एक माँ अकेली भी बच्चे की परवरिश कर सकती है- संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :” क्या होगा अब सुनयना का उम्र ही क्या है अभी पेट मे बच्चा और पति साथ छोड़ गया बेचारी के साथ बड़ा अन्याय किया विधाता ने !” सुनयना के पति रघु की दुर्घटना मे मृत्यु के बाद शोक व्यक्त करने आई मोहल्ले की औरतें आपस मे बात कर रही थी।

” हां बेचारी का तो मायका भी नही है जो वही चली जाये अब क्या होगा बेचारी का कोई नही जानता !” एक महिला बोली।

” वैसे रघु इतनी बड़ी नौकरी करता था कुछ तो जोड़ा होगा उसने !” एक दूसरी महिला बोली।

” अब ये तो पता नही पर सुनयना और उसका बच्चा दोनो बड़े अभागे है सबसे अभागा बच्चा है जो पैदा भी हुआ नही कि पिता का साया सिर से उठ गया।” पहली महिला बोली।

” अभागा नही है मेरा पोता ना मेरी बहू अभागी है !” तभी सुनयना की सास चंदा जी बोल पड़ी।

” अरे भाभी गलत तो नही कह रही ये सब अभी सुनयना की शादी को एक साल ही हुआ है और उसकी जिंदगी बेरंग हो गई और वो बच्चा तो अभी दुनिया मे आया भी नही और पिता का साया छिन गया सिर से तो ये अभागे ही तो हुए !” चंदा जी की ननद शांति बोली।

” नही जीजी ना तो बहू की जिंदगी बेरंग रहेगी ना बच्चा बाप से साये से मेहरूम । मैं तेरहवीं के दिन ही शशांक के नाम की चादर चढ़वा दूंगी इसके सिर !” चंदा जी कुछ सोचते हुए बोली। उनकी बात सुन खुसर फुसर बढ़ गई। उधर पति के जाने के गम से दुखी सुनयना सास की बात सुन चौंक गई।

” भाभी ये क्या कह रही है आप एक बेटा तो खो चुकी दूसरे की शादी भी इस अभागी से करने की सोच रही हो होश मे तो हो आप !” शांति जी भड़क कर बोली। 

” बस कीजिये आप लोग भगवान के लिए बस कीजिये । अभी कल ही मेरे पति की चिता को अग्नि दी गई है और आज आप लोग ये कैसी बाते कर रहे है।” सुनयना रोते हुए हाथ जोड़ बोली।

” बहू हम तो तेरी जिंदगी संवारना चाहते है जाने वाला तो चला गया पर इस बच्चे का सोचना होगा अब !” चंदा जी बोली।

” किसने अधिकार दिया आपको कि आप मेरे पति के मरते ही उनके भाई से मेरी शादी की बात करे। किसने अधिकार दिया आपको कि आप ये फैसला खुद से करे और मेरे भाई जैसे देवर को आप मेरा पति बनाने की बात करे छि …!” सुनयना रोते रोते बोली।

” बेटा इस बच्चे को पिता के नाम की जरूरत भी तो पड़ेगी कल को तुम्हारी शादी दूसरे घर मे हो इससे अच्छा यही सही । यहां शशांक इसे पिता का नाम देगा और हमारे घर का बच्चा हमारे घर ही रहेगा और फिर ये तो सदियों से होता आया है कि पति की मृत्यु के बाद देवर के नाम की चादर डाल दी जाती है !” चंदा जी ने समझाया।

” मांजी जिस देवर मे मैने हमेशा अपना भाई देखा है तो उससे शादी का सवाल ही नही और फिर जरूरी तो नही जो गलत रस्म सदियों से चली आ रही उसे सभी माने भी । देवर और भाभी का रिश्ता एक पवित्र रिश्ता होता है । देवर भाभी को माँ समान मानता है और भाभी देवर से एक भाई सा स्नेह करती है फिर क्यो एकदम से रिश्ता बदल दिया जाता है क्या उस देवर के कोई अरमान नही होते जिसे बिना उसकी मर्जी जाने इतनी बड़ी जिम्मेदारी दे दी जाती है। नही माजी मैं अपने भाई समान देवर पर ये अत्याचार नही होने दूंगी  !” सुनयना लगातार रोते हुए बोली।

” बेटा बच्चे के लिए पिता के नाम के साथ सिर पर पिता का हाथ भी जरूरी होता है !” चंदा जी ने अंतिम तर्क दिया।

” मांजी जब एक औरत नौ महीने के कष्ट सह मौत से लड़ बच्चे को जन्म दे सकती है तो वो उस बच्चे को अकेले पाल भी सकती है । मेरे बच्चे का पालन पोषण मेरे कर्तव्य के साथ मेरा अधिकार भी है जो मुझसे कोई नही छीन सकता कृपया मेरी शादी की सोचने की जगह मुझे आशीर्वाद दीजिये कि मैं अपने बच्चे की परवरिश अच्छे से कर सकूँ । और वैसे भी आप लोग भी तो है मेरे साथ और शशांक भैया भी तो चाचा बनकर भी बच्चे को प्यार दे सकते है ना ।” ये बोल सुनयना फफक कर रो दी चंदा जी ने आगे बढ़ उसे अपने अंक मे समेट लिया। 

” ठीक है बेटा शादी करना ना करना तेरा अधिकार है जो तुझसे कोई नही छीनेगा बस अभी तक तू इस घर की बहू थी अब बेटी बनकर रहेगी इतना वचन मैं तुम्हे देती हूँ !” चंदा जी ने कहा । सास बहू को लिपट कर रोते देख सबकी आँख नम हो गई। 

दोस्तों हमारे देश के कुछ हिस्सों मे ये कुप्रथा है कि पति की मृत्यु बाद देवर से शादी करवा दी जाती है । कई बार इसके नतीजे बहुत भयावह भी होते है । क्योकि देवर जबरदस्ती के लादे रिश्ते को बोझ समझता है भाभी भी दिल से ये रिश्ता नही स्वीकार कर पाती । वैसे भी देवर भाभी का रिश्ता पवित्र होता है ।

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल

#अधिकार 

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