बहू को भी दर्द होता है

गर्मी की छुट्टीयों में रमा की ननद प्रिया आई हुई थी. रमा ने सोचा आज सबको रात के खाने में छोले भटूरे बनाकर खिलाऊंगी।  छोले भटूरे बनाने के लिए रमा जैसे ही रसोई में गई, थोड़ी देर बाद उसकी ननद प्रिया भी आ गई, उसने कहा भाभी आप भटूरे बेलते जाइए और मैं जल्दी से कड़ाही में तलते  जा रही हूं ऐसे मे भटूरे जल्दी-जल्दी बन जाएंगे। क्योंकि आपके छोले देख कर मेरे मुंह से पानी आ रहा है ऐसा लग रहा है बस खा ही लूँ। 

इस बार आपसे अच्छी तरह से छोले बनाना सीख लूँगी और अपने ससुराल में बनाकर सबको खिलाऊंगी। भाभी आपके हाथों में तो जादू है आप जो भी बनाती हैं ऐसा लगता है की उंगलियां चाटते रह जाएं और एक मैं हूं पता नहीं कब खाना बनाना सिखूंगी रोजाना ससुराल में सास से ताने सुनती रहती हूं। 

प्रिया भटूरे तल  रही थी तभी कढ़ाई मे से  तेल के छींटे उसके हाथ पर पड़ गए और उसका हाथ जल गया और जोर जोर से चिल्लाने लगी उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर रमा की सासू मां रसोई के अंदर आ गई और उसने देखा कि प्रिया का हाथ जल गया है फिर क्या था रमा की सास अपनी बहू को वहीडांटना शुरू कर दिया।  



बहु तुमसे अगर खाना नहीं बनता है तो मुझे बता देती।  बेटियां मायके इसीलिए जाती हैं कि उन्हें कुछ काम करना  ना पड़े। ससुराल में तो वह काम करती हैं अब मायके में भी आकर क्या काम करेंगी लेकिन तुमने प्रिया को अपने साथ ले लिया।  प्रिया कही जा रही थी, मम्मी भाभी की इसमें कोई गलती नहीं है मैंने जबरदस्ती कहा कि मैं तल देती हूं आप सिर्फ बेलते जाइए। 

प्रिया के सास  ने इस बात को इतना बड़ा बना दिया था ऐसा लग रहा था कि प्रिया पूरी तरह से ही जल गई हो जबकि उसके हाथ पर हल्का सा तेल का  छींटा पड़ा था । रमा के पति महेश जैसे ही ऑफिस से आया। रमा की सास ने कहा बेटा जल्दी से प्रिया को डॉक्टर के पास ले जाओ देखो इसके हाथ जल गया है।  महेश ने पूछा कैसे जला तो रमा की सास ने कहा तुम्हारी पत्नी ने जलाया है महारानी से अकेले खाना नहीं बन रहा है। 1 साल पर तो मेरी बेटी अपनी मां के यहाँ आई है और तुम्हारी पत्नी ने अपने साथ रसोई में भटूरे तलने के लिए बुला लिया। 

प्रिया कह रही थी  थोड़ा सा जला है मैंने टूथ पेस्ट लगा दिया  है ठीक हो जाएगा लेकिन उसकी मां कहां मानने वाली थी अपने बेटे से डॉक्टर के पास भेज कर ही दम लिया। 

यह सब देखकर रमा सोच रही थी सच कहा गया है बहू और बेटी में बहुत अंतर होता है उसे याद आ रहा था अपना पिछला वाक़या जब वह रोटी  बना रही थी तो उसका अंगुली जल गया था उसने अपने पति से जलने वाली क्रीम लाने के लिए बोला तो सासु माँ ने कहा। इतनी छोटी-छोटी चीज के लिए आदमी क्रीम लगाने लगे तो हो गया।  हमने भी अपने जीवन में खाना बनाया है एक तुम पहली बार खाना नहीं बना रही हो जब रसोई में आदमी खाना बनाता है तो इतना तो छोटा-मोटा जलता ही है।



 और जब अपनी बेटी का थोड़ा सा तेल का छींटा पड़ गया ऐसा लग रहा है उन्होंने पूरे घर को अपने सर पर उठा लिया है। 

रमा की भाभी गर्भवती थी और मां की तबीयत भी सही नहीं रहती थी आखिरी महीना चल रहा था। रमा  ने सोचा कि वह 1 महीने के लिए मायके चली जाती है भाभी को आराम हो जाएगा उसने अपने सासू मां से मायके जाने की इजाजत मांगी तो सासू मां ने यह कहकर मना कर दिया कि बहू तुम्हें अपने मायके की तो चिंता है और यहां की चिंता है नहीं है।  तुम्हें तो पता है कि मेरे से अब खड़ा भी नहीं होया जाता है मैं कैसे खाना बनाऊंगी और फिर तुम्हें तो पता ही है कि तुम्हारे ससुर जी को सुबह सुबह नाश्ता करके दवाई खाना होता है। 

