माइक में अपना नाम सुनकर आज कविता विस्मित होकर सबको देखने लगी उसे अपने कानों पर विस्वास नही हो रहा था। तभी पीछे से उसकी बेटी आराध्या ने कहा, ” जाओ मम्मी, बड़ी प्रतीक्षा के बाद ये अनमोल क्षण आपकी झोली में आया है। “
आश्चर्य मिश्रित हर्ष के साथ उसने कला भवन के स्टेज से वहां के अधिकारी से इनाम और सर्टिफिकेट लिया। कार्यक्रम पूरा होने के बाद अपने परिवार के साथ घर आई।
मन अतीत में विचरने लगा। स्कूल ,कॉलेज में संगीत में कई मैडल पाने के बाद विवाह तय हो गया। ससुराल में आते ही वहां का माहौल देख दिल दहल गया। सब लोग अपना काम से काम रखते थे, कोई किसी से ज्यादा बोलता नही थी, श्रीमान जी तो अपनी कचहरी के बाद किताबो में डूबे रहते थे। एक दिन किचन में यू ही फिल्मी गीत गुनगुनाने लगी, सख्त हिदायत मिली,” हमारे यहां ये सब नही चलेगा ।” बस फिर क्या था मेरी जबान ही बंद हो गयी। श्रीमान जी के गुस्से से मै थर थर कांपती थी, इन्ही सब के बीच ईश्वर की एक कयामत हुई मेरी झोली में मेरी आराध्या बेटी आयी और मैं उसमे व्यस्त हो गयी जिंदगी में रंग आने लगा।
घर मे पढाई का माहौल था ही, कब आराध्या 12वी में पहुची पता ही नही चला और उस ने इंटर में पूरे स्टेट में टॉप किया। उसी साल उसका इंजीनियरिंग में एडमिशन हो गया और वो अपने कॉलेज के होस्टल में चली गयी। वहां भी उसके टैलेंटेड होने के कारण प्रोफ़ेसर, प्रिंसिपल सब उसका लोहा मानते थे। एक दिन यू ही प्रिंसिपल ने उससे एक सवाल किया बताओ, ” तुम्हारी हर सफलता का श्रेय तुम किसे देना चाहोगी” उसके मुंह से अपने आप एक शब्द निकला, माँ। उसने बताया मेरी माँ ने अपना पूरा जीवन मुझपर निसार कर दिया, उनके दिल को मुझसे ज्यादा कोई नही जानता उनके गाने की आवाज़ जो मैंने सुनी है शायद ही घर मे किसी ने सुनी हो। बहुत सुरीला गाती हैं आज तक किसी ने उनकी कद्र नही की, कभी न कभी मैं उन्ह गाने के मंच तक जरूर पहुँचाऊंगी । ये सुनकर प्रिंसिपल बोल उठे , ” मैं भी सोच रहा था एक कल्चरल प्रोग्राम कॉलेज में हो जिसमें स्टूडेंट और उनके अभिभावक भी भाग ले। बस वही से मेरे जीवन मे नया युग आया । होशियार बेटी की बात घर मे कोई नकार नही पाया और मै यहां पहुँच गयी।
आज मेरी जीवन भर की तमन्ना बेटी ने पूरी कर दी, आंखे भी पनीली हो चुकी थी, मन से आशीर्वाद निकला, ईश्वर ऐसी बेटियां हर घर मे हो।
भगवती सक्सेना गौड़