तीन गुना भोजन

सम्राट अकबर हमेशा अपने मंत्री बीरबल से हंसी ठिठोली करते रहते थे और उस हंसी ठिठोली में भी एक सामाजिक संदेश छुपा होता था आज की कहानी भी कुछ ऐसे ही है। 

 एक बार  मुगल सम्राट  अकबर अपने दरबार में बैठे हुए थे।  सम्राट अकबर ने अपने दरबारियों के सामने एक शर्त रखा।   यह शर्त  जो भी जीतेगा उसे मुंह मांगा इनाम दिया जाएगा।  अकबर ने दरबारियों के सामने इस शर्त को सुनाया।  शर्त  यह है कि जितनी यह बकरी घास खाती है उस से 3 गुना ज्यादा घास खिलाना पड़ेगा, लेकिन एक महीने बाद जब मैं बकरी वापस लूंगा तो इस बकरी का वजन नहीं बढ़ने चाहिए।  सभी दरबारियों ने इस शर्त को सुनकर भौचक्का हो गए कि यह शर्त है अगर बकरी अपने से 3 गुना ज्यादा घास खाएगी तो उसका मोटा होना लाजमी है। 

 सभी दरबारियों को चुप देखकर सम्राट अकबर ने बीरबल से कहा क्या बीरबल तुम भी हार गए मुझे तो उम्मीद था कि तुम कम से कम इस शर्त  को जरूर जीतकर दिखाओगे। 



 बीरबल कहाँ हार मानने वाले थे  उन्होने शर्त कबूल कर ली और वह बकरी लेकर अपने घर चले गए।  बीरबल के घर पर सुबह-सुबह रोजाना 3 बंडल घास राजा के सैनिक पहुंचा जाते थे। 

 अगले दिन से राज दरबार में खुसरूपुर होना शुरु हो गया था कि बीरबल यह कैसे कर पाएंगे यह तो संभव ही नहीं है कि बकरी अपने से 3 गुना ज्यादा घास खाएगी और उसका वजन भी नहीं बढ़ेगा। 

 बीरबल ने जहां पर बकरी को बांधा हुआ था वहां पर बकरी के सामने ही एक कसाई का बड़ा सा छुरा  भी टांग दिया था।  जिससे कि बकरी चारा तो खाती थी लेकिन हमेशा उसके ध्यान उस बड़े से छुरे  पर ही रहती थी उसे हमेशा इस बात का डर रहता था कि ना जाने कब उसको काटकर  भोजन में परोस दिया जाएगा।  बकरी सारा दिन उस छुरे  को देखकर तनाव में रहती थी और उसका खून जलते रहता था उसका पूरे दिन का खाया पिया डर और घबराहट से बराबर हो जाता था लगातार एक महीने तक बीरबल ने ऐसा ही किया। 

 जब एक महीना बीत गया तो सम्राट अकबर ने बीरबल को बकरी लेकर दरबार में हाजिर होने के लिए कहा सम्राट अकबर के मन में यही बात थी कि अब तक तो बकरी खा पीकर हाथी हो गई होगी और बीरबल को वह सजा देंगे लेकिन जब बीरबल बकरी को लेकर दरबार में पहुंचे तो बकरी बिल्कुल ही सूखी हुई हड्डी हो गई थी यह देखकर सम्राट अकबर ने बीरबल से पूछा बीरबल क्या तुम इस बकरी को कुछ खाना ही नहीं खिलाते थे क्या या तो बिल्कुल मरने मरने जैसी हो गई है। 



 बीरबल ने जवाब दिया महाराज मैं आपकी आज्ञा का उल्लंघन कैसे कर सकता हूं जो आप घास सैनिकों द्वारा भिजवा देते वह सारा घाँस  इस बकरी ने खा लिया है।  राजा ने पूछा फिर भी यह दुबली पतली क्यों है। 

 बीरबल ने अकबर से कहा कि महाराज ऐसा ही जीवन में भी होता है हमें जीवन में चाहे कितनी भी सुख सुविधाएं क्यों न मिले अगर हमारे जीवन में तनाव रहेगा तो वह खाना-पीना हमारे शरीर को नहीं लगेगा। 

 शिक्षा:  बच्चों इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है कि हमें जिंदगी में किसी भी बात की तनाव नहीं चलना चाहिए क्योंकि उस तनाव से हम अपने आपको बर्बाद कर रहे होते हैं इसीलिए इस परिस्थिति में भी रहे जैसे भी रहे हमेशा अपने आप को खुश रखें। 

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