वक्त का इंसाफ – वीणा सिंह

सुमी का फोन सुबह सुबह देख कर मुस्कुरा उठी.. बचपन की सहेली..सुमी ने एक सांस में हीं कह डाला जान तुझे याद है मेरी छोटी बहन सेजल.. एचडीएफसी बैंक में पीओ बनकर तुम्हारे शहर में तीन महीने पहले हीं गई है.. उसके पति दूसरे शहर में जॉब करते हैं इसलिए शनिवार और रविवार को रहते हैं और सोमवार से शुक्रवार दूसरे शहर… नई शादी नया शहर और सेजल बहुत सीधी साधी लड़की है.. पति भी साथ नहीं रहते इसलिए हम सभी उसके लिए चिंतित रहते हैं.. सास तेज तर्रार है.. तू सेजल से मिलना उसे बहुत अच्छा लगेगा बचपन से तुझे जानती है… मैने भी उसे आश्वस्त किया…

                   लंच टाइम में बैंक में हीं मिलने चली गई.. सेजल लिपट गई दीदी.

… अक्सर मैं बैंक में हीं उससे मिलने चली जाती कुछ घर का बना हुआ नाश्ता लेकर…

               पता नही क्यों उसके चेहरे से नई शादी के बाद की रौनक मुझे नजर नहीं आता..

                शनिवार को दो तीन परिवार एक साथ खाना खायेंगे और गप्पे मारेंगे देर तक ये प्रोग्राम बना.. मैने सोचा सेजल को उसके पति के साथ निमंत्रण घर जाकर दे दूं… सास ससुर से भी मिल लूंगी… मैने सेजल को फोन कर कहा तू घर पहुंचेगी उसके आधा घंटा बाद मैं तुम्हारे घर आऊंगी.. सेजल ने टालना चाहा पर मैं हंसी में उसकी बात उड़ा दी…

             साढ़े सात बजे सेजल के दरवाजे पर मैं खड़ी थी दरवाजा खुला था.. सेजल हकलाते हुए बोल रही थी मार्च क्लोजिंग के कारण देर तक काम करना पड़ा मम्मी जी… कर्कश सी आवाज आई अरे तुझे मैं जानती नही हूं मौज मस्ती कर के देर से आती है सज धज के मटकती हुई निकल जाती है… हम मरे जिएं तुझे क्या फर्क पड़ता है.. नौकरानी के भरोसे पूरे दिन छोड़ के चली जाती है.. बूढ़े सास ससुर मरे या जिएं… नौकरानी के हाथ की चाय पीना पड़ रहा है.. कितने अरमानों से तुषार को पाल पोस के बड़ा किया था शादी कर के बहु लायेगा जो हम दोनों की सेवा करेगी. रुआंसी सेजल को देख मैं अंदर चली गई उसकी सास को प्रणाम किया और अपना परिचय दिया.. चेहरे पर बेरुखी और कड़वाहट का भाव लिए कहा अच्छा यहां मायके वालों ने जासूस लगा दिया है कि हर बात की खबर उन्हें मिलती रहे… मैं निमंत्रण देने आई थी पर चुपचाप हीं निकल गई… सेजल आंखों में आसूं शर्मिंदगी और बेबसी लिए मुझे देखती रही..




                   अगले दिन लंच टाइम मैं सेजल को बैंक से लेकर कॉफी शॉप चली आई.. बहुत फोर्स करने पर सेजल ने बताया ये लोग नही चाहते मैं नौकरी करूं.. तुषार ने वादा किया था जॉब तुम करना शादी के बाद भी.. इसी कारण सास ससुर और ज्यादा गुस्साए रहते हैं.. मुझे जॉब छोड़ने के लिए रोज नए नए उपाय खोजते हैं.. कहते हैं पति के कमाई से पेट नही भरेगा जो पत्नी को भी कमाना पड़े..जिस दिन छुट्टी रहती है उस दिन तुषार भी आ जाते हैं उनके साथ चाय पीने भी बैठ जाऊं तो मम्मीजी चिल्लाने लगती हैं.. बेशरम थोड़ा तो सास ससुर का लिहाज कर.. दरवाजा बंद कर अठखेलियां कर रही है दिन दहाड़े… उफ्फ शर्म से गड़ जाती हूं दीदी.. रात में भी बारह बजे के पहले कमरे में नहीं जा पाती हूं, कभी सर दबाने बोलेंगी कभी पैर कभी कमर… तुषार के आने पर इनका दर्द बढ़ जाता है..

        नई नई शादी है तुषार और मेरी दोनो की इच्छा होती है छुट्टी के दिन साथ समय बिताए.. मूवी देखने जाएं.. कहीं घूमने जाएं पर मम्मी जी तूफान मचा देती है.. एक दो बार गए पर जाने की बात सोचकर मन दुखी हो जाता है फिर ऐसा हीं तमाशा करेंगी.. और तुषार तो चले जायेंगे सुनना मुझे हीं पड़ेगा..

            तुषार कुछ समझाने की कोशिश करते हैं तो ससुर जोरू का गुलाम कहते हैं और सास रोना चिल्लाना शुरू कर देती है.. इकलौता बेटा हैं तुषार.. कहती हैं अरे देखना किसी दिन ये लोग हम दोनों को वृद्धा आश्रम में रख आयेंगे.. बहु तो पराई है पर बेटा पर भी कौड़ी कामाख्या का जादू कर पालतू भेड़ा बना दिया है.. उसी का सुनता है.. आंखों से टप टप आसूं बह रहे थे. मैने सेजल को कलेजे से लगा कर पीठ सहलाया.. आसूं पोंछे.. कहा तुम थोड़ी हिम्मत करो.. ये शुरुआत तुमको हीं करना पड़ेगा.. गलत का विरोध करो. बुढ़ापे में सास ससुर से अलग रहना बहुत गलत बात है पर अपने लिए भी जीना सीखना पड़ेगा तुम्हे.. रास्ता तुमको हीं निकालना पड़ेगा… लंच टाइम खत्म हो गया था हम दोनो वापस अपने अपने गंतव्य की ओर बढ़ चले..

               अचानक से मुझे कल टीवी पर कल एक महात्मा के द्वारा संचालित वृद्धाश्रम से एक सत्तर साल की महिला का इंटरव्यू याद आ गया जिसमें वो कह रहीं थी बेटा और बहू ने इस आश्रम में पहुंचा दिया है.. घर बहुत याद आता है.. बहु नही चाहती मैं उसके साथ रहूं.. और सभी बहु और बेटा को कोस रहे थे..

   तस्वीर का दूसरा पहलू भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.. सास ससुर या माता पिता को वृद्धा आश्रम में भेजना बहुत हीं निकृष्ट और गलत है पर सास ससुर का ये व्यवहार उचित है..बहु को बेटी मत समझिए पर इंसान तो समझिए जिसके अंदर भी एक दिल धड़कता है इच्छाएं जन्म लेती हैं, कुछ शौक अरमान सपने लेकर ससुराल आती है.. जानवर को भी प्यार अपनापन मिलता है तो वो भी बदले में वफादार बन जाता है…

                            न जाने सेजल जैसी कितनी लड़कियां इस दौर से गुजरती हैं या गुजर रही हैं.. सोच में बदलाव जरूरी है वरना वृद्धा आश्रम का अस्तित्व गहरा होता जायेगा…

        # स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

वीणा सिंह

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