• infobetiyan@gmail.com
  • +91 8130721728

नट्टू गट्टू के पप्पा – प्रीती सक्सेना

आज पड़ोस के खाली घर में काफ़ी हलचल सी दिख रही है, लगता है, कोई आने वाला है, तभी जोर शोर से इतनी सफाई चल रही है, चलो कुछ रौनक बढ़ेगी, बातचीत के लिए पड़ोसन तो मिलेगी, सोचकर हम मन ही मन प्रसन्न हुए, और अंदर आ गए, शाम को पौधों को पानी दे रहे थे, तभी एक कार रुकी, देखा तो एक महिला, एक पुरुष और एक बच्ची थी, हमारी तरफ महिला ने जैसे ही देखा, हमने ढेर सारी मुस्कुराहट उनकी तरफ उछाली, पर बिना नोटिस किए वो अंदर चली गई , ये क्या, हमें बहुत बुरा लगा, हम अंदर आए, जैसे ही हमने आइने की तरफ़ देखा, सलवटों से भरी साड़ी, उतरा सा चेहरा, कहीं ये हमें……… नहीं ऐसा नहीं हो सकता, भले ही वो महिला जींस टॉप पहनी है पर हमें…….. नहीं समझ सकती।

अपने भ्रम को दूर करने के लिए हमने फटाफट अच्छी सी साड़ी पहनी, हल्का सा मेकअप किया, और पड़ोस में पहुंचे, अच्छे से मिली, लगा, हमारा सोचना सही था, चाय पानी का पूछा, आख़िर शिष्टाचार भी कोई चीज़ होती है।

दूसरी सुबह जोर जोर की आवाजों से नींद खुली, शायद पड़ोसन नौकरी पेशा थी, हनी, शोना, बेबी, बाबू, की आवाजें लगाए जा रही थी, हमें लगा बच्ची को बुला रही होगी, पर जब देखा पति को विदा करके शोना ,बेबी , बोल रही है तो हम ताज्जुब में पड़ गए, हैं, ऐसे कोई पति को बुलाता है क्या? हम तो गट्टू नट्टू के पापा, अजी सुनते हो, ऐसे ही बुलाते हैं, अब तो हम भी मॉर्डन बनेंगे, सोच लिया।

   दूसरे दिन इतवार था, ये भी घर पर थे, हम आंखो में ढेर सारा रोमांस भरकर पहुंच गए , इनके पास, और लगे इन्हें घूरने , इन्होंने हमें देखा और बोले,

” एक चाय ले आओ,”




हम रोमांसियत से लगे रहे घूरने, तो ये बोले,  “आंखो में कुछ इन्फेक्शन हो गया है क्या, कुछ अलग सी दिख रही हैं,”

हे भगवान ये आदमी, रोमांस भी नहीं समझता, खैर ये तो पहला स्टेप है, हमें तो स्टाइलिश और मॉडर्न बनना ही है।

खाने के समय अचार की बरनी हम उठा नहीं पा रहे थे, इनको मीठी सी आवाज में बुलाया, शोना, बेबी, इधर आओ, अरे हम बुलाए जा रहे, इनके कानो में जूं नहीं रेंग रही, हमने दोबारा आवाज़ लगाई तो गट्टू नट्टू आकर बोले,

” शोना बेबी तो बाहर गए मम्मी,”

” मतलब पापा कहां हैं? “

  ” पापा तो बाहर हैं,  पर पड़ोस वाले शोना बेबी अंकल बाहर गए अभी “

सर पकड़कर रह गए हम, क्या करें, कैसे बताएं इन्हें, पर हार तो नहीं मानेंगे ये तो पक्का है।




  सुबह उठे चाय बनाई और मुस्कुराते हुए इनके पास चाय लेकर गए!

” हाई हनी “

इन्होंने हमारी तरफ़ देखा और बोले ” हनी वनी नहीं शक्कर डालो चाय में, ” अब तो हमें रोना आ गया, ये घबरा गए , तुरंत आकर हमारे पास बैठे, पानी पिलाया, बोले

“क्या हुआ, गट्टू नट्टू की मम्मी,”

” हम सुबकते हुए बोले, पड़ोसी नए जमाने के हैं, वो अपने पति को शोना बाबू कभी हनी, कभी बेबी कहकर बुलाती है , हमने सोचा, हम भी थोड़ा नए जमाने के बने, इसीलिए हम आपको शोना बाबू हनी कहने की कोशिश कर रहे थे “

, ये जोर जोर से हंसने लगे, बोले “किसी की देखा देखी कभी नहीं करना, देखो ज़रा शोना बेबी को,”

 इन्होंने हमें खिड़की के पास खड़ा कर दिया, और बोले सुनो पड़ोस से जोरदार लड़ाई की आवाज आ रही थी, जो शब्द सुनाई दे रहे थे, वो शोना बाबू तो पक्के तौर पर नहीं थे। हमने झेंपी नजरों से इनको देखा और इतरा के कहा,

” चाय पियेंगे, गट्टू नट्टू के पप्पा “, ये भी मुस्कुरा के बोले  “हां गट्टू नट्टू की मम्मी “

प्रीती सक्सेना

स्वरचित

इंदौर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!