तुम करती ही क्या हो.!! – अंजना ठाकुर : Moral stories in hindi

रचना की शादी विकास से दो साल पहले हुई थी

विकास की सोच भी औरों जैसी थी की औरतों को काम ही क्या होता है क्योंकि खुद ने कभी एक ग्लास पानी भर कर नही पीया शुरू से मां ने सेवा करी जब नौकरी लगी तब भी मां साथ आ गई की बेटे को खाने पीने की तकलीफ नहीं हो और फिर रचना से शादी होने के बाद मां वापस गांव चली गई बहन विकास के पापा और भाई खेती बाड़ी करते बड़ी भाभी घर सम्हालती

विकास को खाना भी बिल्कुल गर्म खाने की आदत थी इसलिए रचना भी कही आ जा नही पाती थी रचना भी पढ़ी लिखी थी लेकिन उसे नौकरी करना पसंद नही था

रचना के घर के पास ही नीना और उसके पति मुकेश रहते है उन दोनों की आपसी समझ बहुत अच्छी थी

नीना एक स्कूल मैं नौकरी करती थी सुबह जल्दी खाना

बनाकर रख देती बाद में मुकेश अपना टिफिन पैक कर के ले जाता और भी काम मै हाथ बंटा देता रचना कई बार विकास से कहती की मुकेश भैया कितना हाथ बंटाते है तुम भी थोड़ी जिम्मेदारी लेना सीखो

विकास चिढ़ कर बोलता की वो नौकरी करती है तुम्हे घर मैं काम ही क्या है

रचना को बहुत गुस्सा आता पर वो जीवन मै शांति चाहती थी तो चुप रह जाती

आज रचना को जरूरी काम से मायके जाना था आते आते रात हो जाती टी उसने खाना बना कर रख दिया और फोन करके पति को बता दिया की खाना खा लेना

गुस्से मैं पति ने पूरी बात भी नही सुनी और फोन काट दिया

रात को रचना आई तो देखा खाना वैसा ही रखा है उसके पति विकास चिल्ला कर बोला जब तुम्हे पता है मैं ठंडी रोटी नही खाता तो तुम क्यों बना कर गई अब तुम मेरे लिए गर्म बनाओ

आज रचना को भी गुस्सा आ गया अभी तक वो विकाश की खुशी के लिए जैसा उसको पसंद है वैसा ही करती अभी तक विकास की मां साथ रहती थी तो कोई काम करने की विकास को आदत नही थी खाना भी उसे गर्म चाहिए दिन में भी टिफिन लंच टाइम मैं ही मंगवाता

जिस कारण रचना कही आ जा नही पाती

पर आज रचना ने फैसला कर लिया की विकाश की नजरों में घर के काम की इज्जत नही है उसे बताना पड़ेगा रचना ने भी नीना से बात करके स्कूल मैं नौकरी कर ली

आज उसने भी जल्दी खाना बना दिया विकास बोला मैं नही खाऊंगा ठंडी रोटी ।चार दिन मैं समझ आ जायेगा नौकरी करना कितना मुश्किल है

रचना बोली तो फिर बाई लगा लो और रचना निकल गई अब विकास को धीरे धीरे रचना के काम का अहसास हुआ की कैसे ऑफिस जाने तक रचना उसके काम मै ही व्यस्त रहती है नाश्ता देना ,कपड़े निकालो जूते भी साफ कर देती उसके बाद घर के काम करती होगी और मैं यही कहता रहा की तुम करती क्या हो

उसने रचना से माफी मांगी की में समझ गया की तुम क्या करती हो प्लीज नौकरी छोड़ दो रचना ने कहा अब मैं नौकरी नहीं छोड़ूंगी सबको यही लगता है की काम बही होता है  जिसमे पैसे मिलते है घर का काम हम निस्वार्थ भाव से करते है तो कोई कद्र ही नही है इस नौकरी की वजह से ही ये दाग मिटा है की तुम करती क्या हो और मुझे खुशी है की तुम्हे भी समझ आ गया

अब विकास चुप था क्योंकि उसने ही मजबूर किया था

रचना को नौकरी करने के लिए काश वो समय रहते समझ जाता

#दाग

स्वरचित

अंजना ठाकुर

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