रिक्त स्थान (भाग – 2) – गरिमा जैन

रेखा के लिए गाड़ी का दरवाजा खुलता है … रेखा को ऐसा सुख पहले कभी नसीब नहीं हुआ था। वह तो टैक्सी तक नहीं करती थी बस और ऑटो में ही उसकी जिंदगी बीती थी। चिकनी चिकनी फर्श पर उसकी बदरंग चप्पल और नाखूनों पर आधी लगी हुई नेल पॉलिश कैसी भद्दी लग रही थी जैसे मखमल पर टाट का पैबंद । फिर रेखा ने फौरन खुद को संभाला अपना आत्मविश्वास इकट्ठा किया ,उसे तो अपने आत्मसम्मान की रक्षा किसी भी हाल में करनी थी । रूपा का साथ उसे संबल दे रहा था।

दोनों सहेलियां एक भव्य भवन में प्रवेश करती हैं ।वहां पैसे का  फूहड़ प्रदर्शन नहीं था बल्कि लक्ष्मी  मां का साक्षात निवास स्थान था। प्रवेश करते ही लक्ष्मी नारायण की बहुत सुंदर सी प्रतिमा थी जो मन मोह लेती थी और उस पर बहुत सुंदरता से फूलों की साज-सज्जा भी की गई थी । एक भीनी सी सुगंध थी जो मन को तृप्त किए जाती थी ।रेखा का आधा क्रोध  वही शांत हो गया। तभी एक गंभीर आवाज आई “आओ बेटा अंदर आ जाओ” देखा तो एक वृद्ध पुरुष व्हील चेयर पर बैठे मीठी मुस्कान के साथ उनका स्वागत कर रहे थे। रूपा ने धीरे से कहा “यही वो ठरकी बुड्ढा लग रहा है “

चुप रहो रूपा तुझे जरूर कोई गलतफहमी हुई है। तभी बड़ी सी बिंदी लगाए तात की साड़ी पहने मीठी मुस्कान लिए एक वृद्ध महिला अपनी ठंडी उंगलियों से रेखा की कलाई को पकड़ती उसे अंदर हॉल की तरफ ले जाती है ।

“आओ बैठो बेटा, तुम भी बैठो बेटी ,क्या नाम बताया तुमने रेखा की सहेली होना  ।

“जी मेरा नाम रूपा है “वाह बहुत सुंदर। दोनों सहेलियां कितनी प्यारी लग रही है । फिर धीरे से वह अपने पति से कुछ कहती हैं और वह वहीं खड़े एक कर्मी से कहते हैं ,जा जितेंद्र को बुला ला।




“तो अब जितेंद्र जी पधारेंगे देखा मैं गलत नहीं कह रही थी” रूपा धीरे से बोली तभी ऊपर की मंजिल से एक सजीला युवक नीले रंग का पजामा कुर्ता पहने सीढ़िया उतर रहा था  और उसे देखते ही रेखा लगभग उसकी तरफ दौड़ पड़ती है।रूपा यह देखकर चौंक जाती है। रेखा जितेंद्र की गोद से एक छोटा सा बच्चा लेकर अपनी बाहों में भर लेती है। वह वही बच्चा था जो 1 सप्ताह पूर्व उसे ब्यूटी प्रतियोगिता में मिला था पर आज वह बहुत कमजोर लग रहा था ।

रेखा की गोद में आते ही बच्चा ऐसे लिपट जाता है जैसे जन्मों के पिछड़े मिल रहे हो।रेखा उसके गोल मटोल हाथों को चूम लेती है और बच्चा उसके गले में बाहें डालकर देता है। रेखा को  ख्याल ही नहीं था कि सब लोग क्या बातें कर रहे हैं। उसे जैसे बिना मां बने ही  मातृत्व का सुख मिल गया था। तभी एक आवाज उसका ध्यान आकर्षित करती है ।

“सॉरी आपको परेशान किया पर ना जाने क्यों जानू को आप में अपनी मां दिखती है, पर आप परेशान ना हो मैं इसे जल्दी ही संभालना सीख जाऊंगा अभी 3 महीने पहले ही ….”बोलते बोलते जैसे जितेंद्र का गला रूंध जाता है। रेखा तो अपनी ममता  जानू पर उड़ेल ने में ही व्यस्त थी। उसे जैसे अब कुछ चाहिए ही नहीं था ।जैसे इस घर के रिक्त स्थान को उसने भर दिया था ।

तभी वह वृद्ध महिला बोली बैठ जा बेटा रेखा ,थक जाओगी, तुम नहीं जानती तुम ने हम पर कितना बड़ा एहसान किया है यहां आकर ।तुम्हारी मम्मी पापा से जितेंद्र ने खुद मिन्नत की थी ,क्या करे बेचारा बाप है ना आखिर ,तुम अपने मम्मी पापा को भी साथ में लाती तो हम भी मिल लेते ।रेखा ने कनखियों से रूपा को देखा ,रूपा अपने कान पकड़कर सॉरी बोल रही थी ।




