स्त्री तेरी यही कहानी-मुकेश कुमार

रवि और सीमा एक ही कंपनी में जॉब करते थे,  और दोनों एक दूसरे से बेहद ही प्यार करते थे आलम यह था कि वह एक दूसरे के बिना जीने की सोच भी नहीं सकते थे।  लेकिन दोनों की कास्ट अलग थी इस वजह से रवि के मां-बाप सीमा को स्वीकार करने पर तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि अगर हम अपनी जाति से बाहर शादी करेंगे तो हमें अपने जात वालों द्वारा समाज से बाहर कर दिया जाएगा।

रवि एक नए जमाने का और नए ख्यालात का लड़का था उसे इन सब चीजों से कोई मतलब नहीं था उसने आखिर में दिल्ली में ही कोर्ट मैरिज कर लिया।  जब यह बात रवि के मां-बाप को पता चला कि रवि ने सीमा से कोर्ट मैरिज कर लिया है तो उन्होंने रवि को साफ-साफ बता दिया था कि आज के बाद तुम कभी भी हमारे गांव मत आना तुमसे हमारा अब कोई रिश्ता नहीं है।  रवि भी इस बात को ज्यादा सीरियस नहीं लिया उसे लगता था कि कुछ समय बाद सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा।

शादी के कुछ दिनों बाद ही रवि और सीमा हनीमून मनाने के लिए मनाली गए हुए थे । रवि और सीमा एक पहाड़ी  पर सेल्फी ले रहे थे तभी अचानक से रवि का पैर फिसला और वह पहाड़ी से नीचे आ गिरा। सीमा दौड़कर नीचे पहुंची और कुछ लोगों को आवाज दी जो वही पहाड़ी पर वह भी सेल्फी ले रहे थे सब लोग वहां पहुंचे और जल्दबाजी में रवि को हॉस्पिटल पहुंचाया गया।  रवि के सिर में बहुत तेज का चोट आया हुआ था जिस वजह से वह बेहोश हो चुका था।



डॉक्टर बोल चुके थे कि रवि को जल्दी से दिल्ली के किसी बड़े अस्पताल में भर्ती करना पड़ेगा वरना इसकी जान को बचाना मुश्किल हो जाएगा।  सीमा बहुत परेशान हो गई थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह करें तो क्या करें। सीमा ने सोचा कि इसकी खबर रवि के मां-बाप को दे देती हूं।

सीमा उसी पल रवि के घर पर फोन लगाया,  फोन रवि के पिताजी ने उठाया था। सीमा ने अपने ससुर जी को प्रणाम करते हुए बोला बाबूजी आप लोग जल्दी से मनाली आ जाइए रवि के पिताजी ने बोला क्या हो गया बहू इतना डरी हुई क्यों हो और तुम लोग मनाली में क्या कर रहे हो सीमा ने डरते डरते ही बताया हम लोग कल ही मनाली घूमने के लिए आए थे और रवि का एक्सीडेंट हो गया है और वह हॉस्पिटल में भर्ती है मैं यहां अकेले हूं समझ नहीं आ रहा हूं क्या करूं।

सीमा का फोन रखते ही रवि के पिताजी ने उसकी मां को बोला कि मनाली चलो रवि का एक्सीडेंट हो गया है वह हॉस्पिटल में भर्ती है उन्होंने उसी दिन मनाली के लिए दिल्ली पहुंच कर बस ले लिया था।  मनाली पहुंचते ही हॉस्पिटल में पहुंचे तो दरवाजे पर ही सीमा से मुलाकात हो गई।

सीमा से मुलाकात होते ही रवि के बाबूजी ने सीमा को समझाया बहु हिम्मत मत हारो कुछ नहीं होगा हम लोग आ गए हैं रवि बहुत जल्दी ही ठीक हो जाएगा।  लेकिन रवि की माँ विमला ने सीमा को बहुत ही बुरा भला कहा। उन्होंने सारा आरोप सीमा पर ही लगाने लगी कि सब तुम्हारी वजह से हुआ है ना तुम मेरे बेटे को मनाली घूमने के लिए लेकर आती और ना मेरे बेटे का एक्सीडेंट होता।   शादी अगर बिना कुंडली मिलाएं हो तो कुछ न कुछ बुरा जरूर होता है और देखो मेरे बेटे के साथ क्या हो गया। रवि के बाबूजी ने विमला को समझाया कि इसमें इस बेचारी का क्या दोष है।



