श्यामली ( भाग 1) –  नम्रता सरन “सोना : Inspirational Hindi Stories

श्यामली, अपने नाम की तरह ही खट्टी मीठी .गुदाली सी रसभरी और बरबस ही सबको आकर्षित कर लेने वाली सुदेह की मालकिन थी. बातें करती तो मानों उसके अधरों से मीठा मीठा रस टपक रहा हो.

हँसती तो जैसे सैकड़ों घुंघरू एक साथ बज उठे. पलकों को उठाती तो नीली नीली झीलों सी मदभरी आँखें क़यामत ढाती, पलकें गिराए तो सारा संसार अंधकारमय हो जाए.कसा हुआ बदन,ठुड्डी पे तिल,कमर तक झूलती लंबी सी चोटी …उफ़,….क्या क्या बयान करू उसके सोंदर्य का. श्यामली तो बस श्यामली थी,सत्रह-अठारह बरस की मदमस्त अल्हड श्यामली.

           इसी बरस उसका गौना हुआ था,विवाह के आठ बरस बाद श्यामली अपने पति के घर याने कि अपने ससुराल आई थी.वैसे तो उसका ससुराल किसी गावँ में था लेकिन उसका पति बिसनु ठेकेदार के यहाँ चोकीदारी का काम करता था,सो वह श्यामली को अपने साथ यहाँ उमरापुर ले आया था.

     श्यामली के आ जाने से बस्ती में खूब रौनक हो गयी थी.जब भी वो घर से निकलती उसके पैरों की मोटी मोटी पायल के घूँघरू इशारा देते की यौवन की रानी अपने पूरे साजो सामान के साथ पधार रही है.

नागिन जैसी लहराती चाल ,उस पर कमर पे झूलती चोटी मनचलों को सीटियाँ बजाने और फब्तियां कसने पर मजबूर कर देती.उसके साथ चलता उसका पति बिसनु उसके सामने ऐसा प्रतीत होता मानों हूर के बगल में लंगूर. काला काला, नाटा सा ,दुबला पतला बिसनु ,लोगों को इस तरह घूरते हुए देख कर खिसिया जाता और गंदी गंदी गालियाँ निकालने लगता.दरअसल के श्यामली सामने वह खुद को कमतर महसूस करता था.

      श्यामली के बारे में ये सब मैंने अपनी काम वाली बाई से जाना था.वो अक्सर श्यामली की बातें करती थी,:मेडम जी, मैं आपको क्या बताऊ श्यामली इत्ती सुन्दर है कि बस:, मेडम जी श्यामली ऐसी है, श्यामली वैसी है. श्यामली ने ये किया , श्यामली ने वो किया,

उससे श्यामली के बारे में सुन सुन कर श्यामली मुझे मुहँजुबानी याद हो गयी थी.मैं लिखते लिखते श्यामली के सौंदर्य को ही याद करती रहती ,वो कब मेरे लेखन की नायिका बन गयी पता ही नही चला.

      अब तो रोज का नियम बन गया, मैं कामवाली बाई से श्यामली के बारे में कई बातें किया करती .मेरे लेखन की नायिका धीरे धीरे निखरती जा रही थी।

          “मेडम जी;” एक दिन कामवाली बाई बोली।

         “हाँ,कहो क्या बात है? “मैंने लिखते लिखते पूछा।

         “वो बिसनु है न बिसनु, श्यामली का पति, नासमिटा दारु पीकर श्यामली को पीटता है।”

         “क्यों? “मैंने मुहँ उठाकर पूछा

        “कहता है , श्यामली बदचलन है, दूसरे मर्दों से उसके सम्बन्ध है.और…और ..पता है मेडम जी वो क्या कहता है ?”

        “क्या कहता है? मैंने जल्दी से पूछा “

        “कहता है , श्यामली के पेट में जो बच्चा है, वो किसी और का पाप है”

        “उफ्फ…तो क्या श्यामली पेट से है?”

        “हाँ मेडम जी तीन माह का गर्भ है”

       ओह,तो कोई उसको समझाता क्यों नहीं”

       “अरे मेडम जी कौन समझाए ,वो इतना सक्की है कि जो उसे समझाने जाये उसीपर लांछन लगा देता है”

 

     “अच्छा,तू एक काम कर बिसनु और श्यामली को यहाँ लेकर आना मैं समझाऊँगी.शायद वो समझ जाए”

      “ठीक है मेडम जी,मैं पूछ कर बताउंगी”

     “ठीक है ,तू कोशिश करना कि कल ही वो मुझसे मिल ले.”>मैंने कहा।

   अगला भाग 

श्यामली ( भाग 2) –  नम्रता सरन “सोना : Inspirational Hindi Stories

#बंधन 

*नम्रता सरन “सोना”*

भोपाल मध्यप्रदेश 

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