बैरी पिया – सुषमा यादव

,,,, एक राज़ की बात बताऊं,,

आपको दिल की बात बताऊं

नहीं, नहीं, सबको बता देंगे आप,,

कहानी बना देंगे,,,,,, आप,,,,,,, इसलिए इस राज़ को हम , यहीं पर दफ़न कर देते हैं,,,जब आप कहेंगे,, आप पर पूरा भरोसा है, आप जो भी कहेंगी,,सच कहेंगी,,,सच के सिवाय कुछ नहीं कहेंगी,तब हम आपके सामने

हाजिर कर देंगे,,,

******अभी हम चलते हैं,,,बैरी पिया,,, से आपकी मुलाकात कराने,,,

,,,, हमारे उनका ट्रांसफर जबलपुर से छिंदवाड़ा हुआ,,,तो ज़ाहिर है, हमें भी अपना ट्रांसफर करवा कर वहां जाना पड़ा,,, हमारे घर के पास ही इनका आफिस भी था,,,

हमारी कालोनी में ही इनके दोस्त शुक्लाजी का भी घर था,पर उनका आफिस

दूसरी जगह था,,,ये अक्सर रात को देर से आते, करीब नौ,दस बजे तक,,,,,,, एक दिन शुक्ला जी की पत्नी रात बजे हमारे घर आई, और बोली,, भाई साहब आ गये,, हमने कहा,, नहीं, दीदी, वो तो अक्सर ही  दौरे पर रहते हैं,, इसलिए रात देर से आते हैं,,,वो बोली,चलो , मेरे साथ,, मैंने कहा,, कहां,, वो बोली,बस चलो,, और हम दोनों अब इनके आफिस में खड़े थे,,, आफिस के अंदर से आवाजें आ रही थी,, दीदी ने इशारा किया,, खिड़की से झांक कर देखो,,,ये क्या,,हाय राम,,ये

और शुक्ला जी हाथों में गिलास पकड़े कुछ पी रहे थे,, एक बोतल सामने रखी थी,,, गुस्सा के मारे हम लाल,पीले हो गये,, दीदी ने हमें चुप रहने का इशारा किया, और घर ले आईं,, बोली,ये लोग शाम से ही आफिस में रहते हैं, और रोज ही पीते हैं,,, मुझे शराब, सिगरेट से सख्त नफरत थी,, मेरे

मायके में तो अंडे भी छूना पाप समझा जाता,,,रात को आये, हमने रोज की तरह खाना खाया और जाकर लेट गए,, बताया नहीं कि हम आपकी कारस्तानी सब देख आये हैं,, इन्होंने बड़े प्यार से हमारा चेहरा अपनी तरफ किया,हम अनजान बने चौकने का नाटक किया,,, अरे,आज आपके मुंह से बहुत ख़राब बदबू आ रही है,, ये अचकचा गये,,दूर

हटते हुए बोले,, नहीं तो, ये तो पान की खुशबू है,,आप रोज पान खाकर आते हैं,हम कुछ समझ ही नहीं पाते,,, सिगरेट भी पीते हैं, इसलिए आप के होंठ काले हो गये हैं,, आप को जो करना हो करिये,पर प्लीज़ मुझसे दूर रहिए,

मैं इस बदबू को सहन नहीं कर पाऊंगी,,, दूसरे दिन ये पांच बजे ही आ गये,, और बोले, मैं,कसम खाता हूं,अब शराब, सिगरेट को कभी भी हाथ नहीं लगाऊंगा,,

फिर मैंने भी सब बता दिया,, दीदी, मुझे आफिस ले जा कर सब दिखाई थी,,पर आप शुक्ला जी को कुछ नहीं बताना,, और हमारी लड़ाई भी नहीं हुई, और उनकी गलत आदतें भी छूट गई,,, फिर कभी भी इन्होंने मुझे शिकायत का मौका नहीं दिया,,,

********,बस हमें दुःख इस बात का रहता,, बोलने की आदत ना के बराबर थी,,ना कभी खाने की तारीफ करते,ना ही मेरी, और मेरी साड़ियों की,,बस इतना कहते,जम रही हो,,ना इन्हें हमारा जन्म दिन याद रहता,ना ही शादी की सालगिरह,,, बेटियां कहती,, पापा,, मम्मी को मुबारकबाद दिया, कोई गिफ्ट दिया,, बोलते, मुझे ये सब चोंचले पसंद नहीं है, मैं गांव का साधारण किसान का बेटा हूं, हमारे यहां ये सब नहीं चलता,, चूंकि बेटियां बचपन से ही बोर्डिंग स्कूल में रहतीं थीं, तो बस फोन पर ही बधाई

दे देतीं,,

हम क्या करते,बस आंसू बहा कर, मुंह फुलाकर बैठ जाते,, यहां तक कि फोटो खिंचवाने भी नहीं जाते थे,,