हॉस्पिटल में जाते ही नर्स ने आवाज लगाया कि रवि के साथ कौन है।  सीमा दौड़ कर बोली मैं हूं रवि के साथ में हूं उनकी पत्नी सीमा। नर्स ने  सीमा को हिम्मत देते हुए कहा कि सीमा जी हम आपके पति को नहीं बचा सके।

यह खबर सुनते ही सीमा को जैसे लगा उसकी दुनिया ही खत्म हो गई अब तक तो उसे  विश्वास था कि रवि ठीक हो जाएगा। यह बात जैसे ही रवि को मां को पता चला वह भी बेहोश होकर वहीं पर गिर गई।   रवि के बाबूजी ने मुश्किल से सब को संभाला। और अपनी बहू से कहने लगे कि बहू अब तो जो होना था वह हो गया। रवि के बाबूजी भी अंदर से टूट चुके थे लेकिन वह सोच रहे थे कि अगर वह भी अपने आप  को नहीं संभालेंगे तो फिर रवि की पत्नी सीमा और उनकी पत्नी विमला को कौन संभालेगा इसलिए उन्होंने अपने जज्बातों पर काबू किया।

कुछ घंटे बाद रवि का पोस्टमार्टम करने के बाद हॉस्पिटल वालों ने रवि के शरीर को घरवालों को सौंप दिया था।

रवि का दाह संस्कार मनाली में ही करने के बाद सब लोग वापस घर के लिए लौटने लगे।

मनाली से बोलो दिल्ली वापस आए और दिल्ली से ट्रेन पकड़ कर घर जाने लगे।  साथ में सीमा भी उनके साथ घर जाने के लिए तैयार हो गई थी। लेकिन रवि की मां ने कहा कि तुम कहां जा रही हो तुमने तो हमारा बेटे को खा ही गई अब क्या चाहती हो कि हमारे दूसरे बेटे को भी खा जाओ और गांव में जाकर हमारी बदनामी करवाओ।  मैं नहीं तुमको अपने साथ ले जाना चाहती हूं अब हमारा तुमसे कोई रिश्ता नहीं रहा जब बेटा ही हमारा नहीं रहा तो फिर तुमसे हमारा कौन सा रिश्ता है। सीमा बोली मां जी ऐसी मत बोलो रवि मेरा पति थे और उस नाते आप लोग मेरे मां बाबूजी हुए। अब आप ही बताइए कि मैं अब कहां जाऊं।  रवि की मां ने साफ-साफ बोल दिया था मुझे नहीं पता तुम कहां जाओगी। लेकिन हमारे साथ तुम गांव नहीं जाओगी।



रवि के बाबूजी ने विमला को समझाया कि विमला अपना गुस्सा थूको और जो सच है उसका सामना करो आखिर में सीमा है तो हमारी बहू ही अब बेचारी ये  कहां जाएगी तुम ही बताओ। रवि के बाबूजी के समझाने पर विमला जी सीमा को घर ले जाने के लिए तैयार हो गई थी।

सीमा घर तो आ गई थी लेकिन उसे घर में कोई भी सही से बात नहीं करता था ना ही सीमा की ननंद रूबी और ना ही सीमा की देवर मिथलेश।  विमला जी तो दिन भर उसे हर बात के लिए सुनाती रहती थी। वह तो रवि के बाबूजी थे जो सीमा को हमेशा जब भी अकेले में मिलती हिम्मत देते रहते थे बेटी हिम्मत मत हारो कभी ना कभी तो तुम्हें यह लोग स्वीकार करेंगे ही।

इस घर में सीमा की हालत एक नौकरानी की हो गई थी पूरे दिन घर का सारा काम सीमा ही करती थी।

 

एक दिन  सीमा के सास ननंद और ससुर बगल के ही गांव में एक रिश्तेदार के शादी में गए हुए थे।  घर में कोई नहीं था बस सीमा और उसका देवर मिथलेश था। सीमा देखने में तो बला की खूबसूरत थी ही इसी  खूबसूरती के कारण तो रवि उस पर मोहित हो गया था और उसे अपना दिल दे बैठा था।

सीमा जब से इस घर में आई थी मिथलेश उसे हमेशा घूर घूर के अपनी गंदी नजरों से देखा करता था लेकिन उसे मौका नहीं मिलता था कि वह कुछ सीमा के साथ कर सके।  उस दिन मिथिलेश को यह बात पता था कि घर के सारे लोग अब कल सुबह ही आएंगे इसलिए वह आज बाहर से शराब पीकर आया था।



