“परिवार का बंटवारा” – अनीता चेची : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : शोभा आज फूली नहीं समा रही थी। आज उसके उससे 16 वर्ष छोटे देवर रमन की शादी जो है। हमेशा अपने बेटे के रूप में अपने देवर को देखा।

रमन का बड़ा भाई जगन अपने छोटे भाई को घोड़ी पर चढ़ते हुए देख कर उसके बचपन को याद कर सोचने लगा कभी’

कैसे यह मेरी गोदी में खेला करता था और आज दूल्हा बनने जा रहा है।’

10 वर्षीय पिंकी और 12 वर्षीय चिंटू तो चाचा की गोदी से उतर ही नहीं रहे। मां बाबूजी सब कितने खुश हैं।

 पड़ोसन शोभा से मजाक करते हुए कहने लगी

“अरे! शोभा अब तो तुझे पढ़ी-लिखी सरकारी नौकरी में लगी  देवरानी मिल रही है इसीलिए इतनी खुश है”।

शोभा हंसते हुए, ‘अरे खुश क्यों ना हो मेरी देवरानी  शिक्षिका  जो है’।

नववधू का आगमन घर में सब के लिए सुखदाई रहा।

शोभा के प्रेम के कारण पूनम को उसमें अपनी मां की छवि दिखाई देती। शोभा घर संभालती और पूनम स्कूल जाती।

शोभा ने पहले दिन ही पूनम से कह दिया था पूनम देखो “

मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं तुम पढ़ी लिखी हो तुम बच्चों पर ध्यान दो इनको पढ़ाया करो घर के कामों की चिंता मत करना”

पूनम  जेठानी के दोनों बच्चों को अपना बच्चा समझ कर पढ़ाती।

उसने 1 वर्ष बाद एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया

जिसका नाम अनिरुद्ध रखा गया।

अनिरुद्ध तो जैसे सबकी आंखों का तारा था।



वह पूरे परिवार में सबसे छोटा और सबका लाडला था।

इसी तरह 16 वर्ष बीत गए। वे देवरानी जेठानी जहां भी जाती सब उनकी प्रशंसा करते। आज के जमाने में भी देखो दोनों कैसे मिलकर रहती हैं। सभी कहते जगन और रमन की जोड़ी तो राम लक्ष्मण की जोड़ी है।

परंतु आज अचानक ना जाने शोभा क्यों बिस्तर में लेटी पड़ी है? वह कुछ भी नहीं खा रही। जगन ने जब शोभा से पूछा शोभा क्या बात है?

वे चिड़चिड़ा कर बहुत गुस्से में बोली

“मैं पूरी जिंदगी नौकरों की तरह इन सब के लिए काम करती रहूं

मुझे अब अलग रहना है मैं इन सब के साथ नहीं रह सकती”।

शोभा तुम यह सब क्या कह रही हो?

‘”मैं ठीक ही कह रही हूं पूनम को मुझसे ज्यादा गहने दिए गए

मुझसे ज्यादा लाड प्यार और फिर मैं उसके बच्चे को भी मैंने संभाला है इतने साल हो गए अब मुझसे यह सब सहन नहीं होता मुझे घुटन होती है, मुझे उस के गहनों में से आधे गहने चाहिए और संपत्ति में से आधी संपत्ति”।

चिंटू और पिंकी ने भी अनिरुद्ध से बात करना छोड़ दिया।

अनिरुद्ध जब भी चिंटू से कहता भैया चलो क्रिकेट खेलने चले चिंटू मुंह फेर लेता।

और अब की बार की राखी पर तो पिंकी ने उसे राखी भी नहीं बांधी।

ताई जी और ताऊ जी ने भी उससे से बात करनी बंद कर दी।

यह सारी बातें उसके दिमाग पर बहुत गहरा असर डालने लगी।



वह उम्र के बदलाव से गुजर रहा था। और दूसरी तरफ परिवार का यह बदलाव उसके लिए बहुत असहनीय हो रहा था।

एक ही छत के नीचे सारी खुशियां आज घुटन में बदल गई।

जगन ने भी मां बाबूजी से आधी संपत्ति लेने की बात कही और अलग होने की बात कहने लगा”

हमने बहुत किया है पूरे परिवार के लिए हम नहीं रह सकते”।

शोभा ने पूनम से बात करना बंद कर दिया।

पूनम को समझ ही नहीं आ रहा था आखिर दीदी को क्या हुआ है?

