बहुत रुलाया उसने  – उमा वर्मा

 माँ नहीं रही ।सुबह छह बजे चली गई ।स्वाती का फोन जब सुबह सुबह आया तो मीनू को काठ मार गया ।” यह क्या हो गया “? वह सिर पकड़ कर बैठ गयी ।जबसे उसने सुना था कि कंचन की हालत खराब है वह बेचैन हो गई थी ।बार बार उसके फोन पर मेसेज भेजने पर भी जब कोई उत्तर नहीं आया तब मीनू ने अपनी बेटी को फोन लगाया ” दिव्या जरा कंचन को फोन लगा तो ” वह फोन ही नहीं उठा रही है ।

न जाने क्या बात है ।दिव्या ने मेसेज फॉरवर्ड कर दिया ” वह कल बार बार दिव्या दिव्या चिल्लाने लगी तो मैंने बात करा दिया ” मेसेज उसके पति का था ।बेटी ने कहा- माँ वह बोल नहीं पा रही थी ।

मीनू ने फिर कंचन के मोबाइल पर मेसेज भेजा।” कंचन से बात करा दीजिये ” पर कोई उत्तर नहीं आया तब फिर बेटी को वह बोली ” कोई जवाब नहीं आ रहा, क्या करें?” दिव्या ने फिर फोन कर के पूछा तो मेसेज फॉरवर्ड कर दिया ” अब बात करना संभव नहीं है ” टाटा कैन्सर हास्पीटल में एडमिट है ।

बेहोश है ।दूसरे दिन ही तो सुबह दुखद समाचार आ गया था ।मीनू पागलों की तरह छटपटाने लगी थी ।”  एक बार कंचन का चेहरा दिखा दीजीए ” और वह बेजान चेहरा मुँह नाक में रूई लगा हुआ चेहरा देख पाने लायक नहीं था ।उसकी बेटी ने वीडियो कालिंग करके दिखाया था ।

रो रो कर मीनू का बुरा हाल था ।कंचन कोई अपनी नहीं थी लेकिन अपनो से बढ़कर थी।बचपन से बड़ी होते तक की पारिवारिक दोस्ती, जन्म से छठी मुंडन, शादी, फिर उसके बच्चे सब कुछ तो निबटाया था मीनू ने उसकी माँ वीणा दीदी भी तो मीनू को छोटी बहन ही मानती थी ।सब कुछ ठीक चलने लगा था ।अभी पिछले साल ही तो मिली थी वह जब उसके पापा के अंतिम क्रिया कर्म पर गई थी मीनू।

कितना चुप चाप बैठी थी कंचन ।उसने पूछा था ” क्या बात है बेटा इतना चुप क्यो बैठी हो ” नहीं छोटी माँ कोई बात नहीं है ।तभी स्वाति ने ढेर सारी दवाई लाकर माँ को खिलाया था ।” नहीं यह सब तो ऐसे ही कुछ कुछ होता रहता है ” बहुत कम बोलने वाली थी वह ।




बस कई बातों का उत्तर थोड़े शब्दो दे देती।तब कहाँ पता था मीनू को कि वह लड़की इतनी बड़ी बीमारी कैंसर से सामना कर रही है ।न जाने कब से वह मीनू को छोटी माँ बुलाने लगी थी ।मीनू और दिव्या को कहानी लेखन का शौक था अकसर दोनों की कहानी वह बहुत मन से पढ़ती थी।उसके कमेंट से दिव्या को खुशी मिलती ।” बचपन की बातें लिखो न दिव्या, जब मैंने तुम्हे छत पर घसीट दिया था, तुम्हारी पीठ छील गई थी और तब भी तुम हंस रही थी ।

सच में ।एक साथ स्कूल जाना, छत पर पिकनिक करना, एक साथ बैठकर खाना, एक साथ दशहरा में घूमने जाना, एक तरह के ड्रेस बनवाना, सिनेमा, पिकनिक, कालेज सबकुछ तो साथ ही चलता रहा था ।मीनू भी हमेशा उसके शादी के बाद भी संपर्क में ही रही।इधर साल भर से उसका फोन कम आने लगा था ।मीनू को लगता अपनी घर गृहस्थी में मगन होगी ।

कई बार दिव्या को वह बताती ” जानती हो दिव्या, माँ के नहीं नहीं रहने पर छोटी माँ ने ही अपनापन दिया है ।सचमुच वह मीनू की बेटी ही तो थी।दिव्या ने उसके आग्रह पर छत पर घसीटने बात की कहानी ” भूली बिसरी यादें ” लिख कर पोस्ट किया था तब कंचन कितनी खुश हो गई थी ।मीनू को मेसेज किया था ” मजा आ गया छोटी माँ, कहानी पढ़कर ।

फिर दो दिसम्बर कंचन की मेरिज एनिवरसरी थी तो मीनू ने आशीर्वाद भेजा था जवाब में उसने प्रणाम का इमोजी भेज दिया ।तभी मीनू को लगा था जरूर कुछ बात है ।” क्या बात है बेटा? बहुत दिनों से कोई बात नहीं हुई है ।कोई उत्तर नहीं आया ।हमको एक बार दिखा दीजीए कंचन को।दिव्या ने फोन किया था कि उसकी तबियत बहुत खराब है ।कैन्सर है उसे ।तभी से छटपटाने लगी थी मीनू ।और आज सुबह का मैसेज का भरोसा करना कितना कठिन लगा था उसे ।




नाक मुँह में रूई लगा हुआ, चिरनीद्रा में सोयी एक बेटी  का मुखडा कैसे देख सकी थी वह ।बेटी लगातार उसके भेजे हुए मैसज फॉरवर्ड कर रही थी ” कुदरूम का चटनी याद आया क्या “?” साग का बीड़ा “? ” हमको दादी बोली थी कि टमाटर की सास होती है कहीँ? चटनी बोल ।” कपड़े की गुड़िया भी ” ” एक कहानी और लिखना, टापिक देंगे ।

” अम्मा जी दोनों को बहुत प्यार करती थी ।सब कहानी खत्म, बहुत जल्दी टापिक दे दी ।पढ़ने वाली नहीं रही।मीनू के आँसू थमते ही नहीं थे।क्या लिखे वह? ” अंतिम यात्रा ” या फिर ” बहुत रुलाया उसने ” हल्की फुल्की मजाकिया लहजा बोलने वाली खामोश क्यो हो गई? 

और आज उसके पति का पोस्ट पढ़कर तो कोई भी अपने आँसू नहीं रोक पाया होगा ” न किसी के आख का नूर हूँ—–” कितना दर्द था उस गीत में ।” मेरी दिवंगत कंचन को समर्पित है यह कहानी ।यह एक सत्य कथा है ।जैसा था वैसे ही लिखा है ।चूंकि यह बिहार और झारखंड की कहानी है तो ” साग का बीड़ा ” कपड़े की गुड़िया “, कुदरूम की चटनी ” शब्द आया है ।पाठक क्षमा करें  अगर समझ में नहीं आया है तो ।

” बेटियां पांचवा जन्मोत्सव ” कहानी श्रृंखला 3 ,

उमा वर्मा, नोएडा ।

कहानी स्वरचित एवं मौलिक है ।

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