प्रार्थना की शक्ति

एक पंडित जी थे जो अपने घर के पास ही कृष्ण मंदिर में पूजा करते थे और पूरे मंदिर की देखभाल करते थे मंदिर में ही जो चढ़ावा चढ़ता था उसी से अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। मंदिर में जो भी चढ़ावा चढ़ता था उसमें से जो कुछ लोग पैसे चढ़ाते थे उसी पैसे से शाम को घर लौटते समय अपने घर के राशन और सब्जियां खरीद कर ले जाते थे।  

एक दिन की बात है पूरा दिन बीत गया है लेकिन मंदिर में किसी ने भी पैसे का चढ़ावा नहीं चढ़ाया जो भी कोई आया बस फल फूल चढ़ाकर चला गया पंडित जी बहुत परेशान हो गए थे घर में बिल्कुल भी राशन नहीं था कि आज शाम को घर में खाना कैसे बनेगा बच्चे भूखे रह जाएंगे।  फिर उनके मन में ख्याल आया कि जिस दुकानदार से वह रोजाना सामान खरीदते थे उन्होंने सोचा कि आज उसी से उधार ले लेता हूं कल जब पैसा आ जाएगा तो उसके पैसे चुका दूंगा।

शाम होते ही पंडित जी ने भगवान  को भोग लगाकर मंदिर को पट बंद कर दिया।  और घर के लिए निकल पड़े रास्ते में ही बनिया की दुकान से उन्होंने पूछा कि भाई आज मंदिर में कोई भी चढ़ावा नहीं चढ़ा क्या आप आज भर के लिए उधार सामान दे दोगे।



दुकानदार  ने सोचा कि पंडित जी रोज सामान तो ले ही जाते हैं कोई बात नहीं आज इनको उधार दे देते हैं। उस ने बोला ठीक है पंडित जी जो चीज लेना है बता दो मैं लिख लेता हूं लेकिन जब आपके पास पैसे आ जाए तो आप याद करके पैसे चुका जाना।

पंडित जी ने दुकानदार को बहुत ही धन्यवाद किया और बोला कि भाई आपका बहुत ही आभार है नहीं तो आज हमारे बच्चे भूखे सो जाते।

लेकिन किस्मत का खेल देखिए अगले दिन भी मंदिर में कोई भी पैसे का चढ़ावा नहीं चढ़ा और फिर पंडित जी को शाम को घर के लिए राशन पानी ले जाना था अब उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आज वह क्या करें फिर उन्होंने सोचा कि चलो  दुकानदार से ही आग्रह करूंगा कि आज भी उधार दे दे कल मैं कैसे भी करके तुम्हारा पैसा चुका दूंगा। दुकानदार ने जैसे ही पंडित जी को देखा और बोला और पंडित जी कैसे हैं आइए आज क्या-क्या सामान दे दूँ।

पंडित जी बोले कि भाई साहब आज भी मंदिर में कोई भी  चढ़ावा नहीं चढ़ा है आपसे आग्रह है कि आज भी आप उधार सामान दे दीजिए कल मैं कहीं से भी आपका पैसे चुका दूंगा।

 अब दुकानदार थोड़ा कठोर हो गया और बोला पंडित जी आपने तो धंधा ही बना लिया एक दिन मैंने आपको उधार क्या दे दिया आपने सोचा कि रोज उधार ले लूं ऐसा नहीं चलेगा आपके पास जो भी है वह मुझे दीजिए तभी आपको समान मिलेगा वरना आप वापस चले जाएं मेरे पास कोई सामान नहीं है।



पंडित जी ने अपने जेब में हाथ डाला तो कुछ भी नहीं है बस एक कागज का टुकड़ा निकला दुकानदार ने पूछा कि पंडित जी मिला कुछ तो पंडित जी बोले भाई साहब इस कागज़ के टुकड़े के अलावा कुछ भी नहीं है मेरे पास तो दुकानदार ने मजाक में ही कहा तो दीजिए एक तरफ तराजू पर यह आपका कागज का टुकड़ा रखता हूं और जितना भी सामान इस कागज़ के टुकड़े से आ जाएगा वह सामान आपका।

दुकानदार ने मजाक में ही वह कागज का टुकड़ा एक तरफ रख दिया और दूसरी तरफ सामान रखने लगा लेकिन यह क्या हो रहा है वह कागज का टुकड़ा तो ऊपर ही नहीं उठ रहा है दुकानदार भी आश्चर्यचकित हो गया और उसने खोलकर देखा कि उस कागज के टुकड़े पर आखिर  क्या लिखा है उस कागज के टुकड़े पर बस इतना ही लिखा था। ” हे परमपिता परमेश्वर तुम हो सबके रखवाले। तुम ही रखते हो सबको भूखे तुम्हारी ही इच्छा से मिलते हैं सबको निवाले” यह एक प्रार्थना रूपी भगवान का भजन था जो पंडित जी इसे लिख रहे थे और अभी पूरा लिख नहीं पाए थे तो जेब में रख लिया था कि इसे घर जाकर इस भजन को पूरा लिखूंगा।

पास में ही खड़े एक और ग्राहक था उसने दुकानदार से कहा कि भाई साहब आपको आश्चर्य होने की जरूरत नहीं है भगवान सबकी प्रार्थना सुनता है प्रार्थना में इतनी ताकत होती है अगर आप दिल से किसी चीज की प्रार्थना ईश्वर से करेंगे तो वह आपको कबूल हो जाएगा और यही चीज इस पंडित जी के साथ हो रहा है।



दुकानदार पंडित जी के चरणों में गिर गया और उनसे माफी मांगने लगा और उसने बस इतना ही कहा पंडित जी आपको जो सामान चाहिए आप ले जा सकते हैं जब आपके पास पैसे आए तब आप दे दीजिएगा।

पंडित जी ने कृष्ण मुरारी का दिल से धन्यवाद  कहां और खुशी-खुशी अपने घर वापस आए और उस दिन से बिना कुछ भगवान से मांगे भगवान की भक्ति में लग गए।

मित्रों कहानी का सार यही है कि अगर आप किसी से दिल से कुछ भी मांगोगे तो चाहे वह भगवान हो या कोई और आपको मिल ही जाएगा आप कर्म करते जाओ फल की चिंता मत करो आपके जीवन में कोई भी कृष्ण मुरारी कष्ट नहीं आने देंगे बोलो प्रेम से :-

जय श्री कृष्णा

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