेरी क्लास मैं पीहू पढ़ती हैं ना..उसकी माँ भी मेरी माँ की तरह भगवान के पास चली गई …तब उसके पापा भी उसके लिए दूसरी माँ ले आये…। जब से पीहू के पापा दूसरी माँ लेकर आये है, तब से वह भी पीहू से अच्छे से बात नही करते औऱ हर वक्त पीहू को डांटते रहते हैं औऱ पीहू की नई माँ तो बस अपने ही बच्चो को प्यार करती है… पीहू को कभी भी प्यार से स्पर्श नही करती बल्कि उसको बात बात पर मारती औऱ डांटती रहती है…!! कभी कभी तो पीहू को खाना तक नही देती है..!!पीहू जब भी स्कूल आती है तब यही कहती हैं कि उसकी नई माँ बहुत बुरी हैं…!! ग़र नई माँ ऐसी होती हैं तो मुझे नई माँ नही चाहिये… शुभम ने रोते हुए कहा।।।

नही शुभम बेटा…!!सभी नई माँ एक जैसी नही होतीं हैं।। तुम्हारी नई माँ तो बहुत अच्छी है,देखना वो तुम्हे कितना प्यार करेंगी… दादी ने समझाते हुए कहा…लेकिन शुभम के मन मे बैठा हुआ डर शायद ही यशोदा जी की बातो से दूर नही हो पाता…।

शुभम को रोता देखकर राहुल ने पूछा क्या हुआ…?शुभम क्यो रो रहा है माँ…?

कुछ नही शुभम नही चाहता कि उसकी नई माँ आये… यशोदा जी ने कहा।।



ग़र शुभम नही चाहता तो ठीक ही है ना… उसकी खुशी में ही मेरी खुशी हैं…!! “मैं यह शादी नही करूंगा।।राहुल ने कहा

तू पागल हो गया है क्या…?दोनो परिवारों ने शादी की तैयारी कर ली हैं…? औऱ शुभम क्या आज नही तो कल उसे भी अपनी नई माँ की आदत हो जाएगी…? अब ज्यादा न सोच औऱ घोड़ी पर चढ़ने के लिए तैयार हो जा।।

राहुल फिर से दूल्हा बना औऱ उसके जीवन मे पूनम का आगमन हुआ…!! सभी रीति रिवाजों रस्मो से नई दुल्हन पूनम ने घर मे प्रवेश किया।।

पूनम बहुत ही संस्कारी औऱ नेक दिल इंसान थी…! उसके पहले पति की भी असमय मौत हो जाने के बाद उसके ससुराल वालों ने उसे और उसकी बेटी माही को घर से निकाल दिया था…।पूनम के आगे भी अपनी सारी उम्र पड़ीं थी जिसे किसी न किसी सहारे की जरूरत थी।

पूनम के पीहर वाले भी राहुल को दामाद के रूप में पाकर बहुत खुश हुए।।

पूनम के आते ही घर मे खुशियों का माहौल बन गया था…पूनम ने अपने प्यार औऱ अपनेपन से सभी के दिल मे जगह बना ली थी…सिवाय शुभम के।

वो शुभम को अपने पास बैठाकर उसे प्यार से स्पर्श करना चाहती थी..उसे अपने सीने से लगाकर प्यार करना चाहती थी…औऱ प्यार से सिर पर हाथ फेरते हुए लोरी सुनाना चाहती थी। पूनम भी बहुत कोशिश करती थी कि शुभम औऱ माही दोनो एक साथ खेले ताकि भाई बहन में प्यार बढ़े।।

लेकिन !!”शुभम कह देता..नई माँ गंदी होती है…!!  शुभम के मुँह से यह शब्द सुनकर पूनम के दिल पर ठेस लगती थी…राहुल भी कभी कभी शुभम की इस बेइत्तमजी के लिये उसे फटकार लगाता भी तो पूनम कह देती थी कि बच्चा हैं उसे अभी समझ नही है..धीरे धीरे उसे समझ आ जाएगी… आप उसे डाँटो मत।।।

