स्वर्ण मुद्रा की पहचान

 

एक बार की बात है एक गुरुकुल में सभी छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करके अब अपने गुरु से विदाई लेने उनके आश्रम में पहुंचे।  गुरु जी ने सबको अपने आश्रम के बाहर बैठने को कहा और उन्होंने बोला कि मैं आप सब की एक परीक्षा लूंगा देखता हूं कौन कौन इस परीक्षा में पास होता है जो इस परीक्षा में पास हो जाएगा मैं मान लूंगा कि वही सही में इस गुरुकुल से शिक्षा प्राप्त किया है।

सभी छात्र बाहर बैठ गए गुरु जी थोड़े देर में अंदर से   एक सोने का सिक्का लेकर आए। और सभी छात्रों को दिखाते हुए उन्होंने बोला कि बताओ आप लोग यह क्या है तो सब ने एक स्वर में आवाज लगाई गुरु जी यह स्वर्ण मुद्रा है।  गुरु जी ने बोला बिल्कुल सही कहा, आप लोगों ने यह एक स्वर्ण मुद्रा है अब मैं आप लोगों से पूछना चाहता हूं कि यह स्वर्ण मुद्रा कौन कौन लेना चाहता है सब लोग अपना हाथ खड़ा करें।

जितने भी छात्र थे सब ने अपना हाथ खड़ा कर दिया था।  अब गुरुजी बोले कि भाई स्वर्ण मुद्रा तो एक ही है लेकिन हाथ इतने हैं अब मैं कैसे यह  निर्णय करूं किस को यह स्वर्ण मुद्रा किसको दूं, ठीक है मैं एक काम करता हूं, गुरुजी ने  इस स्वर्ण मुद्रा को मैं पास में एक तालाब था उस कीचड़ में डूबा दिये और कीचड़ मे गंदा कर  आए और बोले अब आप बताओ यह स्वर्ण मुद्रा कौन लेगा फिर सारे छात्रों ने एक स्वर में हाथ उठाकर बोला गुरुजी यह स्वर्ण मुद्रा हम लेंगे।  गुरुजी फिर परेशान हो गए कि भाई इसको तो मैंने गंदा भी कर दिया फिर भी लोग इसे लेने को तैयार हैं अब क्या करूं।



इस बार गुरु जी ने एक पत्थर उठाया और स्वर्ण मुद्रा को चारों तरफ से तोड़कर टेढ़ा कर दिया फिर उन्होंने छात्रों से पूछा कि आप बताइए कि यह स्वर्ण मुद्रा कौन लेगा।

इस बार भी सभी छात्रों ने एक स्वर में ही हाथ उठाया और बोला गुरु जी हम लेंगे इस स्वर्ण मुद्रा को।  गुरुजी बोले मेरे इस स्वर्ण मुद्रा वाले रहस्य के से आपको कुछ सीख मिली। सभी छात्र चुप थे गुरु जी ने दुबारा बोला।  इससे आपको यह सीख मिलती है कि जो बहुमूल्य चीज होती है वह चाहे जैसा भी स्थिति में रहे सदा उसकी कीमत एक जैसी होती है।

छात्रों यही हमारे जीवन में भी होता है कई बार हम अपने जीवन में नकारात्मक हो जाते हैं और कई बार सकारात्मक हो जाते हैं जीवन में यह लड़ाई हमेशा चलती रहती है कई बार हम अपने गलत निर्णयों के कारण भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है और कई बार तो ऐसा लगता है कि हम अपना जीवन ही समाप्त कर ले  हमारा जीवन लगता है कि अमूल्य हो गया है लेकिन दोस्तों हमारा जीवन इस स्वर्ण मुद्रा की तरह है जो अपना महत्व कभी नहीं होता है इसलिए आप हमेशा ध्यान रखें यहां से जाने के बाद स्वर्ण मुद्रा बन कर रहे चाहे परिस्थितियां आपके साथ कैसी भी हो आप अपना स्वाभिमान न खोएँ और जीवन में स्वविवेक से कोई भी निर्णय लें।

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