आजकल की औलाद – अनीता चेची

15 वर्षीय अभिषेक बहुत दिनों से बेचेन था। अपने मन की बात किससे कहें,  यही सोच कर वह   परेशान था।

अपने मन की बात माॅं को कहे या ना कहे पता नहीं   माॅं क्या सोचेगी?

पिताजी तो वैसे ही बहुत सख्त स्वभाव के हैं उनके सामने कुछ भी कहना खतरे से खाली नहीं।

परंतु आज अभिषेक ने अपनी माॅं से बात करने का निश्चय किया।

बचपन से लेकर आज तक अपने स्कूल की हर बात वह  अपनी माॅं को बताता था।

परंतु ना जाने  क्यों  आज उसे हिचकिचाहट हो रही थी?

पता नहीं माॅं क्या सोचेगी?

अभिषेक ने हिम्मत करके अपनी माॅं को अपनी क्लास की लड़की की हरकत बताई कई दिनों से वह उसकी तरफ इशारा कर रही थी और आज तो उसने अकेले में  हाथ ही पकड़ लिया।

 ‘माॅं मैंने पहली बार किसी लड़की को किसी लड़के को छेड़ते हुए देखा,

माॅं तुम तो कहती हो  कि हमेशा लड़के लड़कियों को छेड़ते हैं।

परंतु मेरी क्लास की छाया ने जो किया वह अविश्वसनीय है।

छाया  हमेशा मेरी तरफ देखती रहती है

परंतु कुछ दिनों से उसकी कुछ अजीब सी हरकतें हैं।

माॅं आप हमेशा लड़कियों के अधिकारों और सम्मान की बात करती हैं,  लड़कियाॅं जब लड़कों की शिकायत करती हैं तब आप लड़कों के लिए सजा की बात कहती हैं। 




यदि कोई लड़की परेशान करें तब उसे क्या सजा मिलनी चाहिए?

सभी बातें लड़कियों की ही सुनी जाती है और उनकी ही मानी जाती है एक तरफा पक्ष सुनकर सभी  हम लड़कों  पर आरोप लगा देते हैं’।

एक दिन  हमारे स्कूल के पीटीआई टीचर ने एक लड़की की शिकायत पर एक लड़के को बहुत जोर से पीटा तब से मुझे बहुत डर लगता है। 

पिछले एक महीने से हमारी कक्षा की छाया  कभी मुझे प्रेम पत्र देती है कभी मेरे दोस्त को, कभी इशारे करती है, कभी अकेले में आने की बातें करतीं है,

बड़ा उलझ गया हूॅं इस उलझन में

वह मुझसे प्रेम करती है या मेरे दोस्त से पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा है?

पर आज तो उसने हद ही कर दी मेरी तरफ गंदे इशारे कर रही थी। ये सच ना तो किसी बता सकता हूॅं और ना ही  छुपा सकता हूॅं 

लड़का समझ  सभी मुझे  दोषी ठहरा देंगे ।

अब आप ही बताइए मैं क्या करूं?

अभिषेक छाया बुरी लड़की नहीं है, विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण स्वभाविक है कोई अपने संवेगो को संभाल लेता है और किसी से ये संवेग संभलते नहीं हैं।

मां अभिषेक की तरफ देखकर उसकी मन स्थिति को समझ रही थी और वह जानती थी कि वह सच कह रहा है।

देखो अभिषेक, तुम ये बातें अपनी कक्षा अध्यापिका को बताओ ताकि वह छाया को समझाएं मेरा उससे बात करना ठीक नहीं रहेगा’।

 अगले दिन स्कूल आकर अभिषेक ने सारी बात अपनी कक्षा अध्यापिका को बताई




 कक्षा  अध्यापिका ने छाया को अपने कक्ष में बुलाकर सत्य जानने की कोशिश की।

अध्यापिका की बात सुनकर छाया घबरा गई

 ना नुकर   कर अभिषेक पर ही आरोप लगाने लगी ।

‘देखो छाया उम्र के ये बदलते संवेग हर किशोर वर्ग में होते हैं ,

ऐसा तो नहीं है हमेशा लड़के ही गलत हो   किसी पर गलत आरोप लगाकर उसे फंसा देना भी गलत है  तुम सत्य अपने मुख से कहो।

अध्यापिका की बात सुनकर छाया का सिर शर्म से नीचे झुक गया ,   उसकी आंखों से टप टप आंसू गिरन लगे

    मैम कृपया! आप ये बात मेरे माता-पिता को मत बताना, नहीं तो वे मुझे पढ़ने नहीं देंगे, मैं भविष्य में इस तरह की हरकत कभी नहीं करूंगी।”

कक्षा अध्यापिका मन ही मन सोच रही थी एक हमारा समय था जब लड़के लड़कियां आंखों ही आंखों में प्रेम का इजहार किया करते थे। और लड़कियां  शर्म से झुक जाती थी ,अपने भावों को वही छुपा लेती थी।   आंखों में  एक शर्म थी। प्रेम में मर्यादा थी। परंतु आजकल की औलादें

पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण कर रही हैं। संपर्क के साधन बढ़ गए हैं मोबाइल, इंस्टाग्राम का गलत उपयोग हो रहा है। जिसके कारण युवा पीढ़ी भ्रमित हो रही है।

अनीता चेची, मौलिक रचना, अप्रकाशित

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