राहुल भी शुभम के प्रति पूनम की ममता देखकर समझ गया कि वो कितनी बैचेन हैं शुभम को अपनी ममता की छाव में रखने के लिए…।

शुभम भी अभी छोटा बच्चा ही था…उसे भी समय तो लगेगा ही पूनम को अपनी माँ स्वीकार करने में। आखिर शुभम के मन मे जो डर बैठा हुआ है कि नई माँ गंदी होती है… उसे कैसे दूर करे।।।

एकदिन शुभम टेबल पर बार बार चढ रहा था औऱ उस पर से नीचे कूद रहा था… चढ़ता औऱ कूदता यह देखकर पूनम ने उससे कहा”शुभम बेटा देखो ऐसा खेल बच्चे नही खेलते हैं, तुम्हे चोट भी लग सकती है बेटा।। चलो तुम और माही दोनों बैठकर एक जगह खेल लो….।

लेकिन !!”शुभम तो पूनम की बात सुनता ही नही था… उसे तो अपनी नई माँ गंदी लगती थी…शुभम ने पूनम की एक बात नही मानी औऱ आखिर वही हुआ जिसका पूनम को डर था…शुभम टेबल पर से गिर गया औऱ उसके सिर पर चोट आ गई…शुभम के गिरने की आवाज सुनते ही पूनम अपना काम  छोड़कर भागते हुए आई…औऱ शुभम के सिर पर लगी चोट से खून निकलता देख रोने लगी…मैने तुम्हे मना किया था ना कि टेबल पर से नीचे मत कूदो….।। पूनम को कुछ समझ नही आ रहा था क्या करे…क्योंकि राहुल ऑफिस गए औऱ सास ससुर मंदिर गए थे…!

पूनम तुरन्त शुभम को गोदी में उठाकर डॉक्टर के पास लेकर गई…डॉक्टर ने शुभम को देखा औऱ कहा-“इसके तो टाँके लगाने पड़ेंगे…टाँके का नाम सुनते ही पूनम की रूह कांपने लगी…इतना छोटा बच्चा कैसे दर्द सहन कर पायेगा…। पूनम ने शुभम को अपनी गोदी में लिटाया फिर डॉक्टर ने शुभम के सिर पर लगी चोट पर जैसे ही टाँके लगने लगे…शुभम दर्द से कहराने लगा… पूनम को भी अपने बच्चे का दर्द से दिल औऱ आँखे दोनो ही रोरहे थे वह बार बार शुभम के हाथों को चूमती औऱ उससे हिम्मत देती हैं कि मेरा प्यारा बच्चा…।।

शुभम की खबर सुनते ही राहुल भी अस्पताल पहुँच गया…!!

शुभम को देखकर उसकी आँखें नम थी…। पूनम ने राहुल को संभालते हुए कहा”हमारा शुभम बिल्कुल ठीक है…!! औऱ मैं हूँ ना इसका ख्याल रखने के लिए…!! शुभम को भी अब अपनी नई माँ के प्रति थोड़ा लगाव होने लगा… उसे महसूस होने लगा कि नई माँ बिल्कुल मेरी माँ जैसे प्यार करती है। शुभम अपनी नई माँ के गले लग गया।

दोनो मिलकर शुभम को अस्पताल से घर ले जाने लगे तभी

अस्पताल में पड़ोस की कुछ महिलाएं भी थी …शुभम के सिर पर लगी चोट को देखकर बोली-“अरे शुभम!! के सिर पर ये चोट कैसे लगी…? क्या पता चोट लगी या सौतेली माँ ने कही से धक्का दिया हैं…!! सौतेली माँ जो ठहरी इसे फुर्सत ही नही मिलती होगी खुद की बच्ची को संभालने से उस पर से फुर्सत मिले तभी तो सौतेले बेटे पर ध्यान देगी ना…!! न जाने क्या क्या बातें बनाने लगी। सौतेली माँ है औऱ सौतेली माँ ऐसी ही होती है…!!



