रिक्त स्थान (भाग 30) – गरिमा जैन

हेलो रेखा ,तुम्हारे लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है  ।अपना व्हाट्सएप खोल कर देखो ।”

रेखा जल्दी से व्हाट्सएप खोलती है। व्हाट्सएप की फोटो देखकर वह उछल पड़ती है। उसका पासपोर्ट बन गया था और वीजा अप्रूव हो गया था । उसकी हंसी सुनके जितेंद्र को ऐसा लगता है जैसे जिंदगी में उसने सब कुछ पा लिया। जितेंद्र रेखा से कहता है कि वह फटाफट से दोनों का सामान पैक कर ले।

मम्मी उसकी हेल्प कर देंगी सामान पैक करने में। वह लोग स्पेन जाएंगे सिर्फ 1 हफ्ते का प्रोग्राम रहेगा ।जानू को उसकी आया संभालेगी और मम्मी उसका ध्यान रखेंगी। जानू की तरफ से रेखा निश्चिंत रहें कोई उससे कुछ नहीं कहेगा ।पहले वे बार्सिलोना जाएंगे और उसके बाद मेड्रिड ।

रेखा जितेंद्र से पूछती है कि बार्सिलोना  तो वही जगह है ना जहां” जिंदगी ना मिलेगी दोबारा “में रितिक रोशन घूमने गया था  । “

जितेंद्र जोरों से हंसते लगता है ।कहता है

“हां हां वही जगह है ,चलो बाकी बातें घर आकर करूंगा”

आज रेखा को शाम का बेसब्री से इंतजार था। उसे बहुत कुछ पूछना था, बहुत कुछ जानना था ।उसके चेहरे की खुशी छुपाए नहीं छुप रही थी ।तभी दरवाजे पर खट खट की आवाज होती है ।जानू सो रहा था । रेखा धीरे से दरवाजा खोलती है। जितेंद्र की मम्मी आई थी। उनके हाथ में एक छोटा सा बैग था ।वह अंदर आकर सोफे पर बैठ जाती हैं और रेखा को उसमें से कई तरह का सामान निकाल कर देने लगती हैं ।सबसे पहले वह रेखा को कुछ यूरो देती है ।वह करेंसी जो स्पेन में चलेगी ।वह बताती है कि जब वह लोग पांच साल पहले स्पेन गए थे तब यूरोज बच गए थे ।

तब से उन्होंने संभाल के रखे थे ।तब स्वाति भी उन लोग के साथ ही गई थी ।सब ने बहुत मजा किया था। ऐसे जितेंद्र अपने कॉलेज टाइम में भी स्पेन जा चुका है अपने दोस्तों के साथ। जब “जिंदगी ना मिलेगी दोबारा “पिक्चर आई थी उसके बाद ही सबने प्रोग्राम बना लिया था। उन लोग ने वहां खूब मजा किया था। वहां के स्टेडियम में फुटबॉल मैच भी देख कर आए थे ।रेखा उनकी सारी बातें ऐसे सुन रही थी जैसे छोटे बच्चे अपने टीचर की बातें सुनते हैं। वे रेखा के सर पर हाथ फेरती हैं और कहती हैं

“खूब खुश रहो, जिंदगी में खूब आगे बढ़ो  ।जितेंद्र मुझसे कह रहा था कि तुम अपनी पढ़ाई पूरी करनी चाहती हो ।कुछ दिनों के लिए रुक जाओ ।मौसी जी हफ्ते दस दिन में चली जाएगी फिर तुम आराम से कॉलेज जाना। जानू को संभालने के लिए बहुत लोग हैं घर में ।तुम बिल्कुल भी चिंता नहीं करना। मैं जानती हूं तुम में सिर्फ सुंदरता ही नहीं ,तीव्र बुद्धि भी है ,उसका इस्तेमाल करो बेटा और जिंदगी में वह सब करो जो तुम्हारा दिल चाहता है करने का। हम सब तुम्हारे माता-पिता की तरह ही तुम्हारा साथ देंगे ।”

मम्मी जी की बातें सुनकर रेखा की आंखों से आंसू छलक जाते हैं और उनके गले लग जाती है ।वह धीरे-धीरे रेखा के सर पर हाथ फेरती  हैं और कहती है

” बेटा तुम्हें पाकर हम भी धन्य हो गए हैं ।जाओ अब जल्दी से सब तैयारी करना शुरू करो  ।2 दिन के बाद ही तुम लोग को निकल जाना होगा ।खूब मजे करके आना और वहां से खूब सारी यादें समेट के आना अच्छी यादें, प्यार भरी यादें।”

रेखा के गाल सुर्ख गुलाबी हो जाते हैं।

रात के खाने के समय सारे स्पेन की बातें कर रहे थे ।जितेंद्र पिता आज बहुत खुश हैं । वे रेखा को अपने यूरोप टूर के बारे में ढेरों बातें बता रहे थे ।कैसे वह बिजनेस  के सिलसिले में यूरोप जाया करते थे और अपने परिवार को भी  दुनिया के कई हिस्सों में घुमाया है । वे रेखा से कहते हैं

