मायके का कर्ज़ – मुकेश पटेल

कंचन का बचपन से सपना था कि वह बड़ी होकर  टीचर बने.  इसलिए उसने जैसे ही ग्रेजुएशन किया उसके बाद उसने B.Ed किया.  B.Ed के रिजल्ट आने से पहले ही उसके पापा के दोस्त ने उसके लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता लेकर आए।  लड़का भी सरकारी स्कूल में टीचर था उसके पापा भी सरकारी स्कूल में ही प्रधानाध्यापक थे। 

 कंचन के पापा को यह रिश्ता बहुत पसंद आया कंचन की मां ने कंचन से भी कहा, “बेटी हमें तो यह रिश्ता पसंद है तुम कहो तो हां बोल दे।”   कंचन को यह रिश्ता मन ही मन पसंद आ गया था  क्योंकि उसका तो ड्रीम ही था टीचर बनने का और उसकी शादी ऐसे घर में होने जा रही थी जहां  होने वाले ससुर और पति भी टीचर थे।  उसने अपनी मां से कहा, “मैं क्या कहूं आप लोगों को जो अच्छा लगे वह देख लो।”  मां तो मां होती है वह समझ गई कि कंचन को यह रिश्ता पसंद है। 

कंचन खूबसूरत के साथ ही पढ़ी-लिखी भी थी तो  लड़के वाले को एक ही नजर में पसंद आ गई फिर क्या था चट मंगनी पट ब्याह और कंचन अपने ससुराल पहुंच गई। 



 कंचन के ससुराल में भरा पूरा परिवार था जेठ-जेठानी और उसके बच्चे एक देवर-ननंद और सास-ससुर। 

कंचन एक पढ़ी लिखी समझदार बहू थी उसे रिश्ते निभाना बखूबी से आता था।  कुछ ही दिनों में घर वाले कंचन को बहुत प्यार करने लगे। 

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मायके में उसने किचन में कभी पैर भी नहीं रखा था लेकिन ससुराल में अपनी जेठानी के साथ मिलकर यूट्यूब से रेसिपी सीख कर ट्राई करती रहती थी। धीरे-धीरे कुकिंग में भी मास्टर हो गई थी। 

 पहले जेठानी के बच्चे बाहर ट्यूशन पढ़ने जाया करते थे लेकिन कंचन ने अब बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया था और अगले 1 साल में ही उनके रिजल्ट में बहुत फर्क हो गया था पहले वह 60% से ऊपर नहीं जा पाते थे लेकिन अब हर विषय में 90% नंबर लाने लगे। 

 यहां तक कि अपने देवर और ननद की पढ़ाई में भी हेल्प करने लगी।  कुल मिलाकर कहा जाए तो घरवाले कंचन से खुश रहते थे। 

 एक दिन कंचन की एक सहेली रागिनी ने कंचन को फोन कर कहा, “कंचन तुम्हें पता है टीचर की वैकेंसी निकली है तुम भी  फॉर्म भर दो।” 

कंचन का पति रितेश जब शाम को स्कूल से घर आया तो उसने अपने पति से यह बात बताई कि टीचर की वैकेंसी आई हुई है और वह फॉर्म भरना चाहती है।  रितेश ने कंचन को समझाया, “कंचन यह ध्यान रखो कि तुम एक संयुक्त परिवार में रहती हो और कोई भी फैसला मैं और तुम मिलकर नहीं ले सकते हैं इसके लिए मां से पूछना होगा क्योंकि मां को इस घर की बहू को बाहर काम करना पसंद नहीं है।” 

 तुम्हें बता दूं कि भाभी ने ब्यूटी पार्लर का कोर्स किया हुआ है उनका बहुत मन था ब्यूटी पार्लर खोलने का लेकिन माँ ने मना कर दिया इसीलिए एक बार इस बारे में मां से डिस्कस कर लेते हैं फिर अगर माँ कह देगी तो तुम्हारा फॉर्म भरवा दूंगा। 

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 कंचन ने कहा, “यह क्या बात हुई रितेश यह मेरी जिंदगी है मैं चाहे जैसे चाहूं जीऊँ  मैंने पढ़ाई लिखाई इसलिए नहीं की थी कि अपनी जिंदगी चारदीवारी में बंद कर लूंगी मेरे भी कुछ सपने हैं मेरे भी कुछ अरमान है मैंने B.Ed इसीलिए किया था कि मैं टीचर बन सकूं। 



रितेश ने अपनी पत्नी कंचन को समझाया, “देखो कंचन शादी होने के बाद जब लड़की ससुराल में जाती है उसे हर काम करने से पहले अपने घर परिवार से सलाह लेना उचित होता है और आवेश में किया गया कोई भी कार्य सही नहीं होता है इसीलिए मुझे थोड़ा समय दो मैं तुम्हारी B.Ed की डिग्री बेकार नहीं होने दूंगा कुछ ना कुछ जरूर तुम्हारे लिए करूंगा।” 