रेखा को वहां जैसे समय का पता ही नहीं चला ।जैसे सदियों से उसका अपना ही घर था। कॉफी पीते समय रेखा ने कनखियों से जितेंद्र को देखा ।तेज वान चेहरा ,करीने से कटे बाल ,जब मुस्कुराता तो होट गोलाकार हो जाते और गाल पर एक डिंपल पड़ता ।घनी पलकें सांवली रंगत गठा शरीर। उंगलियों में चमचमाती अंगूठियां ,गले को स्पर्श करती बारीक सुनहरी चैन,तभी रूपा बोली “बस कर उसे खा जाएगी क्या?रेखा  जैसे किसी स्वप्न से जाग गई ।

उसने अपनी गोदी में सो चुके जानू को प्यार से देखा। तभी जितेंद्र रेखा के पास आया ओर जानू को उठाने को झुका। उसने बड़ा मनमोहक परफ्यूम लगाया था और धीरे से रेखा की उंगलियों का स्पर्श करते उसने जानू को उठा लिया। तभी कॉल बेल बजी। रेखा ने पलट के देखा कोई कोरियर वाला आया था .वहां खड़ा एक कर्मी उस कोरियर वाले लड़के को सोफे पर बैठाता है और उसे चाय पानी भी पूछता है ।कोरियर वाले लड़के ने पानी मांगा तो माजी बोली “अरे बंसी साथ में कुछ मीठा भी ले आना ,इतनी गर्मी में आया है “

इतना पैसा होने पर भी रत्ती भर घमंड नहीं था।रेखा संकुचित हो खड़ी हो गई।” मैं चलूं अब” माजी बोली “अरे जितेंद्र तू भी चला जा साथ ,ड्राइवर को मैंने जरा सामान लेने के लिए भेज दिया है .ऐसे जवान लड़कियों को अकेले भेजना मुझे अच्छा नहीं लगता ।जानू को मैं अपने पास सुला लूंगी ।”तभी बच्चे की आया जानू को लेकर अंदर चली गई  ।




रेखा को पर्स में रखी  चॉकलेट याद आई तो उसकी मम्मी ने दी थी। तब वो कितने गुस्से में थी पर अब उसे उस बात पर हंसी आ रही थी। उसने चॉकलेट निकाल कर आया को पकड़ा दी और कहा कि जब जानू जागे तब उसे दे दे। तब तक में कार का हॉर्न बजा । जितेंद्र गाड़ी लेकर खड़ा था। रेखा के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। पीछे से माजी ने आवाज लगाई ।उनके हाथ में कुछ था। उन्होंने एक लिफाफा रेखा को दिया और एक रूपा को  “ले लो बेटा मां का आशीर्वाद है” जितेंद्र बेचारा बहुत झिझक रहा था तुम्हें बुलाने में पर क्या करते जानू कुछ खा भी नहीं रहा था ।उसे गलत मत समझना ।तुम आज के जमाने की लड़की हो, अपनी जिंदगी आगे अपने अनुसार जीना ।जानू का बचपना है जल्दी तुम्हें भूल जाएगा ।परेशान मत होना। तेरी मुस्कान बिल्कुल मेरी स्वाति जैसी है इसलिए  …..जल्दी जा जितेंद्र तेरा इंतजार करता होगा।

जब तक रेखा बाहर पहुंची रूपा लपक कर पीछे की सीट पर बैठ चुकी थी ।रेखा ने उसे तीखी निगाहों से घूरा ।ना चाहते हुए भी उसे जितेंद्र के साथ आगे बैठना पड़ा ।उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसने पहली बार किसी लड़के को इतने करीब से देखा है ।हालांकि बचपन से ही वह को- एजुकेशन में पढ़ी थी पर कभी किसी लड़के से इतनी दोस्ती नहीं हुई, रूपा ही बचपन से उसकी प्रिय सहेली रही थी। जितेंद्र ने गाड़ी स्टार्ट की ।मध्यम मध्यम सा गाना बज रहा था ।




साथिया मूवी का टाइटल ट्रैक था।रेखा को ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी सपने की दुनिया में सफेद घोड़े पर बैठे आकाश में तैर रही हो ।उसका दिल चाह रहा था यह सफर कभी खत्म ना हो ।आकाश में सूरज डूब रहा था ।हर तरफ हल्की सी लालिमा बिखरी हुई थी ।ए सी की ठंडी हवा में और उस संगीत में जैसे रेखा रोमानी होती जा रही थी ।तभी जितेंद्र ने पूछा “आपका आगे का क्या प्लान है” रेखा जैसे उसके प्रश्न को समझ ही नहीं पाई ।उसने पूछा जी मतलब? “आप आगे क्या करना चाहती हैं “रेखा ने कहा” एमबीए करने की सोच रही हूं।” बहुत अच्छे जितेंद्र ने कहा “तो आपने इसकी तैयारी शुरू कर दी “

हां तैयारी तो कर रही हूं ,मैं और रूपा दोनों एक साथ ही तैयारी कर रहे हैं ।

“फिर यह ब्यूटी पेजेंट में आप ने हिस्सा लिया, मुझे लगा आप शायद इसी लाइन में आगे बढ़ना चाहती हैं ।”