*****बैरी पिया, बड़ा दुःख दीन्हा,***बड़ा ही बेदर्दी,,

बस हम यही कहते,,,,दिल के अरमां आसूंओं में बह गए,,,

मेरे दो बेटियां हो गई,,, ये इकलौती संतान थी,, कोई बहन, भाई नहीं थे,,,अब मेरी सासु मां ने

हंगामा करना शुरू कर दिया,,,एके बेटवा ना होई,,दू ठो बिटिया पैदा कर दी,,अब बेटवा हम तुमहार दूसर शादी करब, और देखना तुम्हारे तीन,चार बेटे होंगे,,हमार वारिस चाहिए ना,,हम ये सुनकर डर गये,,कि इनकी दूसरी शादी करेंगी,, हमारी सास के पिता जी ने भी दूसरी शादी किया था,,अब मेरा क्या होगा,,,

पर मैंने सोचा कि मेरी सास की ग़लती नही है,, गांव में लोग उन्हें बहुत सुनाते हैं, लड़ाई, झगड़ा में ताने बहुत मारते हैं,, मैंने मन में कुछ निश्चय किया और इनसे बोली,, एक बात कहूं, मानेंगे,,बोलो,,,, मैंने कहा कि,, देखिए,,जब जब हम गांव आते हैं, अम्माजी, ये ही बात लेकर बैठ जाती हैं,घर का माहौल बहुत ख़राब हो जाता है,,, वो कुएं में कूदने की धमकी देती हैं,, वो सही कहती हैं,,,आप दूसरी शादी कर लीजिए, वो यहां गांव में रहेगी,,और आपके साथ शहर में भी रहेगी,, मैं अपने शहर में वापस ट्रान्सफर करवा कर चली जाऊंगी,आप कभी कभी आते रहना, मैं दिल से इजाजत दे रही हूं,,,ये कुछ नहीं बोले, और कहा,सो जावो,,, मैं सो गई,,

देर रात मेरी नींद खुल गई और मैंने सुना कि सब नीचे बैठे हैं, और ये बोले जा रहे हैं,,,,, अम्मा, तुम क्यों जिद कर रही हो,, बेटी होने में उसकी कोई ग़लती नही है,, तुम मेरी चार शादियां भी करवा दोगी,,तो भी बेटा नहीं पावोगी,, मैं तुम्हारा सब कुछ करूंगा,, और जानती हो अम्मा,, तुम्हारी बहू इतना पढ़ी है,, इतनी बड़ी नौकरी कर रही है,,दूर,दूर,तक कोई है, उसके जैसा,,आज तक उसने तुम्हें पलट कर कोई जवाब दिया है,,,उसको तुम कितना सुनाती हो,, अपने मायके में भी कुछ नहीं बताती,,

मैं दो बजे रात को भी दौरे से आता हूं तो मेरा इंतजार करती है, और गरम,गरम रोटियां बना कर खिलाती है,,,तुम्हारी बहू लाखों में एक है,,, मैं उसे किसी भी हालत में नहीं छोड़ सकता,,, उसके जैसे मुझे और तुम्हें कोई नहीं मिलेगा,

तुम्हारी दोनों पोतियां कितनी प्यारी हैं, तुम्हें कितना मानती हैं,,

मेरे सास ससुर ‌चुपचाप सुनते रहे,,, ठीक है बेटा, जैसा तुम चाहो,,,

मैं ऊपर छत से सब सुन रही थी,,,हे भगवान,, मुझे माफ़ कर देना,, मैंने इन्हें कितना गलत समझा था,, हमेशा चुप्पी साधे रहते थे,, बोलती, कभी तो दिले इज़हार कर दिया करिए,, मुस्कुरा

कर कहते,, क्या बोलें,, हमें शेरो शायरी, नहीं आती, सीधे सीधे बोलना आता है बस,,, मुझे दिखावा करना नहीं आता,,

पर आज जो कुछ हमने सुना,, हमारी आंखों से आंसू बहने लगे, और सारे गिले शिकवे दूर हो गये,,

कितना प्यार करते हैं, कितना मेरा आदर,मान, सम्मान करते हैं,, मैं ही पागल नहीं समझ पाई,,ये मेरे पास आये तो मैं रोने लगी और बोली, मुझे माफ़ कर दीजिए, आपको समझने में भूल हो गई,,

इन्होंने मुझे गले से लगा लिया और बोले,,, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं,, हां ये ज़रूर है, कुछ कहता नहीं,, बहुत कुछ बिना बोले ही हम एक दूसरे की भावनाओं को ‌अच्छी तरह समझ सकते हैं,,,बस हमें और क्या चाहिए,, दुनिया की खुशियां हमारे

दामन में,,,बस अब तो ‌गाने का मन करने लगा,,,,

,,,, कोई मायके में दे दो संदेश,

पिया का घर प्यारा लगे,,

बैरी पिया बड़ा प्यारा लगे,,,

जन्म जन्म से हमारा लगे,,,

सुषमा यादव,, प्रतापगढ़,

स्वरचित, मौलिक,,,

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