 सुबह  नाश्ता करते हुए रितेश ने अपनी मां से कहा, मां टीचर की वैकेंसी आई हुई है कंचन ने भी B.Ed किया हुआ है अगर आपकी इजाजत हो तो कंचन का फॉर्म भरवा देता हूं।” 

 कंचन की सास ने कहा, “रितेश कैसी बात करते हो अब क्या इस घर की औरते  जाएंगी बाहर काम करने क्या इस घर के मर्दों ने हाथ में चूड़ियां पहन लिया है तो फिर ऐसा करो तुम सब लोग घर में ही रहो हम सारी औरतें ही बाहर कमाने जाएंगी।” 

 रितेश ने बात का बतंगड़ बनाना सही नहीं समझा उसने मां को बस इतना कहा, “ठीक है माँ आपकी जैसी इच्छा”  उसके बाद वह स्कूल चला गया। 

कंचन के ससुर भी वही नाश्ता कर रहे थे और मां बेटे की सारी बात सुन रहे थे उन्होंने देखा कि कंचन की सास ने  जब फॉर्म भरने से मना कर दिया तो कंचन का मन उदास हो गया उन्होंने कंचन को खुश रखने के लिए कहा अरे वाह बेटी आज तो तुमने पोहा क्या स्वादिष्ट और लाजवाब बनाया है मेरा तो मन है कि एक छोटा सा रेस्टोरेंट्स खोल दूँ  क्यों बहू। 

 दोपहर में जब उसने अपनी मां से फोन पर बात कर रही थी तो यहां की सारी बातें अपनी मां से बताई उसकी मां ने कहा, “देखो बेटी अब तुम्हारा  ससुराल ही तुम्हारा घर है सास ससुर भी तुम्हारे दुश्मन नहीं है वह भी तुम्हारे मां-बाप की तरह है और मां बाप अपने बच्चे की हमेशा भलाई सोचते  है। यह भी तो सोचो कि वो लोग तुम्हें कितना प्यार करते हैं।  तुमने आज तक कभी भी मुझसे  अपने जेठानी या सास की शिकायत नहीं की क्योंकि उन लोगों ने तुम्हें शिकायत करने का मौका नहीं दिया।  फिर इस छोटी सी बात को लेकर घर में मनमुटाव क्या करना। जब तुम्हारा पति बोल ही रहा है कि वह कुछ ना कुछ करेगा तो बस तुम शांत रहो और सब के साथ प्यार से रहो।” 

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एक  दिन कंचन के पति रितेश ने कहा कंचन  मैंने मां से बात करी है अगर तुम्हें पसंद है तो घर में तुम ट्यूशन पढ़ा सकती हो इससे तुम्हारे पढ़ाने का सपना भी पूरा हो जाएगा। साथ के साथ कुछ कमाई भी  कर लोगी। 

 कंचन को यह आइडिया बुरा नहीं लगा उसने एक पल मे ही  हां कर दी। 

 फिर क्या था अगले दिन ही कंचन के पति ने एक बोर्ड  बनवा कर दरवाजे पर लगा दिया फिर थोड़े दिनों के अंदर ही मोहल्ले के लड़के लड़कियां कंचन के पास ट्यूशन पढ़ने आने लगे।  कंचन के पढ़ाने का अंदाज इतना अच्छा था कि धीरे-धीरे उसके पास इतने बच्चे हो गए कि उन्हें ऊपर एक छोटा सा कमरा बनवाना

पड़ा। 

 कंचन के ससुराल में एक रिवाज था कि जो लोग भी कमाते थे उसमें से घर चलाने के लिए पैसे कंचन की सास को देते थे चाहे  कंचन के ससुर जी हो जेठ जी हो या फिर उसका  पति रितेश।  कंचन को भी जब  बच्चे ट्यूशन फीस देते थे उसमें से ₹2000 वह अपनी सास को दे देती थी बाकी अपने अकाउंट में जमा कर लेती थी। 

कंचन ने अब इसी  को अपनी दुनिया समझ ली धीरे-धीरे उसने ट्यूशन को भी अपना प्रोफेशन बना लिया और अपने शहर में काफी फेमस हो गई।  ट्यूशन से ही वह अच्छा खासा पैसे कमा लेती थी यहां तक कि उसने दो-तीन अलग से टीचर भी हायर कर रखा था। 

 यह ऐसा काम था  जिससे उसकी सास भी नाराज नहीं होती थी क्योंकि कंचन को इस काम के लिए कहीं बाहर नहीं जाना होता था। 

