अम्मा..! कल मेरा जन्मदिन है… मुझे भी रानू जैसी फ्रॉक पहनना हैं.. मासूम मुन्नी ने अपनी मां शारदा से कहा…
शारदा: बेटा…! यह गलत बात है… मैंने क्या सिखाया है तुम्हें…? कभी किसी की बराबरी नहीं करनी चाहिए… खासकर तो रानू बेबी की… बेटा..! उनकी जिंदगी अलग है और हमारी अलग… हम उनकी बराबरी नहीं कर सकते… मैं तो उनके घर बस काम करती हूं…
मुन्नी: पर अम्मा… हम भी इंसान हैं और वह भी इंसान….! फिर हम दोनों में क्या फर्क है…? क्यों नहीं कर सकते हम उनकी बराबरी…?
शारदा: सही कहा तुमने… इंसान वह भी है और हम भी… पर एक फर्क है… हममें और उनमें… वह अमीर है और हम गरीब…
मुन्नी हैरान होकर पूछती है… अम्मा…! अब यह अमीर गरीब क्या होता है…?
शारदा भ्रमित सी समझ नहीं पा रही थी कि वह मुन्नी को क्या जवाब दें..? थोड़ी देर खामोश रहने के बाद… वह मुन्नी से कहती है… समझ लो यह दुनिया एक बगीचा है… जिसके हम सब फूल है… तो क्या सारे फूल एक जैसे होते हैं…? नहीं ना..? कोई खुशबूदार गुलाब तो कोई गेंदा बिना खुशबू वाली…. समझ लो अमीर गुलाब की तरह महंगे हैं और हम गेंदा की तरह सस्ते…पर दोनों की कद्र अपनी-अपनी जगह पर उच्च है… जहां गुलाब शादियों की शान है… वहीं गेंदा प्रभु के चरणों में विराजमान है… भगवान जी को तो सभी प्रिय है, क्योंकि उन्हीं ने सभी को बनाया… बस सब की एक जगह बनी हुई है और उस जगह तक पहुंचने के लिए, मेहनत की जाती है ना की बराबरी…
मुन्नी बड़े ध्यान से शारदा की बातें सुन रही थी… फिर वह पूछती है… यह तो समझ आ गया कि भगवान जी को सभी प्रिय है… तो फिर उन्होंनें गरीब को कम और अमीर को ज्यादा क्यों दिया..?
शारदा: उन्होंने किसी को कम ज्यादा नहीं दिया… उन्होंने तो बस हम सभी को हिम्मत दी है और वह भी बराबर…. जिससे हम मेहनत कर अपनी जिंदगी बदल सकते हैं… बस कोई उसका इस्तेमाल सही करता है और कोई नहीं…
यह जो अमीर होते हैं, वह हमेशा से ही अमीर नहीं होते… वह भी काफी मेहनत करते हैं… तब जाकर अपनी जिंदगी को बेहतर बना पाते हैं… बगीचे का माली भी खूब मेहनत करता है… तभी जाकर अच्छे अच्छे फूल उगा पाता है… बेटा..! ठीक उसी तरह हम चाहे गरीब घर में ही जन्म ले… पर लगातार मेहनत, एक दिन अच्छी जिंदगी ज़रूर देती है…
मुन्नी: पर अम्मा… मुझे भी अमीर बनना है, अगर मैं भी मेहनत करूंगी… तो बन जाऊंगी..?
शारदा: हां… इसीलिए तो कहती हूं मन लगाकर पढ़ाई करो और अपनी जिंदगी को बदलो… हमें कहां जिंदगी मिलेगी…? यह हमारे हाथों में नहीं है… पर हमारे आगे की जिंदगी कैसी होगी…? यह हमारे हाथों में है… अब आया समझ…?
मुन्नी: हां.. मां… मैं खुब मन लगाकर पढ़ूगी और आगे से कक्षा में पढ़ाई छोड़कर कभी भी गप नहीं करूंगी… बहाने बनाकर स्कूल भी नागा नहीं करूंगी…
शारदा: और एक बात बेटा…! पढ़ाई सिर्फ अमीर बनने के लिए ही नहीं किया जाता… इंसान बनने के लिए भी किया जाता है… इंसान बनना ज्यादा महत्वपूर्ण है… और यह देख तेरे लिए एक नई फ्रॉक लाई हूं… तेरे जन्मदिन के लिए… बता कैसी है…?
मुन्नी उछलती हुई कहती है… बहुत अच्छी है अम्मा… एक दिन मैं भी आपको महंगी साड़ी भेंट करूंगी और हमारी जिंदगी भी ज़रूर बदलूंगी…
आज 20 साल बाद, जब मुन्नी अपना वादा निभा चुकी थी… क्योंकि आज वह एक अच्छे और उच्च पद पर कार्यरत थी… तब शारदा उसे यही कहानी बता रही थी… मुन्नी ने मेहनत से ना सिर्फ अपनी, बल्कि शारदा की भी जिंदगी बदल दी थी….
#ज़िंदगी
धन्यवाद 🙏
रोनिता कुंडू
स्वरचित/मौलिक