पाखंडी – डा.मधु आंधीवाल

वसुधा अपनी खिड़की पर खड़े होकर शाम के धुंधलके में खड़े होकर वृक्ष की ओर टकटकी लगाकर देखरही थी ।एक चिड़िया अपने तीन बच्चों को बार बार दाना लाकर खिला रही थी ।तीनों बच्चों को वह पूरी तरह सुरक्षा दे रही थी ।इतनी देर में एक बाज आया और  उस घोंसले के चारों ओर मंडराने लगा । चिड़िया बहुत चींचीं करने लगी पर कोई मदद को ना आया ।

      इस घटना को देखते ही वसुधा पीछे घटित घटना में खो गयी । जिस कालोनी में वह रहती थी उसी कालोनी में सामने वाले मकान में एक परिवार आकर रहने लगा । उस परिवार में एक विधवा महिला व तीन बेटियाँ  थी । बड़ी बेटी नवयौवना थी दोनो युवावस्था में कदम रख रही थी । मां बेटी बहुत सुन्दर थी । कुछ ही दिनों में वसुधा की अच्छी खासी दोस्ती उस परिवार से होगयी । मंजु आंटी से बात करके उसे बहुत अच्छा लगता था । वह बहुत सुलझी व धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी । तीनो बेटियाँ अनुभा , अर्पिता ,रुचि वसुधा को दीदी कहने लगी । वह भी अकेली थी । पति की बाहर पोस्टिंग थी । उनके आने से उसको भी परिवार की कमी महसूस नहीं हुई ।

           मंजु आंटी ने किसी को अपना गुरू बना रखा था ,एक दिन सुबह से ही उनके घर में बहुत चहल पहल थी ।पूरा घर चमचमा रहा था । उत्सुकता चलते मैं भी उनके यहाँ पहुँच गयी । थोड़ी देर में चार पांच गाड़ियां आकर उनके दरवाजे पर रूकी । एक बहुत ही आकर्षण व्यक्तित्व का गाड़ी से उतरना हुआ उनके साथ ही आठ दस शिष्य भी उतरे । काफी स्वागत से उनको कमरे में ले जाया गया । कालोनी के सभी लोग दर्शन करने पहुँचे । शाम तक काफी मजमा लगा रहा । शाम को स्वामी जी प्रस्थान कर गये ।

          दूसरी सुबह वसुधा अपनी वालकोनी में खड़ी थी कि उसने देखा की उन महाराज जी का एक शिष्य रुका हुआ है । बहुत सुन्दर व्यक्तित्व हीरो के तरह गेरुआ वस्त्र पहने । वसुधा को किसी कारण वश कुछ समय बाहर जाना पड़ा । जब वह लौटी तो कालोनी में उन स्वामी जी को लेकर अजीब सी चर्चाये थी । उस परिवार से उसका बहुत लगाव था । उसने मंजु आंटी को थोड़ा सा समझाने की कोशिश की उसका नतीजा निकला कि उन लोगो ने उसको ही नजरान्दाज करना शुरू कर दिया । एक दिन तो हद हो गयी सुबह सुबह वसुधा की डोर वैल बजी उसने दरवाजा खोला देखा तो वह हीरो जैसे स्वामी जी खड़े हुये थे  वसुधा ने भीतर कमरे में बिठाया । वह एक दम उससे बोले कि आप को मेरे यहाँ रहने से क्या आपत्ति है। आप सब में मेरा विरोध कर रही हैं। वसुधा ने कहा मुझे इस बात से कोई मतलब नहीं है। 

        चार पांच दिन बाद सुबह ही पूरी कालोनी में बड़ा शोर था । रात को बह पाखंडी स्वामी दो बेटियों को लेकर गायब होगया । शर्म के कारण मंजु आंटी एक बेटी को लेकर कहीं चली गयी।

स्व रचित 

डा.मधु आंधीवाल 

अलीगढ़

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!