बहू…तुम अपने किस बेटे से ज्यादा प्रेम करती हो!!-मीनू झा : Simple Short Motivation Stories in Hindi

पता नहीं कैसे समझाऊं बहू को…जाने क्यों उसे हमेशा ऐसा लगता है कि मैं नील को वेनु से ज्यादा प्यार करती हूं.. दोनों मेरे बच्चे हैं,एक नाती और एक पोता..भला मेरे लिए क्या फर्क होगा दोनों में,वो क्यों सोचती है ऐसा??

मां… मुझे आप इन औरतों वाले मामले में ना ही घसीटो तो बेहतर..वीना ये बात मुझसे भी कहती हैं पर मैं उसको भी यही समझाता हूं कि इन सब बातों में पड़ने के लिए मेरे पास ना समय है और दिमाग…और इससे क्या फर्क पड़ता है कि कौन क्या सोचता है जाने दीजिए ना.. —विकास ने दो टूक जवाब दे दिया।

चार आठ दिन के लिए रानी आती है..उसके सामने भी बहू जताने से बाज नहीं आती कि वेनु मुझे नील से कम प्यारा है…जबकि ऐसा दूर दूर तक नहीं है..हां छह महीने तक नील मेरी ही गोद में पला है तो शायद मुझसे उसका लगाव ज्यादा है और जब बच्चा जब खुद बार बार आकर चिपकेगा तो इतनी क्रूर कैसे बन जाऊं मैं कि उसे गोद ना लूं प्यार ना करूं??

मैंने कहा ना मां…हर समस्या सुलझ ही जाए जरूरी नहीं…जो जैसा चल रहा है चलने दीजिए…और दीदी रहती भी कितने दिन है..तबतक मैनेज कर लीजिए और क्या !!

नर्मदा और वीना का सास बहू संबंध यूं तो सामान्य ही था,ना बहुत अच्छा ना बहुत बुरा…पर जब जब बेटी रानी आती तो वीना का व्यवहार अजीब सा हो जाता…।

दरअसल वीना का बेटा वेनु और रानी का बेटा नील लगभग हमउम्र ही थे…जब वेनु होने वाला था तो वीना अपने मायके चली गई और रानी अपने मायके आ गई… दोनों ने अपने अपने बच्चों के शुरूआती महीने मायके में ही निकाले…वाजिब सी बात थी सिजेरियन से पैदा हुए नील की सारी जिम्मेदारी नर्मदा जी ने उठाई…तो दोनों का परस्पर लगाव जायज था….अब ढाई साल का हो चुका स्वस्थ और हंसमुख नील भी नानी से बहुत लगाव रखता था जबकि अन्य बच्चों के अपेक्षाकृत थोड़ा कमजोर वेनु ज्यादातर मां से ही चिपका रहता…सबके पास कम जाता था वो…।

और कहीं ना कही सच्चाई ये भी थी कि वेनु के लिए वीना को किसी पर भरोसा भी नहीं था..वो वेनु को लेकर पजेसिव बहुत ज्यादा थी..जबतक उसके सारे काम खुद से नहीं करती तबतक उसे संतोष नहीं होता था,इस कारण भी हर चीज मां के हाथ से ही करवाने वाला वेनु किसी के भी पास जाने से कतराता था।



वहीं नील जबरन नानी की गोद में चढ़ जाता..बैठ जाता गले में झूल जाता, लाड़ जताता,चुम्मा चाटी करता..रानी भी मां के पास नील को छोड़कर मायके में खुब इंजॉय करती शॉपिंग करती,सखी सहेली के साथ घुमती।

ये सब देखकर वीना को अपनी ग़लती का तो एहसास नहीं होता था पर ये जरूर लग जाता कि सास नाती को ज्यादा और उसके बेटे को कम प्यार करती है तो इसलिए जितने दिन ननद रहती उसकी उठा पटक जारी रहती…।

इसी बीच वीना को फिर से अपने अंदर नवजीवन का एहसास हुआ… हालांकि वो अभी बच्चा नहीं चाहती थी क्योंकि वेनु की बहुत केयर करनी होती थी..उसे लगता कि बच्चा पहले ही  शारीरिक रूप से कमजोर है प्यार बंटा तो कहीं मानसिक रूप से भी…।

यही सोचते विचारते जब तक वो डाक्टर के पास गई तो थोड़ी देर हो चुकी थी…बच्चा रखना उसकी मजबूरी थी..सही समय पर फिर से एक सुंदर और स्वस्थ लड़के को जन्म दिया वीना ने…।