एक  दिन कंचन का मां का फोन आया बेटी तुम्हारे पापा हॉस्पिटल में भर्ती है उनके आंत में इंफेक्शन हो रखा है। डॉक्टर ने बोला है तुरंत ऑपरेशन करने के लिए नहीं तो कुछ भी हो सकता है।  तुम्हारे भाई से ऑपरेशन कराने के लिए बोली तो उसने बोला, “माँ, पापा वैसे भी बूढ़े हो गए हैं इनमें 2 लाख रुपये खर्च करना बुद्धिमानी नहीं है।  डॉक्टर से दवाई लिखवा लेते हैं  और पापा को घर ले चलते हैं। 

कंचन ने अपनी मां से कहा, “मां तुम चिंता मत करो पापा का ऑपरेशन होगा मैं करवाऊँगी ऑपरेशन। कंचन  ने अपने पति रितेश को इमरजेंसी में स्कूल से घर बुलायाऔर उसके साथ  हॉस्पिटल पहुंच गई।  काउंटर पर जाकर उसने पैसा जमा किया और कुछ ही घंटों में उसके पापा का ऑपरेशन शुरू हो गया।  ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा। कुछ ही दिनों में उसके पिताजी हॉस्पिटल से घर आ गए। 

 कंचन अपने ससुराल जाने से पहले अपने भाई को बुलाकर कहा,  “यह मेरे भी पिताजी हैं इसीलिए इनका सेवा करना मेरा भी फर्ज है ऑपरेशन का खर्चा मैंने दे  दिया है लेकिन इनकी सेवा में कोई भी कमी मत करना नहीं तो यह सोच लो इस घर के दो हिस्से हो जाएंगे और पापा के जितने भी संपति है उसमें मैं आधा हिस्सा ले लूंगी।  कंचन ने अपनी आवाज को कड़क करते हुए कहा और यह भी सोच लो यह मैं मजाक नहीं कर रही हूं। 

 कंचन के भाई भाभी ने कभी सोचा भी नहीं था कि कंचन इस तरह से बात करेगी वह तो सच में डर गए सच में कंचन ऑटो से जब अपने ससुराल जा रही थी तो मन ही मन सोच कर खुश हो रही थी कि आज अगर मैं पैसे ना कमा रही होती तो शायद मैं अपने पापा का इलाज नहीं करा पाती। आज अपने पैसे के ऐसे सदुपयोग देखकर उसे अपने आप पर गुमान  हो रहा था।  मन ही मन सोच रही थी कि लोग कहते हैं कि लड़कियां पढ़ कर क्या करेगी आज के समय  में लड़कियों को पढ़ना बहुत जरूरी है और साथ-साथ आत्मनिर्भर होना भी। 

 इधर कंचन के पति रितेश ने अपनी मां से से बता दिया था कि कंचन ने अपने पैसे से अपने पापा का ऑपरेशन करवाया है। 

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 घर पहुंचते ही उसकी सास ने कहा, “बहू इतना बड़ा कदम उठाने से पहले एक बार तो अपनी सास-ससुर  से पूछ लेती हम तुम्हारे माता-पिता के दुश्मन थोड़े ही हैं जो मना कर देते तुम जो पैसे कमाती हो वह तुम्हारे ही हैं लेकिन कम से कम एक बार पूछना तो चाहिए था।” 

कंचन ने अपने सास-ससुर से माफी मांगा और बोली, “मुझे माफ कर दीजिए मम्मी पापा जी लेकिन जल्दबाजी में मैं आप लोगों को बताना भूल गई।” 



 कंचन के ससुर कहने  लगे बहु इसमे  माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है तुमने कोई अपराध नहीं किया है आज के जमाने में बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं है।  जब हम यह मानकर चलते हैं कि बेटा और बेटी दोनों बराबर है।  तो मां बाप की सेवा करने का फर्ज भी दोनों का बराबर होना चाहिए और तुमने यह फर्ज बखूबी निभाया है। 

कंचन के ससुर ने कहा बहू तुम्हारे लिए एक और बहुत बड़ी खुशखबरी है तुम्हें तो पता ही है कि इस साल मैं  रिटायर होने वाला हूं तुम्हारी सासु मां और मेरा यह फैसला है कि मैं अपने रिटायरमेंट के पैसे से एक बच्चों का स्कूल खोलूँ जिसके प्रिंसिपल तुम हो जिससे कि तुम्हारा पढ़ाने का सपना भी पूरा हो जाए और तुम्हारे सासू मां का मान भी रह जाए इस घर की औरतें बाहर नौकरी नहीं करती हैं। 

 दोस्तों आज के जमाने में लड़की को सिर्फ पढ़ाना ही जरूरी नहीं है बल्कि उसे आत्मनिर्भर बनाना भी जरूरी है क्योंकि अगर पुरुष आत्मनिर्भर होता है तो सिर्फ एक परिवार का विकास करता है लेकिन जब नारी आत्मनिर्भर होती है तो दो  परिवार का विकास करती है।

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