दीदी मुझसे कोई गलती हुई हैं शोभा ने बिना बात किए ही मुंह फेर लिया।

रमन भी इस सारे वातावरण से पूरी तरह चिड़चिड़ा हो गया। वह सारा गुस्सा अनिरुद्ध और पूनम पर ही निकलता।

ऐसा बदलाव देखकर अनिरुद्ध बीमार पड़ गया।

वह 2 महीने तक बिस्तर से ही नहीं उठा इससे उसकी पढ़ाई छूट गई पढ़ाई छूटने के कारण वह और भी ज्यादा अवसाद में चला गया। अब तो पूनम और भी ज्यादा परेशान रहने लगी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था आखिर हमारे हंसते खेलते परिवार को किसकी नजर लग गई।

अनिरुद्ध से बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि उसके बड़े भाई बहन उसके ताई जी ताऊ जी यह सब उससे इतना नफरत क्यों कर रहे हैं? संपत्ति बंटवारे में

परिवार का बंटवारा क्यों कर रहे हैं?

अनिरुद्ध को जगह-जगह हॉस्पिटल में दिखाया गया उसका इलाज करवाया परंतु वह कहीं भी ठीक नहीं हुआ पूनम ने मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे हर जगह उसके स्वास्थ्य की कामना की अंदर से बिल्कुल टूट चुकी थी। कोई उसे टोने टोटके बताता वह सब  करती दिन-रात भगवान की प्रार्थना जैसे पूरा संसार उसके लिए अब बेमानी सा हो गया था।

परंतु किसी भी चीज का असर अनिरुद्ध के स्वास्थ्य पर नहीं पड़ रहा था।

अनिरुद्ध पूरी पूरी रात नहीं सोता बैठा रहता पूनम उसके साथ बैठी रहती और  उसको देख देख कर आंसू बहाती रहती है।

पूनम ने शोभा के पैरों में पढ़कर कहा’ दीदी आप और भाई साहब अनिरुद्ध को ठीक कर सकते हैं। वह आप लोगों के बगैर नहीं रह सकता,



परमात्मा जानता है मैंने आपके बच्चों को हमेशा अपना समझ कर अपने प्रेम से उन्हें सीचा है”

शोभा, रहने दे पूनम हम क्या मर गए थे जो तुम्हारे बच्चों को संभाल रही थी,

“मैंने भी तेरे बच्चे को संभाला है”

“हां दीदी मैंने कब मना किया है,

तभी तो अनिरुद्ध आप सब से इतना प्यार करता है”।

पूनम के आंसू देख कर शोभा का हृदय बदल गया और उसने पूनम को गले से लगा लिया।

चिंटू और पिंकी भी अनिरुद्ध की ऐसी हालत देख कर रोने लगे।

शोभा-पूनम ना जाने मुझे क्या हो रहा है मेरे दिमाग में नकारात्मक विचार आते रहते हैं’।

पूनम-दीदी अब आपकी 50 वर्ष की उम्र हो गई है इस उम्र में मोनोपॉज होता है जिसके कारण शरीर में बदलाव होते रहते हैं और नकारात्मक विचार घेर लेते हैं आपकी कोई गलती नहीं है।”

अब पूरा परिवार चाहता था कि अनिरुद्ध ठीक हो जाए।

परंतु अनिरुद्ध अपने कमरे में नहीं था। सब उसे चारों तरफ ढूंढने लगे। परंतु वह कहीं भी नहीं मिला।

सुबह से शाम हो गई। पूनम का तू रो रो कर बुरा हाल हो गया। वह अनिरुद्ध अनिरुद्ध करती और बेहोश होकर गिर जाती है।

पूरा परिवार अनिरुद्ध को ढूंढने में लग गया। देर रात चिंटू को अनिरुद्ध एक पार्क में बैठा हुआ मिला।

चिंटू ने अनिरुद्ध को देखते ही अपने गले से लगा लिया और जोर जोर से रोने लगा।

“भाई तू कहां चला गया था हम सब तेरे बगैर कितने अधूरे हैं अब मैं तुमसे कभी भी नाराज नहीं होऊंगा मुझे माफ कर दे।”

सभी दोबारा मिलकर इकट्ठे रहने लगे। धीरे धीरे अनिरुद्ध की हालत में सुधार होने लगा और अब सब जान गए थे

परिवार के बंटवारे में बच्चे पीसते हैं जबकि हमारे भविष्य की अनमोल धरोहर यह बच्चे ही हैं।

अनीता चेची मौलिक रचना अप्रकाशित

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!