उपेक्षा – उमा वर्मा : Moral stories in hindi

 Moral stories in hindi : मै निधि जीवन भर उपेक्षा का दंश झेलते झेलते आखिर अंतिम सफर पर आ गई ।कहते हैं कि जिसे मायके में प्यार नहीं मिला उसे ससुराल में भी उपेक्षा ही मिलती है ।दीदी के जन्म के नौ बरस के बाद मेरा जन्म हुआ ।माँ को बेटे की लालसा थी । … Read more

मृग मरीचिका – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : कोलकाता में अपनी मौसी के पास रहकर पढ़ाई करने आया था, सिद्धांत। मौसा जी का पुश्तैनी मकान था श्याम बाजार में। उनके दोनों बच्चे विदेश में निवास करते थे। उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था, तो  मौसी ने मां से सिद्धांत को अपने यहां रहकर पढ़ने देने की वकालत … Read more

“चांदी के कड़े ” – कविता भड़ाना : Short Stories in Hindi

Short Stories in Hindi : “सुंदर नक्काशी किए हुए ये चांदी के कड़े आपके पैरों में कितने सुंदर लगते है दादी”     पायल ने अपनी दादी सुलक्षणा जी से कहा, तो दादी जल्दी से उन्हे उतारते हुए बोली,   अरे ये तो मैं, अपने प्रियांशु की शादी   में उसकी दुल्हन को मुंह दिखाई में दूंगी, और उठाकर … Read more

ऐसे पुरुष से पाला क्यों पड़ा..?- रोनिता कुंडु : Samajik kahani

बेटा..! अगले महीने तेरी बुआ के यहां जाना है… रुचि की शादी जो है…और हमें कुछ अच्छा भी देना पड़ेगा… एक सोने का..? रोहित:   सोने का..? मां..! कहने से पहले घर की हालत भी देख लीजिए… अभी अभी पापा के इलाज में इतने रुपए खर्च हो गए… उन सब के कर्ज शुरु ही हुए … Read more

पितृ दोष – शुभ्रा बैनर्जी 

समीर ने कई बार कहा था अम्मा और बाबूजी से,शहर में उसके पास आकर रहने के लिए।बाबूजी हर बार कुछ ना कुछ बहाना‌ करके टाल जाते थे।अम्मा का बड़ा मन होता था अपने बेटे के घर आकर रहने का,पर पति की इच्छा के चलते मन मारकर रह जातीं थीं।बाबूजी एक स्कूल मास्टर थे।थोड़ी बहुत खेती … Read more

दर्प दमन – शुभ्रा बैनर्जी

कामिनी संयुक्त परिवार में पली बढ़ी सुशिक्षित लड़की थी। परिवार में संस्कारों की छांव में पली कामिनी शुरू से ही अति महत्वाकांक्षी थी।पढ़ने में अव्वल तो थी ही,दिखने में भी खूबसूरत थी।यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही,सपनों के राजकुमार के साथ अपने सुनहरे भविष्य के ख्यालों में रहने लगी थी। स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण … Read more

    साँवली हूँ तो क्या… – विभा गुप्ता 

   ” छोटी भाभी, समझाइये अपनी बेटी को।इसे रेडियो-वेडियो में तो कोई काम मिलने से रहा।मेरी रश्मि की बात कुछ और है।हमारी रश्मि तो सुंदरता की मूरत है और उसके पापा के पास धन की भी कमी नहीं है पर आपकी ज्योति तो साँवली है और फिर कोर्स की फ़ीस के लिये मोटी रकम भी चाहिये … Read more

 “अहंकार की आग”- डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

करीने से सजी हुई मिठाई की टोकरियों में से मोनू ने धीरे से एक मिठाई निकाल ली। छोटे भाई ने देखा तो वह भी धीरे-धीरे टोकरियों के पास सरकते हुए गया और जैसे ही एक टोकरी में हाथ डाला माँ कमरे में से चीखते हुए आई-” नालायक कहीं का….बोली थी न कि ये मिठाइयां मामा … Read more

खोखली होती जड़ें -लतिका श्रीवास्तव

आज संगम लाल के घर पार्टी में चलना है टाइम से तैयार हो जाना साथ में चलेंगे…दिवाकर ने जैसे ही कहा रत्नेश ने तुरंत मना कर दिया “अरे नही आज शाम को तो मैं कहीं नहीं जा सकता दोपहर में मेरा बेटा अजीत आ रहा है तीन सालों के बाद आ रहा है उसकी पढ़ाई … Read more

बड़े घर की बेटी – रश्मि प्रकाश

“बिटिया क्या तुम सच में अपने ससुराल जा रही हो…. ?” शकु ताई ने नीति से पूछा  “ हाँ ताई…आप अपना ख़्याल रखना और ये चिट्ठी… मम्मा जब घर आए उन्हें दे देना ।” कहते हुए नीति अपना सामान पैक कर कार में बैठ घर से निकल गई  एक ही शहर में मायका ससुराल है … Read more

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