सखा, भाई, पिता, और पति – रेखा जैन : Short Stories in Hindi

आज रोहिणी बहुत खुश थी।  वो अपने पति के आने का इंतजार कर रही थी।  आज का ये सुखमय और खुशियों भरा दिन उन्ही की बदौलत उसकी जिंदगी में आया है। 

 सोचते हुए वो अतीत में गोते लगाने लगी…जब वो ब्याह कर इस घर में आई तब उसकी उम्र 15 वर्ष ही थी।  दसवीं की परीक्षा दी थी उसने जिसका परिणाम भी आना बाकी था।  उसके पति महेंद्र ग्वालियर में रह कर कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे और वो गांव में अपने सास ससुर के साथ रहती थी।

शादी के कुछ दिनों बाद उसकी दसवीं कक्षा का परिणाम आया ,,उसने प्रथम श्रेणी में पास किया था।

सास तो ज्यादा खुश नहीं हुई क्योंकि वो ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी।  ससुर व्यापारी थे और औरतों की पढ़ाई के खिलाफ थे। 

लेकिन उसके पति बहुत खुश हुए।  उसका परिणाम आने पर बाजार से उसके लिए मिठाई ले कर आए और अपने हाथों से खिलाई। जिस पर उसकी सास ने मुंह बिचका लिया।

रोहिणी आगे पढ़ना चाहती थी।  शादी से पहले उसने अपने माता पिता को कहा था,  “मुझे आगे पढ़ना है अभी शादी नहीं करना है।”

  लेकिन माता पिता ने कह दिया कि शादी के बाद जितना पढ़ना है पढ़ लेना।  रोहिणी के बाद उसकी दो छोटी बहने भी है और उनकी भी शादी करनी है।

माता पिता की बात सुन कर रोहिणी ने अपने पढ़ने की इच्छा को दिल में ही दबा दिया और शादी को मान गई।

अब दसवीं का इतना अच्छा परिणाम आने के बाद उसके दिल में दबी हुई आगे पढ़ने की इच्छा पुनः जाग्रत हो गई।  लेकिन वो घर का माहौल देखते हुए अपनी इच्छा किसी से कह नहीं पाई और एक बार फिर से अपनी इच्छा को दिल में ही दफन कर दिया।

ग्वालियर में रहते हुए रोहिणी के पति ने अपनी पढ़ाई पूरी की और वहीं पर अच्छी नौकरी में लग गए।

कुछ समय बाद वो वहां पर व्यवस्थित हो गए।  उन्होंने वहां पर एक घर ले लिया और रोहिणी को अपने साथ ले गए।

अम्मा बाऊजी उनके पास आते जाते रहते थे।  

ग्वालियर जाने के दो वर्ष पश्चात रोहिणी मां बन गई। एक नन्हा राजकुमार टीकू उनकी जिंदगी में आ गया।

रोहिणी का पूरा दिन उस राजकुमार की देखभाल में निकल जाता।  घर उसकी छोटी छोटी शरारतों और तोतली बातों से गुलजार हो गया। 

देखते देखते टीकू तीन साल का हो गया और स्कूल जाने लगा। 

उसके स्कूल जाने के बाद रोहिणी के पास फुरसत का समय रहता। तब वो नजदीक के पुस्तकालय से किताबे ला कर पढ़ने लगी।

एक दिन उसके पति ने उसे किताब पढ़ते देखा तो पूछा,

“तुमको पढ़ने का शौक है?”

“बहुत!” रोहिणी ने जवाब दिया।

“तो तुम आगे अपनी पढ़ाई क्यों नहीं कर लेती?”

“सच!!  आप मुझे आगे पढ़ने की इजाजत देंगे!” रोहिणी ने हैरानी और खुशी से पूछा।

और रोहिणी ने अपनी रुकी हुई पढ़ाई फिर से शुरू कर दी।  उसमे उनके पति ने पूरा सहयोग दिया।

कभी कभी वो घर, बच्चा, और अपनी पढ़ाई में झुंझला भी जाती तो उसके पति उसे मानसिक संबल देते।  

उसने साइंस विषय लिया। उसके पति उसमे उसे पूरी मदद करते।  जहां उसे समझ नही आता वहां वो उसे समझाते क्योंकि उनका भी यही विषय था।

उसके पति बच्चे को भी संभालते। घर के कामों में मदद कर देते।

उसके सास ससुर ने उसकी आगे की पढ़ाई का विरोध भी किया लेकिन उसके पति उसके साथ एक मजबूत चट्टान की भांति खड़े रहे।

उनके प्यार, सहयोग और संबल से वो कदम दर कदम बढ़ती गई और सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गई।

परिणामस्वरूप आज उसके हाथ में एक स्कूल में अध्यापिका की नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र है।

वो जानती है कि आज जितनी खुशी उसे हो रही है ,,उससे कई गुना ज्यादा महेंद्र जी को खुशी होगी।

ये एक ऐसा सपना है जो उसने बचपन से देखा था और उसके पूरे होने की कोई आशा ही नहीं थी। लेकिन ये सपना आज उसके पति की बदौलत पूरा हो गया।

उसने अपने पति में पति का प्यार, एक सखा की दोस्ती, एक भाई का सहयोग, और एक पिता का संबल और सरंक्षण सभी पाया है।

जैसे एक औरत पुरुष की जिंदगी में मां, बहन, बेटी, पत्नी सभी के रोल समय समय पर निभाती है,,वैसे ही पुरुष भी औरत की जिंदगी में दोस्त, भाई, पिता, और पति का रोल निभाता है।

सिर्फ कुछ विकृत मानसिकता के पुरुषों की वजह से पुरुष समाज बदनाम है।

#पुरुष

रेखा जैन

अहमदाबाद, गुजरात

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