माँ जी आपकी जगह बेडरूम मे नहीं स्टोररूम मे है – Blog post by Anshita Maheshvari

मोनिका और रवि के लिए आज बहुत ही खुशी का मौका था, क्योंकि उन दोनों की मिली जुली मेहनत का नतीजा मुंबई जैसे महानगर में उनका अपना मकान उसका  मुहूर्त होने वाला था। 

मोनिका खुशी में पागल हुए जा रही थी।  वह बार-बार रवि से कह रही थी- यह सब कुछ सपने की तरह लग रहा है । मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि मुंबई जैसे महानगर में हमारा खुद का मकान होगा। 

“यह सब तुम्हारी और मेरी मेहनत का नतीजा है।  अब आज सारी तैयारियां कर लेते हैं ,कल से मेहमान और गाँव  से मम्मी पापा भी आ जाएंगे।  उनके कमरे में सारी व्यवस्था तो है ना।  कहते हुए रवि जैसे ही अपने मम्मी पापा के कमरे में पहुंचा वहां का सामान देखकर हैरान रह गया। 



उसे तुरंत मोनिका को आवाज लगाई -मोनिका यह क्या है यहां पर बिट्टू का सामान क्यों रखा हुआ है।  यह कमरा तो मम्मी पापा का है । बिट्टू को अभी अलग कमरे की क्या जरूरत।  वह तो हमारे साथ हमारे कमरे में ही रह लेगा।  उसका सामान यहां से हटाओ। 

मोनिका पूजा के दौरान रवि का मन खराब नहीं करना चाहती थी इसलिए वह बोली-बिट्टू जिद कर रहा था इसलिए उसका सामान यहां पर रख दिया  है सब मेहमानों के जाने के बाद उसे अपने कमरे में शिफ्ट कर लूंगी।  तब तक सामान ऐसे ही रखा रहने दीजिए।  कहकर मोनिका वहां से हट गई और दूसरा काम करने लगी। 

रवि ने भी बात को बढ़ाना उचित नहीं समझा और वह भी दूसरी व्यवस्था देखने लगा । शाम को गांव से जब मोनिका के सास ससुर आए तो उन्हें देखकर रवि बहुत खुश हुआ।  माँ भी अपने बेटे को देखकर बहुत भावुक हो गई। 

 उनकी सजल आंखें देख कर रवि ने कहा ? क्या बात है मां इतनी खुशी के मौके पर तुम्हारे आंखों में आंसू?

“कुछ नहीं बेटा बस बहुत दिनों के बाद तुमको देखा है, तो मन भाव विभोर हो गया।  कहते हुए उन्होंने रवि को अपने गले लगा लिया । 

रवि ने उनके पैर छूकर मोनिका को आवाज लगाने लगा -मोनिका कहां हो तुम मम्मी पापा आ गए। “

सास ससुर के आगमन की बात सुनकर मोनिका का चेहरा ही बदल गया वह अनमने ढंग से अपने कमरे से बाहर आई  और पांव छू कर बोली- कैसे हैं आप लोग अकेले आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई?

तब ससुर जी ने कहा- परेशानी कैसी हम तो अक्सर यहां मुंबई आते रहते हैं।  अब तो आदत हो गई है।  बेटा गांव नहीं आता तो जब उसकी याद आती है तो शहर चले आते हैं। 



 माँ ने बात बदलते हुए कहा -आप भी ना क्या बातें लेकर बैठ गए । देखो बेटे ने कितना खूबसूरत मकान बनाया है।  बहुत मेहनत की है बेटा तुम दोनों ने। 

सास की तारीफ सुनकर मोनिका बहुत खुश हूई और बोली- हां आपने सही कहा मम्मी जी।  इस मकान को बनाने के लिए हम लोगों ने बहुत मेहनत की है । किसी ने हमें जरा सा भी सहारा नहीं दिया । कहते हुए उसने अपने सास-ससुर को ताना मार दिया। 

बहू की बात सुनकर सास-ससुर दोनों का मन खट्टा हो गया मगर फिर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा। 

तभी वहां बिट्टू आ गया बिट्टू को देखकर दादा- दादी दोनों निहाल हुए जा रही थे- अरे मेरा बेटा कितना बड़ा हो गया है । पूरे 2 साल के बाद देख रही हु लगता है अपने पापा से भी लंबा हो जाएगा।  आ मेरे पास तेरी नजर उतार दूं । कहते हुए उन्होंने अपनी आंखों का काजल उसके कानो के पीछे लगा दिया। 

पोता भी बड़ी देर तक उनकी गोदी में खेलता रहा, फिर बोला -दादी अभी थोडी देर मे मेहमान आने लग जाएंगे।  आप लोग थोड़ा सा आराम कर लो मैं आपको आपका कमरा दिखा देता हूं।  कहते हुए वह अपने दादा दादी को अपने कमरे में ले जाने लगा तो मोनिका पीछे से बोली -अरे बेटा वह तो तुम्हारा कमरा है। 