 रमा सोच रही थी कि अभी तो मेरे ससुराल आए सिर्फ 6 महीने हुए हैं तो क्या यह 6 महीने पहले दवाई नहीं खाते थे क्या इस घर में खाना कैसे बनता था लेकिन रमा मन मसोस के रह गई वह चाहकर भी अपने मायके नहीं जा सकती। 

रामा की ननद प्रिया अब अपने ससुराल में नहीं रहती थी क्योंकि उसके पति का जयपुर ट्रांसफर हो गया था तो वह अपने पति के साथ ही जयपुर में रहती थी।  कुछ दिनों के बाद पता चला कि उसकी ननद प्रिया गर्भवती है लेकिन अभी तीसरा महीना ही चल रहा था अभी 6 महीने का समय था लेकिन जब रमा की सास को यह बात पता चला उसकी बेटी वहां अकेली है कोई करने वाला नहीं है उसने अपनी बहू को मीडिया से कहा बहू तुम्हें तो पता ही है प्रिया 3 महीने पेट से है मैं तो सोच रही हूं तुम वही चली जाती। 

 रामा जब यह बात सुनी तो यही सोचने लगी जब मुझे अपने भाभी के पास जाना था तो सासू मां कह रही है खाना कैसे बनेगा ससुर जी की दवाई कैसे खा पाएंगे लेकिन अब बेटी की बात आई तो सब हो जाएगा।  मैंने तो कह भी दिया कि माँ जी अगर मैं प्रिया के पास चली जाऊंगी तो यहां खाना कौन बनाएगा और सुबह सुबह आपको तो पता ही है पापा जी को भी नाश्ता करके दवाई खाना होता है। 



रमा की सास  थोड़ा कड़क होते हुए बोली तुम इतना ज्यादा मत सोचो। तुम्हें ससुराल यहां आए कितने दिन में हुये  6 महीने तो हुए तुम यहां नहीं थी तो क्या हम खाना नहीं खाते थे या तुम्हारे ससुर जी दवाई नहीं खाते थे यहां सब हो जाएगा तुम ऐसा करो।    आज ही मैं महेश से बोलती हूं तुम्हें कल सुबह जयपुर छोड़ आएगा। 

रमा को ना चाहते हुए भी अपने ननद के पास जयपुर जाना पड़ा। अभी 6 महीने बाकी थे बच्चे के जन्म में लेकिन प्रिया ने सब कुछ करना छोड़ दिया था वह कोई भी काम नहीं करती थी सिर्फ खाना खाने के अलावा।  

रमा ने कितनी बार प्रिया से बोला भी प्रिया अगर छोटे-मोटे काम किया करोगी तो वह स्वास्थ्य के लिए अच्छा ही होता है लेकिन प्रिया ने अपनी भाभी को यह कहकर चुप करा दिया कि भाभी यह मेरा पहली बार है मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती हूं। भाभी बनकर नहीं आई है बल्कि नौकरानी बनकर आई है।  6 महीने बीते और प्रिया मां बन गई। फिर उसके बाद रमा की सास ने प्रिया को भी अपने पास ही बुला लिया। 

 इधर अब रमा भी गर्भवती हो चुकी थी।  प्रिया को लगा कि अब मुझे ही काम करना पड़ेगा क्योंकि भाभी से तो काम होगा नहीं तो उसने अपनी मां से कहा मां मैं कब तक यहां रहूंगी तुम्हें तो पता ही है कि तुम्हारे दामाद जी को खाना बनाने आता नहीं है बाहर का खाना खाकर मोटे होते जा रहे हैं। प्रिया बहाना करके जयपुर चली गई। 

 रामा का सातवां महीना चल रहा था  रमा से अब कोई भी काम हो नहीं पा रहा था वह जल्दी थक जाती थी।  उसने अपने पति से अपने मायके जाने के लिए कहा तो महेश ने कहा कि मेरी तरफ से तो हां है मां से तुम एक बार पूछ लो। 



रमा ने जब अपनी सास से कहा कि मां जी मुझे मेरे मायके पहुंचा दीजिए अब मुझसे कुछ काम नहीं हो पाता है।  जैसे ही रमा ने यह बात अपने सास से कहा रमा की सास ने कहा आजकल की बहुओं के तो नखरे ही बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं।  एक हम थे जो आखरी दिन तक काम करते रहते थे। कहने को तो मेरी सास थी लेकिन बिल्कुल ही मुझे मदद नहीं करती थी हर काम मैं खुद करती थी।

 रमा की सास ने कहा, देखो बहू मुझे तुम्हें मायके भिजवाने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन सोचो तुम्हारे मायके वाले के क्या सोचेंगे।  कहेंगे बहू को सेवा करने की बारी आई तो मायके पहुंचा दिये।  

 और फिर तुम ऐसी बात कर रही हो जैसे मैं तुम्हें कोई हेल्प ही नहीं करती हूं मैं भी तो हूं मदद कर दीया करूंगी। 

 प्रिया यही सोच रही थी कि लोग कैसे बदल जाते हैं जब बेटी की बात आती है तो अलग तरह से सोचने लगते हैं और जैसे ही बात बहू पर आती है बिल्कुल बदल जाते हैं ऐसा लगता है उन्हें की बहू पत्थर है बहू को तो कभी दर्द ही नहीं होता। 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!