चार धाम – Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : सुनो पता है ना ..अगले हफ्ते मम्मी पापा जी की शादी की 50 वी सालगिरह है lइस बारे में क्या विचार है ?आरती ने अपने पति सूरज से कहाl सूरज एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार का एकमात्र कमाऊ सदस्य है, जिसमें उसके माता-पिता, पत्नी आरती और एक बहन है जिसकी शादी हो चुकी हैl करना क्या है..

वही जो हर बार करते हैंl केक कटवा देंगे और मम्मी पापा जी के लिए कोई गिफ्ट ले आएंगेl देखो आरती तुम्हें पता है ना अपनी स्थिति ऐसी नहीं है कि कोई बड़े जश्न का आयोजन किया जाए; और मां पापा को भी यह सब तामझाम ढकोसला पसंद नहीं हैl हां बाबा ..

इसलिए मैं सोच रही हूं इस बार मां पापा को सरप्राइस के रूप में चार धाम के लिए भेज देl बड़ी इच्छा है उनकी वहां जाने कीl मैंने कई बार उनको कहते सुना है– कि उनकी बस एक ही इच्छा है “कि कैसे भी इस जन्म में चार धाम हो जाएं तो जीवन सफल हो जाए”l

कभी भगवान के सामने, कभी दीदी से कहते सुना है मैंनेl लेकिन आरती वहां जाने के लिए कम से कम ₹100000 का खर्चा है; और मैं इस स्थिति में बिल्कुल नहीं हूंl  तुमसे कब कह रही हूं कि पूरा पैसा तुम दो.. मैंने 50,000 जमा कर रखे हैं, और मेरी एक चूड़ी भी है;

अगर उसे बेच दोगे तो 50,000 और आ जाएंगे lपूरे एक लाख का इंतजाम हो जाएगा lनहीं आरती मैं ऐसा हरगिज़ नहीं कर सकता, वह चूड़ी तुम्हारी मां की निशानी है; और मैं इतना खुदगर्ज नहीं हूं कि तुम्हारी चूड़ी बेचकर मां पापा को चार धाम के लिए भेजूं !

लेकिन सूरज यह मेरे भी तो मां पापा हैं ;और अब चाहे कुछ भी हो चाहे तुम इसेमेरी  अंतिम इच्छा समझो चाहे कुछ भी समझो lतुम्हें मां पापा की इच्छा पूरी करनी होगीl ठीक है आरती.. जैसा तुम्हें उचित लगे lजिद में तो तुमसे कोई नहीं जीत सकता!

अगले दिन से ही सूरज और आरती ने मां पापा को चार धाम भेजने की तैयारियां शुरू कर दीl शादी की सालगिरह से 2 दिन पहले सूरज ने मां पापा को चार धाम के बारे में बताया lउनकी आंखों में खुशी और गर्व के आंसू आ गएl अपने बेटे की प्रशंसा में उन्होंने ना जाने कितने कसीदे पढ़ दिए l

अगले दिन खाना खाकर हमेशा की भांति सूरज और आरती टहल कर घर के अंदर आने वाले थे;; कि तभी मां की आवाज कानों में सुनाई दी! मां अपनी बड़ी बहन यानी मौसी जी से फोन पर कह रही थी “देखो जीजी मेरे सूरज ने मेरे और इनके लिए चार धाम की यात्रा का इंतजाम कर दिया है!

हमारी दोनों की कितनी इच्छा थी वहां जाने की; मेरे सूरज ने अपने नाम को सिद्ध कर दिया: पता नहीं  l जाने कैसे-कैसे उसने पैसों का इंतजाम किया होगा? वह तो अच्छा है की बहू को पैसों के बारे में नहीं पता, नहीं तो वह सिर्फ खुद पर पैसा खर्च करना जानती है;

हमारे बारे में तो उसने कभी नहीं सोचा ?हमारी शादी की सालगिरह आ रही है; पर मजाल है एक साड़ी भी ले आवे! ऐसी बहू तो किसी को भी ना दें”… तभी मां ने आरती और सूरज को आता देख कर फोन रख दिया! तब आरती ने कहा …मां मैंने आपको और पापा को हमेशा अपने मां पापा की तरह ही माना है;

आप मेरे बारे में ऐसा ऐसा सोचते हैं? आप जो आज तक मुझसे इतना अच्छा व्यवहार करते आए हो ,वह सब एक दिखावा है; ऐसा कहकर आरती रोने लगी! तभी सूरज ने कहा ….और मां आपको पता है आपकी चार धाम यात्रा का सारा इंतजाम आरती ने ही किया है!

मेरी तो ऐसी स्थिति थी ही नहीं !!किंतु आरती ने आपकी इच्छा का मान रखने के लिए अपनी जमा पूंजी और अपनी चूड़ी सब इसमें लगा दिया; आप उसके लिए ऐसा सोचते हो; मतलब आपने आरती को आज तक दिल से नहीं अपनाया? आरती आपके लिए खोखले रिश्ते के समान है?

यह सुनते ही मां आरती और सूरज से माफी मांगते हुए बोली …यह सच है कि बेटा चाहे कितना भी बुरा हो ,फिर भी मां-बाप उसके लिए कभी बुरा नहीं सोचते; और बहू कितनी भी अच्छी हो उसके लिए कभी अच्छा नहीं सोचते!

यह सच है की आरती तो मेरी बेटी बन गई किंतु मैं ही आरती की मां नहीं बन पाई? अगर हो सके तो तुम दोनों मुझे माफ कर दो?आज सूरज की मां की आंखों में पश्चाताप के आंसू दिखाई दे रहे थे?

हेमलता गुप्ता!

स्वरचित!

#खोखले रिश्ते

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!