छोटे के आते ही बड़ा बच्चा उपेक्षित क्यो ? – संगीता अग्रवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi :” ये क्या पीहू तुम बेबी के पास से दूर खेलो लग जाएगी उसको !” चारु अपनी पांच साल की बेटी को दो महीने के बेटे के पास बैठा देख बोली।

” मम्मा मैं भी बेबी की तरह आपके पास सोऊंगी । देखो बेबी भी अपने छोटे छोटे हाथों से मेरी उँगलियाँ पकड़ मुझे बुला रहा है !” पीहू खुश होते हुए बोली।

” पागल हो गई क्या छोरी लग जाएगी उसके चल यहाँ से दूर होकर खेल इतनी बड़ी हो गई पर अक्ल ना आई !” तभी पीहू की दादी शांति जी वहाँ आई और पीहू को बेड से नीचे उतार दिया और खुद उसके भाई को गोद मे ले खिलाने लगी । पीहू की समझ मे नही आया ये उसके साथ क्या हो रहा है वो उदास सी बाहर चली आई। 

” पापा …पापा !” तभी बाहर अपने पापा नीलेश की बाइक देख वो भाग कर पापा की गोद मे चढ़ गई।

” मेरा बच्चा! ” नीलेश ने बेटी को गोद मे ले माथा चूम लिया उसका और उसे ले अंदर आ गया। 

” इसे इतनी बड़ी को गोद मे उठाये है ले जरा मुन्ना को पकड़ मैं खाने की तैयारी करूँ इतने । चारु तुम इतने बिस्तर सही कर लो !” शांति जी मुन्ने को नीलेश को देती बोली।

” नही पापा की गोद मे तो मैं बैठूंगी । मुन्ने को तो आप और मम्मा भी लिए रहते हो !” पीहू जिद करती हुई बोली।

” बेटा आप बड़े हो भाई छोटा है उसको गोद मे लेने दो मुझे !” पीहू को नीचे उतारते हुए नीलेश बोला ।

” नही …नही नही !” पीहू रोने लगी।

” बहुत ज़िद्दी हो गई हो तुम समझ नही आता तुम्हे इतनी बड़ी हो गई हो पर गोदी चाहिए तुम्हे जाओ जाकर पढ़ाई करो चुपचाप !” चारु ने गुस्से मे पीहू को नीलेश की गोद से अलग किया और उसके झिड़कते हुए दूसरे कमरे मे पढ़ने भेज दिया ! 

पीहू बेचारी ये उपेक्षा सह नही पाई और अपने कमरे मे आकर जोर जोर से रोने लगी। उसकी समझ नही आ रहा था कल तक सबकी लाडली पीहू आज एक दम से बड़ी क्यो हो गई। कल तक सबकी लाडली पीहू आज इतनी उपेक्षित क्यो हो गई कि ना उसे माँ की गोद मिल रही ना पिता की और दादी तो जबसे भाई आया डांटती ही रहती है उसे। 

अंदर पीहू रो रही थी तभी उसकी बुआ सिमरन अपने मायके आई। सबसे मिलने के बाद उसने पीहू के बारे मे पूछा।

” होगी अपने कमरे मे बहुत ज़िद्दी हो गई है आजकल बात बात मे गुस्सा होना , चिड़चिड़ा जाना इतनी बड़ी हो गई पर अक्ल नही जरा भी !” शांति देवी बोली ।

” माँ वो कुछ महीने मे बड़ी हो गई ? कल तक तो आपकी छोटी सी गुड़िया थी वो !” सिमरन माँ से बोली।

” दीदी जबसे मुन्ना हुआ है वो ऐसी ही हो गई है कोई बात समझाओ तो रोने लगती है मुन्ने को लग ना जाये इसलिए हम उसे थोड़ा दूर रखते है उसे पर वो इसमे भी गलत समझती है जाने कब इस लड़की को अक्ल आएगी !” चारु सिमरन को पानी देती हुई बोली।

