नए रिश्तो को पंख लगने मे समय तो लगता है-Mukesh Kumar

आज रागिनी की बारात आने वाली थी। उसकी सहेली ममता ने हाथों और पैरों पर मेहंदी लगा कर जैसे ही उसके रुम से बाहर निकली उसकी मां उसके रूम में अंदर घुसी और अपनी बेटी रागिनी को से बोली बेटी आज मैं  तुम्हें एक ऐसी सीख दे रही हूँ जिसे अगर अपने जीवन मे उतार लिया तो कभी भी ससुराल मे तुम पराई नहीं होगी।

बेटी शादी के बाद से ससुराल ही तुम्हारा घर है, और वही तुम्हारी दुनिया है, तुम्हारे पति के भाई बहन मां अब शादी के बाद से वही तुम्हारे भाई बहन और मां हो जाएंगे।

अब तुम यहां की चिंता मत करना अब तुम्हारी दुनिया बदल गई है तुम अपनी दुनिया को समझना।

मैं अपनी मां की बातें आंख बंद करके सुन रही थी और मैंने यह फैसला भी किया कि मैं अपनी मां की हर बात मानूंगी अपने मां बाप का सर कभी भी शर्म से अपने स्वभाव और व्यवहार से नीचा नहीं होने दूंगी।

शाम  को बारात आई और  शादी धूमधाम से हुई और अगले सुबह रागिनी की बिदाइ हो गई।

ससुराल जाने के अगले दिन रागिनी ससुराल में अपने कमरे में बैठी थी और यही सोच रही थी मैं कैसे अपने आप को इस माहौल में ढालूंगी।

यहां के सारे लोग पराए हैं घर भी पराया है ना मैं किसी को सही तरीके से जानती हूं  न यहा के लोग लोग मुझे जानते हैं।

फिर मन मे सोचा समय के साथ  धीरे-धीरे सब सही हो जाएगा। शादी के दो चार दिन बाद ही सारे रिश्तेदार अपने घर को चले गए और  बच गए उनके ननद, देवर और सास।



लेकिन जैसा रागिनी ने सोचा था वैसा बिलकुल ही नहीं हुआ बल्कि सब कुछ उल्टा होने लगा।  कोई भी उससे सीधा मुंह बात ही नहीं करता था अगर वह TV वाले कमरे में जाती तो सारे घरवाले वहां से उठकर बाहर चले जाते थे।  वह खाना भी बनाती थी तो किसी को उसका खाना बनाना पसंद नहीं आता था।

खाने में कोई कमी निकाल ही देते थे। कभी नमक कम है तो कभी नमक ज्यादा है इन सब से परेशान होकर रागिनी ने भी खाना बनाना छोड़ दिया, जब किसी को खाना ही नहीं है  तो वह खाना बनाकर करेगी क्या। रागिनी अपने आप को अकेला महसूस करने लगी। परिवार वालों बात करें ना करें उसका पति भी उसे सही से बात नहीं करता था। रागिनी का पति भी अगर शाम को ऑफिस से घर आता तो कभी भी सीधे मुंह रागिनी से बात नहीं करता।

हमेशा उस से लड़ने के लिए कोई ना कोई बहाना ढूंढते रहता था और उसकी कमी निकालते रहता था। तुम्हारे माएके से ये नहीं मिला वो नहीं मिला।

रागिनी सोचती थी कि शादी से पहले इसका पति और उसके घर वाले कितने प्यार से बातें करते थे ऐसा लगता था। उसको मेरे मायके से भी ज्यादा ससुराल में प्यार मिलने वाला है लेकिन अब शादी होने के बाद ऐसा लग रहा है जैसे मेरे से किसी की जान पहचान ही न  हो सब मेरे से दूर रहने लगे हैं। रागिनी की उम्र भी कोई ज्यादा नहीं था इसी साल ग्रेजुएशन कंप्लीट करी थी यानी कि उसकी उम्र 22 साल के आसपास थी।

दुनियादारी की समझ इतनी नहीं थी।

अगले दिन अपने मां के पास फोन लगा कर खूब जोरों से रोने लगी।  आज के पहले अपनी मां को रागिनी ने कुछ भी नहीं बताया था। जब भी उसकी मां पूछती बेटी कैसी हो ठीक हो तुम्हारे ससुराल वाले सब ठीक है तो  सबको अच्छा बताती है, सब तुम्हारे साथ बात करते हैं न तो झूठ-मूठ का बोल देती थी हाँ मां सब मुझे बहुत प्यार करते हैं।



लेकिन वह इस झूठ के साथ कितने दिन जी सकती थी आज मां को फोन लगाते ही रोना शुरु कर दिया।  माँ भी पूछने लगी क्या हुआ मेरी बेटी क्यों रो रही हो माँ सब समझ गई माँ तो ऐसी होती ही है।  माँ तो अपनी बेटी की आंसू को बिना देखे ही समझ जाती है माँ बिना पूछे ही बोल दी बेटी मत रो नए नए पर ऐसा महसूस होता है नया घर है नए लोग हैं थोड़ा टाइम तो लगेगा सबके साथ मिलने जुलने में इतना टेंशन मत  लो सब कुछ ठीक हो जाएगा।

