राखी का क़र्ज़ – के कामेश्वरी

सुमित्रा मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है कि मेरे घर ऐसा मुँह उठाकर मत आ जाना । कुछ काम धाम नहीं है माँ को देखने के बहाने पंद्रह दिन में एक बार आ जाती है । लेकिन तुम्हारे दिमाग़ में बात नहीं पहुँचती है क्या? 

तू जितनी ढीठ है तेरे ससुराल वाले भी ऐसे ही हैं ।  मैंने तेरी सास को बताया था कि मेरे घर मेरी बहन को मत भेजना लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी और तुम्हें भेज दिया है । तेरा एक और भी भाई है ना माँ उसके पास भी तो रहती है । उसके पास भी जा और उसके मुँह पर ही दरवाज़ा बंद कर दिया। यह सुमित्रा का बड़ा भाई है । सुमित्रा का मन आक्रोश से भर गया और उसने सोच लिया था कि छोटे भाई के पास इस बार जरूर जाऊँगी।

पति कहीं नहीं आते हैं सासु माँ भेजने के लिए तैयार नहीं होती थी ।बड़े भाई का घर दस किलो की दूरी पर स्थित है ।आज तो उसने मुँह पर दरवाज़ा बंद कर दिया है ।

सुमित्रा ससुराल वालों से लडझगडकर छोटे भाई के घर पहुँची। 

वहाँ माँ भी थी। वहाँ जाने के बाद माँ की हालत देखी। माँ बेटी के पास बैठ कर बहुत रोई ऐसी स्थिति किसी की भी ना हो तू क्यों आ गई है । सुमित्रा ने देखा कि भाभी तो बाहर से आई है भाई भी माँ को नहीं पूछता है तो मैं यहाँ भी नहीं रह सकती हूँ । भाई भाभी ने यहाँ भी उसका अनादर किया खाना भी ठीक से नहीं खिलाया । माँ को भाभी बुढ़िया कहकर पुकारती है साथ ही गाली-गलौज करती है । 

छोटे भाई ने तो यह भी कहा कि माँ हमारे अकेले की ज़िम्मेदारी नहीं है।  तुम भी उनकी बेटी हो अपने घर ले जाकर अपने पास भी थोड़े दिन रखो । एक तो वह यह भूल गया था कि जायदाद में बहन को हिस्सा नहीं दिया दूसरी बात कि बहन संयुक्त परिवार में रहती है अपने सास ससुर के साथ ।

सुमित्रा भाई और भाभी की हरकतों से तंग आ गई थी। उसने फ़ोन पर अपनी चाची को अपने दिल की बातें बताकर दिल हलका किया था। सुमित्रा वहाँ से निकल कर अपने जेठ के घर पहुँची और वहीं से वापस अपने घर चली गई थी ।




उसके वहाँ पहुँचते ही भाई का फ़ोन आया कि आज से तू मेरी बहन नहीं है तेरा मेरा रिश्ता ख़त्म क्योंकि तुमने हमारे घर की बातें चाची को बताईं हैं तुम्हारी बातें उन्होंने मुझे बहुत डाँटा है। सुमित्रा को भी ग़ुस्सा आया आक्रोश में भरकर उसने कहा ठीक है आज से मैं सोच लूँगी कि मेरे कोई भाई नहीं हैं मैं अकेली हूँ और तुझे एक बात बता दूँ कि तुम लोगों से अच्छे तो मेरे ससुराल वाले हैं वे माँ को अपने साथ रखने के लिए तैयार हो गए हैं । गाँव में जब थू थू होगी ना तब तुम लोगों की अक्ल ठिकाने आएगी । कहते हुए उसका गला रूँध गया और उसने फ़ोन रख दिया ।

सुमित्रा बचपन से दोनों भाइयों को राखी बाँधती आई है लगता है दोनों ने उसे घर से भगाकर राखी का क़र्ज़ अदा किया है ।

राखी का क़र्ज़ इस तरह अदा करते हैं तो शायद कोई भी बहन भाई को राखी बाँध कर उसे अपना रक्षक या साथी नहीं मानती। 

सुमित्रा ने कभी नहीं सोचा था कि माँ के रहते हुए ही उसका मायका छूट जाएगा । उसने अब सोच लिया था कि मेरा घर मेरा ससुराल ही है । 

स्वरचित

के कामेश्वरी 

 साप्ताहिक विषय- आक्रोश

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