” भाभी क्योकि उसके बाद घर मे एक बच्चा और आ गया तो वो बड़ी हो गई । आप उससे अपेक्षा करती है वो समझदार भी हो जाये । जिस बच्ची को दो तीन महीने पहले सब छोटी बच्ची की तरह प्यार करते थे अब उससे समझदारी की उम्मीद करते है क्योकि घर मे दूसरा बच्चा आ गया तो उसे उपेक्षित सा कर दिया जाता है ये कहाँ तक सही है !” सिमरन बोली।

” दीदी हम उसे उपेक्षित नही कर रहे उससे भी हम उतना ही प्यार करते है जितना मुन्ना से बस मुन्ना छोटा है तो उसका ध्यान ज्यादा रखा जाता है !” चारु ने जवाब दिया।

” भाभी आप लोगो का मकसद भले ये नही पर वो बच्ची उपेक्षा का शिकार हो रही है। और इससे जाने अनजाने आप उसके और मुन्ने के रिश्ते को भी खराब कर रहे हो। बच्चा चिकनी मिट्टी होता है उसे जैसे ढालो ढल जाता है अभी अगर उसके कोमल मन पर ये छाप अंकित हो गई कि मेरे घर वाले मुन्ने को ज्यादा प्यार करते है तो वो मुन्ने को अपना प्रतिद्वन्दी समझेगी भाई नही ।

जब घर मे दूसरा बच्चा आता है बड़ा खुद को थोड़ा उपेक्षित महसूस करता है ऐसे मे घर वालों का फर्ज है उसे ऐसा महसूस ना कराया जाये उसे भी वही प्यार दिया जाये जो छोटे बच्चे को मिल रहा है । कुछ महीने मे ही उससे बड़ा और समझदार होने की उम्मीद ना की जाये। और सबसे बड़ी बात दोनो बच्चो मे प्यार का रिश्ता बनाया जाये !” सिमरन बोली।

” बात तो तू सही कह रही है सिमरन हम लोगो ने मुन्ने के होने के बाद उस बच्ची से ज्यादा ही उम्मीदें पाल ली कि वह खुद ब खुद समझदार हो जाये बड़ी हो जाये जबकि कोई दो महीने मे कैसे बड़ा हो सकता है !” नीलेश बोला और उठकर पीहू के कमरे की तरफ जाने लगा उसके साथ घर के बाकी लोग भी चल दिये।

अंदर आकर उन्होंने देखा नन्ही बच्ची रोते रोते फर्श पर ही सो गई है उसके ग़ालो पर आंसू देख चारु का दिल पिघल गया उसने आगे बढ़ उसे गोद मे उठा लिया । गोद मे उठाये जाने से बच्ची की नींद खुल गई और वो माँ की गोद से उतर दूर चली गई।

” बेटा बुआ के पास नही आओगी देखो बुआ तुम्हारे लिए चॉकलेट लाई है !” सिमरन बोली।

” आप ये चॉकलेट भी बेबी को दे दो मुझे कुछ नही चाहिए !” पीहू रोते हुए बोली।

” अच्छा पर बेबी तो बोला ये मेरी दीदी को दे दो क्योकि मेरी दीदी को चॉकलेट पसंद है !” सिमरन बोली।

” सच्ची बेबी ने ऐसा बोला !” पीहू हैरानी से बोली।

” हां और बेबी ने ये भी कहा मैं अपनी दीदी की पसंद की ड्रेस पहना करूंगा क्योकि वो मेरी बिग दी है और मैं उनका छोटू सा भाई !” नीलेश बोला इतना सुनते ही पीहू की आँखों मे चमक आ गई और वो भाग कर मुन्ने के पास आ उसे प्यार करने लगी। 

चारु , नीलेश और शांति जी ने मन ही मन निश्चय किया इस चमक को अब फीकी नही पड़ने देंगे । कभी पीहू की भूल कर भी उपेक्षा नही करेंगे । क्योकि भले घर मे एक नया बच्चा आया है पर वो भी बच्ची ही है उससे बड़ी होने की अपेक्षा नही करेंगे ! उन्होंने सिमरन का धन्यवाद किया क्योकि उसने ही उन्हे आइना दिखाया था। 

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल ( स्वरचित )

#उपेक्षा

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