वो सबकी सुनता है

एक राज्य में एक प्रतापी राजा रहता था उसने अपने वीरता से आसपास के सभी राज्य जीतकर अपने राज्य में मिला लिया था। 

 1 दिन वहां बैठ कर सोंच रहा था  उसके द्वारा युद्ध में कितने लोगों की हत्या हुई है। वह  अपने आप को हत्यारा समझने लगा वह सोच रहा था कि उसने ऐसा कर के क्या पाया ऐसे सोचते सोचते उसको बहुत बेचैनी होने लगी वह अपने सिंहासन पर बैठे बैठे ही बेहोश हो गया। 

 तुरंत राजवैद्य को बुलाया गया राजा  की जांच करके राजवैद्य ने बताया कि राजा को कुछ नहीं हुआ है राजा बहुत तनाव में थे इस वजह से बेचैनी से बेहोश हो गए थे। 

 थोड़ी देर के बाद राजा को होश आया और फिर वह यही सोच रहा था कि उसने आखिर इतने लोगों की हत्या करके क्या पाया।  रात आधी हो चुकी थी फिर भी राजा को नींद नहीं आ रहा था और फिर से उसके अंदर बेचैनी होने लगी थी वह अपने राजमहल से निकलकर अपने बगीचे में जाकर टहलने लगा घूमते घूमते उसने सोचा कि राजमहल से ज्यादा सुकून तो बाहर ही है वह पैदल पैदल ही राज्य की सड़कों पर काफी दूर निकल गया। 



सड़क से जा ही रहा था तभी सड़क किनारे एक झोपड़ी से किसी के रोने की आवाज आ रही थी राजा ने सोचा झोपड़ी के अंदर झांक कर देखता हूं और मेरे राज्य में कौन इतना दुखी है जोर ज़ोर  रो रहा है। उसने झोपड़ी में झांक कर देखा तो वहां एक औरत अपनी 4 महीने की बच्ची को अपनी गोद में लेकर रोए जा रही है और भगवान से मदद की गुहार लगा रही है। 

 राजा ने सोचा कि यहां से मैं अब  चलता हूं सुबह अपने सैनिकों से औरत के घर कुछ  खाने का अनाज भिजवा दूंगा नहीं तो अगर कोई देख लेगा तो पता नहीं क्या सोचेगा। 

 लेकिन राजा जैसे ही कुछ दूर आगे बढ़ा उसके मन में यह विचार आया क्यों ना एक बार पूछ ही लेता हूँ यह इतना क्यों रो रही है आखिर उसको तकलीफ क्या है।  राजा ने अपनी दिल की सुनी और दरवाजा खटखटाया कुछ देर बाद उस औरत ने दरवाजा खोला और राजा को देखकर डर गई। राजा ने कहा, “मैं इस राज्य का राजा हूं मैं तो यह जानने आया हूं मेरी प्रजा कैसी है  आपको क्या परेशानी है आप क्यों इतना रो रही हैं। 

 यह सुनकर उस औरत के आंखों से आंसू झरने की तरह बहने लगे।  उसने अपने बच्चे को दिखाते हुए कहा यह अभी सिर्फ 4 महीने की ही है और मेरे पास इतना भी पैसा नहीं है कि मैं दूध खरीद के इस बच्ची को पिला सकूं।  मेरे छाती से दूध नहीं आता है समझ में नहीं आता है क्या करूं। कभी-कभी तो मन करता है कि इसको लेकर मैं नदी में कूदकर जान ही दे दूं। 

 राजा ने कहा थोड़ी सी दूध के लिए क्या जान देना ठीक है आप किसी से कर्जा लेकर बच्ची को दूध पिला देती  या कोई काम कर लो उसके पैसे आएंगे तो अपना जीवन यापन कर लेना। 



 औरत ने कहा महाराज सब  से मांग कर देख लिया किसी ने भी नहीं दिया सब ने मना कर दिया। 

कल शाम को एक संत भिक्षा मांगने आए थे लेकिन मेरे पास तो कुछ था ही नहीं उनको देने के लिए जब मैंने उनको अपनी समस्या बताई तो उन्होंने कहा बेटी तुम सुबह 4:00 बजे उठकर   उससे से मांगो वो सबकी सुनता है लोगों से मांगना छोड़ दो तो मैं रो रो कर ईश्वर से अपनी बच्ची के लिए दूध मांग रही थी और कोई सुने ना सुने वो जरूर सुनेगा। 

महाराज मेरे पास इसके अलावा कोई दूसरा चारा भी तो नहीं था। 

 

राजा उसी समय उस औरत को अपने साथ अपने महल ले गए और अपने महल में ही उसको नौकरी दे दी और उस बच्ची के पालन पोषण की जिम्मेवारी भी राजा ने ले लिया। 

 राजा को यह बात समझ आ गई थी उन्हें रात में बेचैनी क्यों हो रही थी और क्यों वह राजमहल से निकलकर बाहर चले गए थे क्योंकि उन्हें ईश्वर ने भेजा था। 

दोस्तों  हमें पता नहीं है लेकिन ईश्वर मौजूद है हम में आप में हर चीज में ईश्वर मौजूद हैं और वह किसी न किसी रूप में हमारी मदद करने आ ही जाता है, इसीलिए आप तनाव में आकर कोई गलत फैसला ना लें अपना धैर्य बनाए रखें अगर आप अच्छे कर्म करेंगे आपके साथ अच्छा ही होगा क्योंकि ईश्वर सब की सुनता है।

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