“मुझे पूरा यकीन है कि तुम्हे वहां की इमारतें , खानपान ,वहां के समुद्र बहुत पसंद आएंगे ।तुम लोग वह देखते हो ना टीवी पर” गेम ऑफ थ्रोंस “उसकी शूटिंग भी वहां के महलों में हुई है  ।मैंने जितेंद्र से कहा है वह तुम्हें जरूर दिखाएगा और हां वहां का स्टेडियम और म्यूजियम देखना मत भूलना वहां का स्टेडियम और फुटबॉल क्लब बहुत मशहूर है।”

रेखा अचरज भरी निगाहों से सब कुछ सुन रही थी ।उसे ऐसा लग रहा था वह छोटी सी बच्ची हो और एक बड़े से कॉलेज में पढ़ने आ गई हो। उसके टीचर उसे तरह-तरह की बातें, हिदायतें दे रहे थे ।इस खुशगवार पल के बीच में मौसी जी की टिप्पणी ना आती यह तो हो नहीं सकता था। मौसी जी ने तपाक से कहा

“तुम्हारे खानदान से कोई पहली बार विदेश जा रहा होगा !! माहौल अचानक से गमगीन हो गया  ।खाते-खाते सबके हाथ रुक गए ।रेखा ने धीरे से कहा

“नहीं मेरी मौसी और मेरी बुआ जा चुके हैं ।”

“अच्छा कहां-कहां घूम चुके हैं “

“जी मौसी मलेशिया गई थी और बुआ सिंगापुर होकर आई थी “

यह सुनते ही मौसी जी जोर से हंसने लगती हैं ।तुम लोग सिंगापुर को  विदेश कहते हो ।विदेश घूमना हो तो अमेरिका जाओ, साउथ अफ्रीका जाओ ,यूरोप जाओ।मैं तो पहले ही जानती थी तुम्हारे खानदान में कोई भारत से बाहर गया ही नहीं होगा।”

कोई कुछ नहीं कहता। तभी जितेंद्र कहता है

” मौसी जी आपको जितनी चिंता रेखा के खानदान की है उतनी तो रेखा  को खुद अपने खानदान की कभी नहीं हुई। सच में आपको आज बताता हूं। रेखा को खानदान से विरासत में क्या-क्या मिला है ।”

जितेंद्र की मां धीरे से इशारा करती हैं कि वह कुछ ना कहे लेकिन जितेंद्र अपना हाथ छुड़ा लेता है। वह फिर कहता है

“मौसी जी पता है रेखा को अपने खानदान से ,विरासत में सहनशक्ति मिली है ,बड़ों की इज्जत करने का हुनर मिला है । इसने अपनी मां से सुंदरता पाई है और अपने पिता से तीव्र बुद्धि और अपने भाई से चंचलता और भोलापन। इतना कुछ विरासत में तो मुझे भी नहीं मिला ।मैंने तो बचपन से ही परिवार में एक दूसरे को नीचा दिखाने का गुर सीख लिया था। यह तो रेखा मेरी जिंदगी में आ गई जो उसने मुझे फिर से बच्चा बना दिया नहीं तो मुझे भी दूसरों को नीचा दिखाने में बड़ा आनंद आने लगा था ।”

माहौल को हल्का करते हुए जितेंद्र के पिता कहते हैं

“वाह जितेंद्र तुमने तो बहुत बड़ा राज खोल दिया अपने बारे में”

सारे हंसने लगते है लेकिन मौसी जी का चेहरा पहली बार उतर गया था। वह समझ चुकी थी जितेंद्र क्या कहना चाहता था ।रेखा जितेंद्र को देखती है और उसे लाख-लाख धन्यवाद देती है। उसने उसका पक्ष लेते हुए इतना कुछ कहा नहीं तो अपने खानदान ,अपने परिवार के बारे में इतना बुरा सुन सुन के रेखा बिल्कुल हीन भावना से ग्रस्त होने लगी थी पर जितेंद्र की बातें सुनकर उसका सर ऊंचा हो गया।

उसने आज एक बात सीख ली है कि अगर कोई भी जिंदगी में उसके खानदान के बारे में, उसके माता-पिता के बारे में बुरा बोलेगा तो वह चुप नहीं रहेगी ,वह अपने लिए कदम उठाएगी ।आज जितेंद्र ने जिस तरह से हंसी में बात सुना दी ,रेखा ने एक बड़ा अच्छा गुर सीख लिया था ।हंसी हंसी में सामने वाले को सारी बातें भी कह दो और उसे बुरा मानने का ढोंग भी नहीं करना पड़े!!  रेखा को मन ही मन इस बात से बहुत हंसी आ रही थी लेकिन वह बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी को रोक के खाना खाती रहती है। दो दिन के बाद  अपनी पहली विदेश यात्रा के बारे में सोचकर वह पुलकित हो रहती है।

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गरिमा जैन 

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