जुनून – गुरविंदर टूटेजा | family story in hindi

  आज अंगद के इक्किसवें  जन्मदिन की सरप्राइज पार्टी की तैयारी पापा-मम्मी (संजय-अनिता) व छोटी बहन माही सब लगे हुए थे व वो भी बहुत खुश था…!!!!

   एक पार्टी तो उसकी रात को दोस्तों के साथ हो गई थी उसे पता था कि घर पर भी बहुत बड़ी पार्टी होगी व गिफ्ट भी वो जो चाह रहा है वो ही मिलेगा..!!!!

   रात को पार्टी तो बहुत शानदार हुई पर गिफ्ट उसकी पंसद का नहीं था तो उसका मूड ऑफ हो गया और रात को वो बिना किसी से बात किये कमरे में चला गया…!!!!

   संजय ने अनिता से कहा कि तुम धीरे से जाकर समझाओ कि लेेने को तो मैं दस कारें उसके लिए ले आऊँ पर डर लगता है और ऊपर से उसके सारे दोस्त भी बहुत बिगड़ैल व मस्ती करने वाले है…!!!!

  संजय आप सही कह रहे है पर हम बहुत समय से उसको टाल रहे है इस बार लगता नहीं कि वो मानेगा सुबह बात करते है…!!!!

  सुबह नाश्ते की टेबल पर भी अंगद ने बात नहीं की किसी से भी चुपचाप नाश्ता करके जा रहा था कि माही ने बोला…क्या हो गया भाई बड़े चुप चुप हो..??

   बस फिर क्या था जैसे फट पड़ा तू ज्यादा तेज मत बन समझ में आया ना नहीं तो सारा गुस्सा तुझ पर ही निकल जायेगा फिर रोने बैठ जाएगी..!!!!

   अनिता ने माही को चुप रहने का इशारा किया…!!!!

  फिर कमरा बंद करके बैठ गया दिन में खाना भी नहीं आया फिर रात को संजय ना खाने के लिए डाँटा तो उसने क्लियर बोल दिया कि जब तक मेरी पंसद की कार बुक नहीं होती तब तक खाना नहीं खाऊँगा…!!!!

  उसकी जिद्द के आगे सबको झुकना पड़ा और कार बुक हो गई एक महीने  बाद आनी थी….!!!!

  आज अंगद बहुत खुश था आज उसकी कार आने वाली थी ऑडी ए4 जो कि किसी के लिए सपना जैसी बात थी….!!!!

चारों गए और कार लेकर पूजा की मंदिर गए फिर घर आ गए और आते ही अंगद के दोस्त आ गए बहुत खुश था वो उसके दोस्तों की भी कार देखकर आँखे खुली की खुली रह गई थी वो सब जाना चाहते थे तो संजय खुद उन्हें लेकर गए…!!!!

  आगे के लिए भी ड्राइवर रख दिया और अंगद को बोला तुम कभी भी अकेले नहीं ले जाओगे कार….!!!!

  चार-छह दिन बाद अंगद दोस्तों से मिलने गया और ड्राइवर को चकमा देकर वो लोग कार लेकर निकल गए…!!!!




   सच आजकल के बच्चों में कैसा जुनून सा है वो लोग एफ बी पर लाइव आ गए और कार की स्पीड तेज करते जा रहे थे और जोर जोर से चिल्ला रहे थे और तेज…और तेज…!!!!

  माही ने देखा तो उसने भागकर मम्मी को दिखाया..अनिता का देखकर ही दिल बैठ गया इतने में संजय भी घर आ गए थे उन्होंने ड्राइवर को फोन लगाया तो उसने पूरी बात बतायी…!!!!

   कुछ समझ पाते कर पाते तब तक एक जोरदार धमाका लाइव बंद व सब खत्म….सच सब खत्म हो गया कोई नहीं बचा…!!!!

   आज मैं सबसे यही कहना चाहती हूँ कि आज की युवा पीढ़ी में जो आक्रोश है या जुनून है उसको वो समझदारी से सही जगह लगाएँ तो हम इन गलतियों से बच सकते है और जो भी सेफ्टी रूल्स मिलते है कार हो या बाईक हो तो वो तभी तक हमारा साथ देते है जब तक हम संयम में रहे नहीं तो उनका कोई फायदा नहीं है…..!!!!

इसलिए ये बोर्ड जगह-जगह लगे होते है….दुर्घटना से देर भली..सावधानी हटी दुर्घटना घटी…कृपया बात को समझें ….🙏

#आक्रोश 

अप्रकाशित 

मौलिक व स्वरचित©®

गुरविंदर टूटेजा 

उज्जैन (म.प्र.)

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