अपनी मां की शारीरिक अस्वस्थता के कारण, वीना इसबार ससुराल में ही रही थी तो सारी जिम्मेदारी नर्मदा जी की ही थी… उन्होंने सबकुछ बहुत अच्छे से संभाला..वीना की पहली डिलीवरी तो नाॅर्मल थी पर दूसरा बच्चा मोनू सिजेरियन था…।

हालांकि वेनु और मोनू दोनों वीना के ही बच्चे थे..पर नवजात मोनू को ज्यादा आवश्यकता होते हुए भी वीना को ज्यादा समय वेनु को ही देना पड़ता ताकि उसे छोटे भाई के आने से असुरक्षा का एहसास ना होने पाए..पर मोनू को कम समय देने का अपराधबोध बड़ा सताता उसे।

इसी बीच अचानक एक दिन वेनु प्यार करने के चक्कर में वीना की पीठ पर चढ़ गया और भावनाओं में बही वीना ने अपनी शारीरिक स्थिति को अनदेखा कर उसे पीठ पर चढ़ाकर घुमाया भी… दुर्भाग्यवश बच्चे के भार से वीना का कमजोर टांका टूट गया और अस्पताल भागना पड़ा..।

डाॅक्टर ने पूरी तरह से ठीक हो जाने तक वीना को भर्ती कर लिया…मोनू को छोटा होने के कारण अस्पताल में रखा गया..जबकि वेनु दादी के पास रूका।



अस्पताल से लौटकर आई वीना तो पाया वेनु दादी से बहुत घुल मिल गया है और दादी भी उसका बहुत ख्याल रख रही है तो वो शर्मिंदा हो उठी…अब उसे भी एहसास हो रहा था कि सासु मां उतनी भी ग़लत नहीं जितना वो सोचती थी..वैसे भी जिस बच्चे को अपने हाथों से पाला हो उसके प्रति थोड़ा ज्यादा लगाव होना क्या ग़लत है?

मम्मी जी सॉरी मेरे व्यवहार के लिए..आप सच कहती हैं रिश्ते समय देने से प्रगाढ़ होते हैं..चाहे वो छोटा बच्चा हो या बड़ा आदमी… मैं एक तो आप पर बच्चे को छोड़ती भी नहीं थी और आपके प्यार पर अविश्वास भी करती थी तो भला बच्चे का आपसे लगाव भी कैसे हो पाता…

कोई बात नहीं बहू… बहुत बातें इंसान देर से समझता है.. तुम्हारे मन में चलता था ना कि मम्मी जी नाती को ज्यादा प्यार करती हैं…आज वही सवाल अगर मैं तुमसे पूछूं कि तुम अपने कौन से बेटे को ज्यादा प्यार करती हो तो क्या कहोगी बहू???देखने वाले को तो यही लगेगा कि तुम वेनु को ज्यादा प्यार करती हो और मोनू को कम…क्या ऐसा है??

बिल्कुल नहीं मम्मीजी मेरे दोनों बच्चे मेरी जान हैं… दोनों को मैंने अपने पेट में रखा है,अपने रक्त से सींचा है तो प्यार तो दोनों से होगा ना…

पर दिखता तो यही है ना कि वेनु तुम्हें ज्यादा प्यारा है तो अब मानोगी ना कि दिखने वाली बातें भी हमेशा सही हो जरूरी नहीं है.. प्रेम स्नेह दिखने नहीं महसूस करने वाली बात है,अगर वेनु से मुझे प्यार नहीं होता तो क्या इतना छोटा बच्चा इतनी जल्दी मुझसे घुल मिल पाता…बोलो??

मुझसे गलती हुई जो आपको गलत समझा मम्मी जी…अब माफ़ कर भी दीजिए..।

चलो…तुम्हें बात समझ आ गई यही सबसे बड़ी बात है बहू…खैर मैं ये कह रही थी कि रानी का बड़ा मन था आने का मोनू को देखने…पर थोड़ी हिचक रही थी।

अरे मैं खुद फोन करके दीदी को बुलाऊंगी मम्मी जी…वैसे तो वो बुआ है बिन बुलाए भी आ सकती है पर अपने व्यवहार के लिए उनसे भी तो माफी मांगनी है मुझे…।

#प्रेम 

मीनू झा  

 

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