सब  तुमसे बात करने लगेंगे।

मां बोली अगर तुमसे कोई बात नहीं करता है तो तुम अपना मन किसी और चीज़ में लगा लो सिलाई कढ़ाई का काम करो।  तुम्हारा दिन भी बीत जाएगा और मन भी लग जाएगा।

अगर कोई चीज खाने पीने का दिल करे तो अपने पति को बोल दो कि मुझे खाना है ला दो इसमें कोई बुराई नहीं है।  तुम्हें वहां रहना है अपना हक जताना सीखो कब तक भागती रहोगी अब तुम्हारा वही घर है। अगर तुम्हारे घर वाले  का कभी कोई बात बुरी लग जाए तो उसे हंस के ताल दो कभी-कभी खामोशियां बहुत बड़ी काम कर जाती है। बेटी तुम्हें याद है जब तुम हमारे यहां थी तो जब भी तुम्हें कोई चीज की जरूरत पड़ती थी तो कितना जिद करती थी कि मम्मी मुझे यह चीज लेना है तो लेना है और आखिर हम तुम्हें दिलाते ही थे।

 तो वैसे ही वहां पर भी जिद करो रूठो कहने का मतलब है कि अपना हक दिखाओ। अगर तुम्हारा पति तुमसे सही से बात नहीं करता है हमेशा लड़ाई करने का मूड में है तो तुम दो-तीन दिन बात ही मत करो फिर देखो क्या होता है। ऐसा ही हुआ जब शाम रागिनी के पति घर आया तो रागिनी ने चुपचाप दरवाजा खोला और TV देखने लगी और पानी लाकर रख दी थोड़ी देर के बाद रागिनी के पति राकेश रागिनी से बोला क्या हुआ रागिनी इतना खामोश क्यों हो हो मेरे घर आते ही तुम्हारा रेडियो शुरू हो जाता था की जूते यहा रखो कपड़े यहा रखो।



आज क्या हो गया फिर भी रागिनी कुछ नहीं बोली वह चुप-चाप TV देखती रही।  रागिनी उठी और बोली मैं आपके लिए चाय बना कर लाती हूं चाय बनाने गई और गलती से चाय में चीनी डालना ही भूल गई।  

चाय पीते उसके पति राकेश ने बोला क्या बात है आज चाय बहुत मीठी बनाई हो रागिनी को समझते देर नहीं लगी अरे आज तो मैंने चाय में चीनी नहीं डाली।  इसके पहले रागिनी के कोई भी काम में कमी दिख जाती थी तो राकेश बस मारना पीटना शुरू कर देता था। लेकिन आज अचानक से ऐसे बोलेंगे कुछ समझ नहीं पा रही थी।  रागिनी बोली अभी चीनी लाती हूं तभी राकेश अपने बाहों में भरते हुए बोला रहने दो इतनी चीनी जैसी मीठी जिसकी बीवी हो उसको चीनी डालने की क्या जरूरत है।

चलो  तैयार हो जाओ आज हम कहीं बाहर डिनर करके आएंगे।

रागिनी सज धज कर तैयार हो चुकी थी राकेश और रागिनी डिनर के लिए निकल चुके थे और बाहर किसी अच्छे रेस्टोरेंट में कैंडल लाइट डिनर किया।  राकेश ने बोला चलो अब घर चलते हैं रागिनी ने बोला नहीं पांच प्लेट खाना और पैक कराना है। राकेश हंसने लगा क्या बात है कितना खाना खाओगी अब कौन से पेट में खाओगी।  एक आपका ही पेट है क्या आप और हम तो रेस्टोरेंट में खा लिए क्या मम्मी और आप के भाई और आपकी बहन क्या इंसान नहीं है। मैं उनके लिए पैक करा रही हूं।

अंदर ही अंदर राकेश  बहुत ही खुश हुआ और उसने पांच थाली पैक करवा दिया। उधर वे रेस्तरां मे खाना खा रहे थे इधर घर मे रागिनी की बुराई शुरू हो चुकी थी की ये देखो महारानी को अभी चार दिन ही नहीं अब बाहर खाना खाने जाने लगी हमारी तो कोई चिंता ही नहीं की हम खाएँगे की नहीं।   तभी रागिनी और राकेश घर पहुंच चुके थे दरवाजा खोलने उसकी ननद सावित्री आई और रागिनी ने उसे रेस्टोरेंट का खाना पकड़ाते हुए बोली। सावित्री तुम सब यह खा लेना सावित्री ले जाकर अपनी माँ को खाना पकड़ा दी।

उस दिन के बाद से रागिनी उस घर की प्यारी  बहू बन गई थी। सब रागिनी से प्यार करने लगे थे अब कंही से अनहि लग रहा था कि रागिनी उस घर की बहू है। अब वह  एक बेटी बन गई थी।

इसीलिए किसी भी रिश्ते को टाइम देना चाहिए क्योंकि नए रिश्तो को पंख लगने मे समय तो लगता है। 

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