hindi kahaniya : मीता अभी कुछ देर पहले ही करवा चौथ की कथा सुन कर वापिस आयी थी। भूख प्यास तो उसे व्रत में कभी महसूस नही हुई थी लेकिन इस समय जो चाय की आदत है उसकी वजह से सिर भारी हो रहा था।
साथ ही दिल और दिमाग दोनो की आपस मे खींचा तानी चल रही थी। वो खुद ही परेशान थी कि दिल की सुने या दिमाग की। इसी कश्मकश के चलते वो आंखें बंद करके थोड़ी देर दिमाग को आराम देने चाहती थी।
लेकिन विचारों की उथलपुथल ने उसे तीस साल पीछे पहुंचा दिया जब उसने कॉलेज में पहली बार राजीव को देखा था और कैसे दोनो की पहली बार नजरें मिली और फिर दिल मिले और दोनो ने जन्मों जन्मों के साथ निभाने की कसमें खा ली।
लेकिन मीता के माँ बाप को ये रिश्ता मंजूर नही था। क्योंकि दोनो के परिवारों के रहन सहन के स्तर में जमीन आसमान का फर्क था।
मीता एक उच्च खानदान से थी और उसके पापा शहर के जाने माने रईस थे और वो अपनी बेटी के लिए ऐसे ही परिवार के लड़के की तलाश में थे।
जबकि राजीव एक मध्यमवर्गीय परिवार से था और खुद भी अभी अच्छी नोकरी की तलाश में संघर्षरत था।
ऐसे में जब मीता के लिए सुरेश का रिश्ता आया जो कि मीता के पापा की पसंद थी तो मीता कुछ भी बोल नही पायी क्योंकि राजीव चाहता था कि वो शादी तभी करेगा जब अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा।
मीता अपने प्यार को दिल मे दबा कर और मीठी यादों को साथ लिए सुरेश की दुल्हन बन कर ससुराल आ गयी। मीता के ससुराल वाले कुछ अलग ही तरह के लोग थे ।जिस तरह के ससुराल का सपना मीता ने देखा था उस मे तो वो दूर दूर तक भी फिट नही बैठते थे। लेकिन मीता ने एक बहु पत्नी और भाभी के हर फर्ज को पूरा किया कभी किसी को शिकायत का मौका नही दिया।
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सुरेश भी बहुत अच्छे स्वभाव का था लेकिन उसकी आदतें और रहनसहन भी मीता से बिल्कुल अलग थे।उसने मीता को कभी किसी चीज के लिए रोक टोक नही की ।ना कभी शिकायत की ना कभी हक से डांटा ना ही प्यार जताया।
बस दोनो अपने पति पत्नी के रिश्ते को निभाते रहे। उनके परिवार में दो प्यारे से बच्चे भी आ गए। कहते है कि साथ रहते रहते कभी न कभी तो प्यार हो ही जाता है। मीता भी सुरेश को बहुत पहले से ही दिल से अपना मान चुकी थी ।उसकी हर जरूरत और दुख सुख का जी जान से ध्यान रखती थी।
लेकिन दिल के एक कोने में तो अभी भी राजीव ने अपना कब्जा जमाया हुआ था। जिसके साथ उसने जन्म जन्म साथ जीने मरने की कसमें खाई थी। लेकिन जिस दिन से सुरेश के साथ सात फेरे लिए उसने राजीव को दोबारा देखा भी नही था और न ही कभी कोशिश की।औरत अपनी मर्यादा जानती है।
और आज जब पंडित जी ने करवा चौथ की कथा सुनाने के बाद कहा कि सब सुहागिनें अपने हाथ मे जल लेकर अपने पति का नाम लेकर प्रार्थना करें कि मुझे जन्म जन्म यही पति मिले तो उसने सुरेश का नाम लेकर ईशवर से ये प्रार्थना की… प्रभु इस जन्म में मेरा और सुरेश का साथ हमेशां बनाये रखना हम दोनों को जितनी ज़िन्दगी है कभी अलग मत करना…
लेकिन अगले जन्म में मुझे मेरा प्यार अवश्य लौटा देना।
और आज पहली बार मीता को लग रहा था कि वो ज़िन्दगी के हर फैसले दिमाग से लेती रही है और भगवान से जब भी कुछ मांगा तो हमेशां हर स्त्री की तरह अपने पति ,बच्चों और परिवार के लिए मांगा।
आज पहली बार उसने अपने दिल की आवाज को सुना और भगवान से अपने लिए कुछ मांगा है।
और इस समय दिल कह रहा था कि तुमने पहली बार मेरी आवाज़ को दबाया नही है और दिमाग कह रहा था कि नही ये गलत है एक सुहागिन हो कर तुम ऐसा कैसे कर सकती हो।
मौलिक रचना
रीटा मक्कड़