रिक्त स्थान (भाग 26) – गरिमा जैन

जिंदगी से काले बादल धीरे-धीरे छटने लगे हैं

आज रेखा और जितेंद्र विवाह के पवित्र बंधन में बंध जाएंगे। रेखा के चेहरे पर नूर है ऐसा नूर जो सच्चे प्यार से ही चेहरे पर आता है ।मुस्कुराहट उसके चेहरे से हटती ही नहीं। रेखा की मां सारे इंतजाम देखने में व्यस्त है ।इतने बड़े घराने में रेखा की शादी हो रही है, कहीं कोई भूल चूक ना हो जाए। कहीं जितेंद्र की नाक नीची ना हो जाए ।

उन्हें बस इसी बात की चिंता है। पर रेखा और जितेंद्र इस सबसे बेखबर अपने सपनों की दुनिया में ही खोए हुए हैं ।उन्हें रीति-रिवाजों से कुछ लेना देना ही नहीं। उन दोनों का दिल तो एक है और सिर्फ एक दूसरे के लिए ही धड़कता है ।

नैना को उसके किए की सजा मिल चुकी है। इंस्पेक्टर विक्रम और जितेंद्र ने कमर कस के नैना को उसके अंजाम तक पहुंचाया ।आज 4 महीने से नैना जेल की सलाखों के पीछे है और वह लंबे समय तक वही रहेगी ।उसका काला साया भी अब जितेंद्र रेखा की जिंदगी पर नहीं पड़ेगा। शायद रेखा कि जिंदगी अब एक परी कथा के समान होने वाली है जिसमें दुखों की कोई जगह नहीं होगी ।खुशी रेखा का दामन कभी नहीं छोड़ेगी।

जितेंद्र का दिल किसी भी रस्म में नहीं लग रहा ।वह बार-बार यही कहता है कि इस सब की क्या जरूरत है? वह सोचता है रेखा और वो दो जिस्म एक जान है पर अगर मन ही ना मिले तो क्या ये रीति-रिवाजों, ये मंत्र उच्चार विधि-विधान एक दूसरे को जन्म जन्मांतर के लिए बांध सकते  है ।

जितेंद्र अपने माता-पिता का दिल रखने के लिए वह सब कुछ करता है जो वह कहते हैं ।जितेंद्र का घर मेहमानों से खचाखच भरा है। उसकी लाडली मौसी भी आई हुई है ।जितेंद्र की बड़ी मौसी उससे बहुत प्रेम करती हैं ।वह घर भर में सबसे बड़ी है और थोड़ी हिटलर शाही उनके अंदर है। वह जो कहती है कोई उसे मना नहीं करता।

जितेंद्र के मौसी के बच्चे और उसके और भी भाई आए हैं लेकिन जितेंद्र का मन तो सिर्फ रेखा में ही लगा है ।सारे हंसी ठिठोली करते हैं लेकिन जितेंद्र जैसे कहीं खोया खोया रहता है ।वह हर पल अपना मोबाइल चेक करता है शायद रेखा ने अपनी कोई तस्वीर भेजी हो या फिर उसने कोई मैसेज भेजा हो ।

सब जितेंद्र की खिंचाई कर रहे हैं। जितेंद्र रेखा के पीछे बिल्कुल पागल हो चुका है, लेकिन जितेंद्र को बुरा नहीं लग रहा ।यह सच ही तो है वह रेखा को दीवानों की हद तक प्यार करता है ।दूसरी तरफ रेखा वैसे ही जितेंद्र के प्रेम में दीवानी है जैसे मीराबाई कृष्ण की प्रेम में थी जैसे हीर रांझा से करती थी ।

कभी कभी रेखा के मन में शंका होती है।क्या उसका प्यार परवान चढ़ेगा ?या फिर कोई और अर्चन उसकी जिंदगी में एक शीशे की दीवार बनके आ जाएगी और जितेंद्र को उससे दूर कर देगी ।यह सोचते ही रेखा कांप उठती है ।उसका रोम रोम सिहर जाता है। वह  फिर से खुद को समझाती कि उसकी परीक्षा की घड़ियां खत्म हो गई है ,अब जिंदगी में खुशियो को आने से कोई नहीं रोक सकता।

शाम को रेखा अपने परिवार के साथ देवी जी के दर्शन करने जाती है। वह देवी मां से जितेंद्र की लंबी आयु और अच्छे वैवाहिक जीवन के लिए कामना करती है ।पंडित जी रेखा को एक गुलाब का फूल देते हैं और उसे आशीर्वाद देते हैं। उधर जितेंद्र बरात लेकर निकल चुका है। सब कुछ कुशल मंगल हो जाता है ।

हंसी मजाक के बीच शादी कब संपन्न हो जाती है किसी को पता ही नहीं चलता ।किसी की कोई शिकायत नहीं ,कोई शिकवा नहीं, सब एक परिवार की तरह से घुलमिल गए थे । कोई बता नहीं सकता था कि कौन बराती है और कौन जानती।ऐसा ही विवाह होना चाहिए। जिसमें ऊंच-नीच ,धर्म जात किसी के लिए कोई जगह नहीं हो। जगह हो तो सिर्फ और सिर्फ प्रेम के लिए सिर्फ प्रेम।

शुभ शगुन के साथ रेखा घर में प्रवेश करती है। रेखा की सास उसे लाल रंग के पाठे पर बैठाती है और उसे अपना खानदानी जड़ाऊ का सेट उपहार स्वरूप देती है। जितेंद्र दूर से ही रेखा को देख कर मुस्कुरा रहा है। जितेंद्र की नजर रेखा पर से हटती ही नहीं ।वह स्वर्ग से उतरी अप्सरा सी सुंदर ,लक्ष्मी सी चंचल और सरस्वती की आभा लिए बैठी थी ।

ऐसा लग रहा था दसों दिशाएं उस पर फूल बरसा रही हो ,सारे देवगण उसके स्वागत में उपस्थित हो ।तभी पंडित जी शंखनाद करते हैं और जितेंद्र की मां रेखा के गले में वह खूबसूरत हार पहना देती हैं ।इन सब शुभ शगुनो के बीच में रेखा को कहीं से हल्की सी आवाज आती है ।

“छोटे घर से आई लड़की को इतना कीमती हार पहले ही दिन दे दिया !इसकी सात पुश्तों ने भी ऐसा हार नहीं देखा होगा। कितनी बार मना किया था छोटी को ,लेकिन इसे अकल आए तब ना। स्वाति की बात अलग थी, वह खानदानी थी ,पर यह रेखा !!”

रेखा चौक के ऊपर देखती है पर वह समझ नहीं पाती इतनी कड़वी बातें आखिर किसने कही ।रेखा के चेहरे का रंग फीका पड़ जाता है। क्या बड़े घर में शादी करने कि उसे इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी ?क्या उसको आए दिन  ताने सुनने पड़ेंगे की जितेंद्र की पहली पत्नी खानदानी थी और वह छोटी गरीब है से आई है !!

क्या उसकी नजर जितेंद्र के पैसे पर हैं या शायद उसने पैसे के लिए शादी कर ली है!! शंखनाद के बीच यह बातें उसके कान में गूंजने लगी और रेखा को ऐसा लगा मानो उसका सर फट जाएगा लेकिन फिर वह जितेंद्र को देखती है और उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा देखकर सब कुछ भूल जाती है।

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गरिमा जैन 

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