अरे नहीं वह तो रूपा जबरदस्ती फॉर्म ले आई थी तब तक में रूपा  पीछे से बोली” रेखा की स्माइल बहुत अच्छी है ना,तो मुझे लगा था शायद ….जितेंद्र हंस पड़ा ।”सिर्फ स्माइल अच्छी होने से कुछ नहीं होता “आपको खुद को बहुत ग्रूम करना पड़ेगा .इस समय कंपटीशन बहुत टफ है. अगर आप इस लाइन में आगे बढ़ना चाहती हैं तो मेरे पास कई कॉन्टेक्ट्स है ,मैं आपकी मदद कर सकता हूं ।वैसे स्कोप अच्छा है आपका फिगर भी मॉडल के लिहाज से ठीक है। रेखा यह सुनकर शर्म से लाल हो गई ।वह फिर बोली ” नहीं नहीं मैं पढ़ाई लिखाई में ही आगे बढ़ना चाहती हूं ।यह तो मैंने ऐसी ही भर दिया था। “ओह अच्छा आई एम सॉरी ,अगर आप पढ़ाई में आगे बढ़ना चाहती हैं तो जरूर पढ़िए मैं और मेरा परिवार भी इसी पक्ष में है कि हर किसी को अपनी मनमर्जी का कैरियर चुनना चाहिए ।कोई किसी को इस पर दबाव ना डालें ।जी और आपका छोटा भाई वह क्या करता है ।




उसने अभी 12वीं की है इस साल वह कोचिंग करेगा आगे इंजीनियरिंग की तैयारी करेगा ।

” अच्छा बहुत अच्छा “

तब तक में गाड़ी रुक गई। रेखा ने पूछा “आपने गाड़ी क्यों रोक दी? जितेंद्र ने हंसकर कहा “शायद आपका घर आ गया है” रेखा आज गलती पर गलती कर रही थी ।वह शर्म से फिर लाल हो गई ।उसे इस समय सफर का पता ही नहीं चला। उसे ना जाने क्यों ऐसा लग रहा था कि गाड़ी चलती जाए और जितेंद्र उससे ऐसे ही प्रश्न करता रहे और वह उसके उत्तर देती रहें और हल्का हल्का संगीत चलता रहे ।

तब तक में जितेंद्र  ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया और कहा थैंक्स रेखा ।

रेखा समझ नहीं पा रही थी कि जितेंद्र ने उसकी तरफ हाथ क्यों बढ़ाया है। तब तक में रूपा पीछे से बोली “रेखा हैंड शेक करो “उसे फिर समझ में आया कि अच्छा वह मुझे धन्यवाद देना चाह रहे हैं और इसीलिए हाथ मिलाना चाहते हैं। रेखा ने  जितेंद्र का हाथ पकड़ा जितेंद्र ने हल्के से हाथ को हिलाया और शुक्रिया कहा। रेखा के पूरे बदन में सिहरन हो गई उसे ऐसा लगा कि महीनों बीत जाए और उसका हाथ यूं ही रहे ।वह अपना हाथ धोए ना जैसे किसी सेलिब्रिटी से मिलने पर फैन अक्सर  करते हैं कि वह अपने हाथ ही नहीं धोते। कई तो नहाते भी नहीं है ।तब जितेंद्र  ने कहा रूपा जी आप आगे आ जाइए आपको भी आपके घर पर ड्रॉप कर देता हूं। रूपा ने हंसते हुए कहा नहीं आज रात तो मैं रेखा के पास ही रखूंगी मुझे उसे बहुत सारी बातें जो करनी है। जैसे आपकी मर्जी और मैं आपको दिल से फिर से एक बार धन्यवाद देना चाहता हूं ।रेखा ने शिष्टाचार वश कहा कॉफी पीकर जाइएगा ।




“नहीं मैं ज्यादा चाय कॉफी नहीं पीता ,मैं अब घर जाऊंगा और  गाड़ी हवा से बातें करती चली जाती है।रेखा  वही खड़े देखती रह जाती है ।रूपा बोली ” तेरे सपनों का राजकुमार जा चुका है ” सच में सपनों का राजकुमार ही तो है कहां मैं और कहा वह हमारा कोई मेल नहीं  लेकिन जानू मुझे बहुत प्यारा लगता है ।

रूपा बोली सच में वह बहुत प्यारा है ।  ऐसा लगता है कि वह मेरा स्थान एक दिन  ले लेगा या फिर तू मुझसे प्यार नहीं करेगी ,जानू से प्यार करेगी।

रेखा बोली ” पागल कुछ भी बोलती रहती है तू ,तो मेरी प्यारी सहेली है और जिंदगी भर रहेगी ।अपने सुख-दुख तुझसे ही तो बाटती हूं और दोनों सहेलियां हंसते हुए घर चली जाती हैं…

यह कहानी का दूसरा भाग था आपको कैसा लगा जरूर बताइएगा अच्छा लगा हो तो एक टिप्पणी अवश्य लिखकर जाइए ।मेरी कहानी पढ़ने के लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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रिक्त स्थान (भाग – 3) – गरिमा जैन

रिक्त स्थान (भाग 1) – गरिमा जैन

गरिमा जैन

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