गलती नहीं गुनाह ” – कुमुद मोहन : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : ” तुम अपनी बेटी को स्कूल क्यों नहीं भेजती”?रीमा ने  अपनी काम वाली संतो से पूछा?

संतो–क्या बताऊं बीबीजी ,लडके को तो पढ़ाने को मेरा मरद तैयार है पर इस रंजू के लिए कहता है “दूसरे घर जाऐगी ,वहां संभालेगी,मेरे पास इसके ऊपर बर्बाद करने को पैसा ना है,वह तो इसकी सादी जल्द-से-जल्द करके छुटकारा पाना चाहे कि इसके जाने से कम से कम एक आदमी तो खानेवाला कम होगा!”

रीमा ने आश्चर्य से कहा “अभी इसकी उम्र ही क्या है मुश्किल से 10-11 साल अभी से शादी करने की तो सोचना भी मत?

शीला दुखी होकर बोली”क्या करूं कुछ बोलूं तो इसका बाप मारना कूटना चालू कर देता है!रोज-रोज पिटने से अच्छा है चुप रहूं”

शीला की बेटी रंजू करीब करीब रोज रीमा के  घर आती शीला का हाथ बटाती पर उसका ध्यान चल रहे टीवी पर रहता!

रीमा की बेटी की उतरन के कपड़े जूते पहन वह सारे घर में इतराती घूमती!

डस्टिंग करते हुए घंटों शीशे के सामने खड़ी खुद को निहारती! रीमा की बेटी की किताबों को उलट-पलट कर देर तक देखा करती।

रीमा के दिये हुए चाय बिस्कुट या ब्रेड,रोटी खाते हुए उसके चेहरे पर ऐसा संतोष दिखता जैसे कोई अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाकर महसूस करता हो!

इतनी छोटी सी मासूम सी बच्ची को देखकर रीमा को उसपर बहुत तरस आता!जो दिन उसके खेलने खाने थे वहां उसे काम करना पड़ रहा था!




रीमा ने कई बार शीला से कहा भी कि वह उसे नजदीक के ही किसी स्कूल में दाखिल करा देगी,फीस वगैरह का खर्च भी वही उठा लेगी!सुनकर  रंजू के चेहरे पर चमक आ जाती पर शीला के यह कहते ही कि चार घर उसके साथ काम करा लेगी तो हम मां-बेटी ज्यादा कमा लेंगी!पढ़ाई लिखाई कर क्या होगा!करना तो इसे भी घरों में झाड़ू पोंछा ही न”?सुनते ही रंजू का मुँह उतर जाता वह रूआंसी हो जाती!

फिर एक दिन शीला ने एक छोटे से डिब्बे में मिठाई लाकर रीमा को बताया कि उसके पति ने चालीस साल के आदमी से रंजू का रिश्ता तय कर दिया है!उसकी पहली बीवी तीन बच्चों को छोड़कर चौथी जचगी में मर गई है!परचून की दुकान है खाता कमाता है बस उमर ज्यादा है पर बीबीजी आदमियों की उमर से क्या लेना देना बस कमाऊ होना चाहिए! उसे घर में काम करने वाली चाहिए जो उसे और बच्चों को दो बखत की रोटी दे सके!वो दान दहेज भी ना मांग रहा!रंजू का बाप तो बहुत खुस है कि बिना खरच के लड़की पार लग जावेगी!”

रीमा ने गुस्से में आकर मिठाई का डिब्बा उठाकर फेंक दिया और शीला को बहुत समझाया कि क्यूं वह अपनी भोली सी मासूम बच्ची की ज़िन्दगी बर्बाद करने को तुली है!तेरी बेटी इतनी सी उम्र में बच्चे पैदा करने की मशीन बन कर रह जाऐगी ,अपनी उम्र से पहले बुढ़ा जाऐगी या बीमार होकर मर जाऐगी

पर उसने रीमा की एक न सुनी!

दो चार दिन बाद रीमा ने देखा शीला काम करने आई तो एक थैले में लाल साड़ी और बिंदी महावर लाई थी!शीला ने बताया कल रंजू की शादी हैं आप जरूर आना!

रीमा ने ठान लिया कि वह रंजू को उसके मां-बाप के कुकर्मो की बलि नहीं चढ़ने देगी!




उसने अपने पति की सलाह से पुलिस स्टेशन में एफ आई आर दर्ज कराई और कुछ पुलिस वाले और मुहल्ले के लोगों को लेकर मंदिर में जाकर रंजू की शादी रूकवा दी!

रंजू भागकर रीमा से लिपट कर जोर जोर से रोकर कहने लगी”मेम साहब! मुझे बचा लो मुझे इन लोगों के साथ नहीं रहना”!

रीमा और उसके पति ने सबके सामने कह दिया कि वे रंजू को कानूनन गोद ले लेंगे उसकी पढ़ाई लिखाई और ब्याह का खर्चा उठाऐंगे!उसे अपने पैरों पर खड़े होने की हिम्मत देंगे!

शीला ने रीमा के पैर पकड़कर कर कहा”बीबीजी! हमें माफ कर दो!

शीला  रीमा के घर बहुत दिनों से काम कर रही थी इसलिए उसने शीला को जेल जाने से बचा लिया!उस आदमी को नाबालिग लड़की से ब्याह करने के जुर्म में कैद हो गई क्योंकि वह गलती नहीं गुनाह कर रहा था!

रीमा और उसके पति ने बहुत सुकून की सांस ली कि उन्होने बेमेल विवाह का विरोध करने की हिम्मत जुटाकर एक मासूम को दरिंदगी का शिकार होने से बचा लिया!

दोस्तो

हम अक्सर कहीं जुर्म होते देखकर भी यह सोचकर चुप रह जाते हैं कि हमारा क्या लेना देना!पर मेरे विचार से जुर्म होते देखकर अनदेखा करना भी एक जुर्म है ।

अन्याय का विरोध अवश्य करें जिससे रंजू जैसी बेटीयां किसी दुर्भाग्य का शिकार होने से बच सकें!

आपको पसंद आए तो प्लीज लाइक-कमेंट अवश्य दें!

#विरोध 

कुमुद मोहन

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!