पोता मां की बात सुनकर हैरान हो गया- मेरा कमरा मा मैं तो आपके साथ रहूंगा। 

रवि भी मोनिका की ओर देखने लगा।  मोनिका ने बात पर बदलते हुए कहा- अरे बेटा अब तुम बड़े हो गए हो।  हमारे कमरे में थोड़ी ना सो सकोगे, तुम्हें भी तो पढ़ाई के लिए प्राइवेसी चाहिए।  इसलिए वह कमरा तुम्हारा है। 



तो क्या दादा दादी मेहमानों के कमरे में रहेंगे? मोनिका के बेटे ने दोबारा सवाल किया । 

“अरे मेहमानों की कमरे में तो अभी मेहमान आ कर रहेंगे । दादा दादी सामने स्टोर रूम में रहेंगे । वहां मैंने उनके रहने की सारी व्यवस्था कर दी है । कहते हुए मोनिका किचन में जाने लगी तो रवि ने पीछे से आवाज दी- मोनिका यह क्या तरीका है मम्मी पापा स्टोर रूम में कैसे रहेंगे। 

मोनिका की सास अपने बेटे को चुप करा ही रही थी कि मोनिका बोल पड़ी- अरे वह तो केवल कहने को स्टोर रूम है वैसे तो अच्छा खासा कमरा है । वैसे भी अभी स्टोर रूम में कोई सामान नहीं रखा है।  मां बाबूजी को कोई भी तकलीफ नहीं होगी। 

“मोनिका तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो ! स्टोर रूम मे ना तो कोई पंखा है और ना ही लेट बाथ! मां पापा को दिक्कत होगी। मेहमानों के लिए और कोई व्यवस्था देख लो । मम्मी पापा मेहमानों के कमरे में रह लेंगे ।

तभी मोनिका का बेटा आगे आकर बोला -कोई बात नहीं पापा यह तो अच्छी बात है । दादी स्टोर रूम में रहेगी फिर जब मैं मेरा घर बनाऊंगा तब मम्मी आएगी तो मुझे चिंता नहीं होगी।  की उनको कहां रखना है, वह भी मेरे घर के स्टोर रूम में रह लेंगे।  क्यों मम्मी आप रह लोगे ना स्टोर रूम में?

बेटे की बात सुनकर मोनिका को लगा मानो उसके ऊपर घडो पानी गिर गया हो।  किसी भी बात को इस नजरिए से सोचा ही नहीं था; कि उसका उसके बेटे पर क्या असर होगा।

बेटे ने आज उसे आईना दिखा दिया था जो उसके ही कर्मों का प्रतिफल था।  वह निढ़ाल हो कर अपनी सास के चरणों में बैठ गई। 



उसे यह भी समझ नहीं आ रहा था कि वह माफी कैसे मांगे सास ने उसे उठाकर अपने गले से लगाया तो वह उनसे निगाह भी नहीं मिला पा रही थी।  उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। 

हर बहते आंसू के साथ मन का पाप धुल रहा था। दादी ने अपने पोते को इशारा किया तो पोता अपनी मां के पैर पकड़ कर बोला- मम्मा सॉरी मैंने आपको रुला दिया । मगर जैसे आप मेरे लिए हो वैसे ही दादी पापा के लिए अहमियत रखती है।  आज आपने सिर्फ दादी को ही नहीं पापा को भी दुख पहुंचाया है । यह घर उनके बेटे ने बनाया है ,तो सबसे पहला हक उनका है ना । यदि आपको मेरी बात बुरी लगी हो तो मुझे माफ कर दो।  कहते हुए वह मोनिका के गले लग गया मोनिका ने अपने बहते हुए आंसू को पोछा और कहा- नहीं बेटा तूने कुछ गलत नहीं कहा, मैं ही गलत थी।  माँ जी हो सके तो मुझे माफ कर दो और रवि मैं तो तुम्हारी माफी मांगने के काबिल भी नहीं हूं ,कैसे तुमसे माफी मांगू समझ ही नहीं आ रहा है? हो सके तो तुम भी मुझे माफ कर देना।  मां जी आप ना तो स्टोर रूम में रहोगी और ना ही मेहमानों के कमरे में जब तक आप रहोगी आप मास्टर बेडरूम में ही रहोगी क्योंकि यह घर मुझसे पहले आपका है ,वही आपका सारा सामान रख देती हूं।  कहते हुए मोनिका अपने सास ससुर को अपने कमरे में ले गई।  

रवि मुस्कुरा कर अपने बेटे की ओर देख रहा था।  आज बड़े होते बेटे ने अपने पिता को उनकी मां के सामने शर्मिंदा होने से बचा लिया। 

अंशिता माहेश्वरी

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!