उनकी बातें सुनकर पूनम के मन मे सवालों का सागर उमड़ पड़ा…”

एक ही लफ़्ज़ बार-बार कानों में गूंजता… सौतेली मां! क्या  ताउम्र इस एक शब्द से जंग लड़ती रहूंगी.. क्या यही एक मेरी पहचान बनकर रह गया है.. हर बार अग्निपरीक्षा, हर बात पर अपनी ममता साबित करना… जैसे कोई अपराधी हूं मैं और ये पूरा समाज ही मुझे कठघरे में खड़ा करके सवाल करने का हक़ रखता हो… क्यों दूं मैं सफ़ाई? क्यों करूं ख़ुद को साबित…? मां स़िर्फ मां होती है, उसकी ममता सगी या सौतेली नहीं होती… लेकिन कौन समझता है इन भावनाओं को. दो कौड़ी की भी क़ीमत नहीं है मेरी इन भावनाओं की…’

पूनम औऱ राहुल बिन जवाब दिए ही शुभम को लेकर घर आ गए..शुभम के सिर पे पट्टी बंधी देख कर यशोदा जी गुस्से में बोली-“आज जरा सा मंदिर क्या चले गए…”तू मेरे पोते का ख्याल भी नही रख पाएगी…। लेकिन तू क्यो ध्यान रखेंगी तेरे लिए तो ये सौतेला हैं, जो बातें अस्पताल में सुनकर आई वही ताने आज माँ जी के मुँह से सुनने पर पूनम को सच मे बहुत ठेस पहुँची…पूनम ने अपनी बच्ची माही औऱ शुभम में कभी कोई फर्क नही किया…दोनो को ही समान रूप से प्यार किया लेकिन एक सौतेली माँ ग़र अपने बच्चों के लिए जान भी दे दे तो वह तब ही सौतेली ही कह लाएगी…।

तभी शुभम ने कहा-“दादी मेरी नई माँ बहुत ही अच्छी है, वो मेरा बहुत ही ख्याल  औऱ मुझे ढेर सारा प्यार भी करती है।

मेरी नई माँ की कोई गलती नही है… गलती मेरी ही हैं, मैं ही टेबल से बार बार कूद रहा था…माँ ने मना किया लेकिन मैंने उनकी बात नही मानी…औऱ मैं गिर गया। इसमें माँ को क्यो डांटना। शुभम ने अपनी पूनम आँसू पोछते हुए कहा।।

यशोदा जी को भी अपने शब्दों पर शर्मिंदा होना पड़ा… उन्होंने पूनम से माफी मांगी की मुझे माफ़ कर दे बहू शुभम की ऐसी हालत देखकर मुझे रहा नही गया औऱ मैने न जाने तुम्हे बेवजह क्या क्या सुना दिया।।।

कोई बात नही माँ जी…शायद यह एक माँ की बदकिस्मती होती है कि उसे सौतेली माँ का तमगा पहना ही दिया जाता है,पड़ोसी हो या रिश्तेदार ,घर वाले वो कभी सौतेली माँ की भावनाओं को समझ ही सकते वो नही जानते कि  हर तरह से बच्चो औऱ परिवार वालो को जीवन का अहम हिस्सा समझती है औऱ यह सबकुछ अपना फर्ज समझकर नही बल्कि बच्चो प्यार व अपनेपन की गहरी भावना चलते वह हर वक्त खुशी देना चाहती है लेकिन फिर भी बात बात पर सौतेलेपन का अहसास करवाना बहुत पीड़ादायक हैं पूनम ने अपनी मन की बात कही।

लेकिन पूनम को खुशी थी कि”जिस बच्चे के लिए वह इस घर मे आई थी उसे अपनी ममता की छाव में रखने व अपने मातृत्व के स्पर्श से उसके अंदर पल रहे डर को दूर कर दिया।।

शुभम अब अपनी नई माँ औऱ बहन के साथ साथ खूब खेलता औऱ मौज मस्ती करता… औऱ पूनम को नई माँ नही बोलता बल्कि …माँ कहकर बुलाता था…शुभम के मुँह से “माँ शब्द सुनकर पूनम की आत्मा तृप्त हो जाती थी।

स्वरचित

ममता गुप्ता

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