रात में खाना खाने के बाद जैसे ही सीमा अपने कमरे में सोने चली गई कुछ देर के बाद मिथलेश ने सीमा के कमरे का कुंडी खटखटाया।  सीमा बोली कौन मिथलेश बोला भाभी दरवाजा खोलो मैं हूं। सीमा ने दरवाजा खोल दिया । दरवाजा खोलते ही मिथलेश ने सीमा को अपने बाहों में भर लिया और कहने लगा भाभी आप इतनी खूबसूरत हो और जवान भी आज घर में भी कोई नहीं है किसी को पता भी नहीं चलेगा चलो आ जाओ।

सीमा मिथलेश  से अपने आप को छुड़ाकर कमरे से बाहर निकल गई और मिथलेश को कहने लगी कि आपको शर्म नहीं आती कि मैं आपकी भाभी हूं और भाभी मां समान होती है कोई अपनी भाभी के बारे में ऐसा सोचता है क्या।  लेकिन मिथलेश को तो शराब का नशा चढ़ा हुआ था उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। आखिर सीमा की एक भी ना चली और मिथलेश ने जबरदस्ती अपने हवस का शिकार बना दिया।

मिथलेश उसके बाद वहां से बाहर चला गया लेकिन सीमा उसी जगह पर नग्न अवस्था में अपना सुध बुध खोए वैसे ही पड़ी रही कब सुबह हो गया उसे पता भी नहीं चला।  मन में बस यही सोच रही थी कि आज रवि जिंदा होता तो मेरी हालत ऐसी नहीं होती।

सुबह होते ही उसके सास-ससुर और ननद घर में आए और घर में घुसते ही सीमा को नग्न अवस्था में  बैठा पाया। वह समझ नहीं पा रहे थे कि क्या हो गया है। रवि की मां सीमा को पकड़कर पूछ रही थी सीमा क्या हो गया है तुम्हें ऐसी क्यों बैठी हो और तुमने दरवाजा भी खुला छोड़ा हुआ है।  सीमा कुछ नहीं बोल रही थी बस चुपचाप बैठी थी। तभी सीमा की ननद ने भी पूछा भाभी क्या हुआ बताओ तो। कुछ देर बाद सीमा अपने सास से गले लिपटकर खूब जोर जोर से रोना शुरू कर दिया अब मैं जीना नहीं चाहती हूं मैं मरना चाहती हूं।  उसकी रोई सुन विमला जी को भी उस पर दया आ गई उसने बोला सीमा बता तो तुझे क्या हुआ है तू क्यों इतना रो रही है मेरी बच्ची और ऐसी हालत क्यों बना रखी है। रोते रोते सीमा ने बता दिया था कि उसके साथ मिथलेश ने रेप किया है।



यह बात सुनते ही रवि के मां के होश ही उड़ गए कि मिथलेश ऐसा कैसे कर सकता है उन्हें तो विश्वास ही नहीं हो रहा था लेकिन जो आंखों के सामने था उसे झूठलाया भी नहीं जा सकता था।  तभी मिथलेश घर में प्रवेश किया रवि की मां ने मिथलेश को पकड़कर पास में ही एक डंडा था और मारना शुरू कर दिया। तुमने हमारे संस्कारों का यह सिला दिया तुमने यह भी फर्क नहीं किया कि तुम्हारी सीमा भाभी लगती  है और तुमने उसके साथ इतना घिनौना काम किया।

मिथलेश अपनी मां से माफी मांगते हुए कहा मां मुझे माफ कर दो कल मैं ज्यादा शराब पी लिया था और मैं उस नशे में बहक गया था।  रवि की मां मिथलेश को मारी जा रही थी और कह रही थी कि नशे में तुम्हें क्या यह भी पता नहीं चलेगा कि कौन तुम्हारी भाभी है और कौन तुम्हारी बहन आज मैं तुम्हें नहीं छोडूंगी मैं तुम्हें पुलिस में भेजकर रहूंगी।  मैं माना कि सीमा को अपने बेटे का मौत का दोषी मानती हूं। इसका मतलब यह नहीं है कि कोई सीमा से आकर जो मर्जी करे और मैं चुप हो जाऊंगी तुमने सोचा होगा कि सीमा को तो कोई मानता नहीं है मैं जो भी करूं मां कुछ करेगी नहीं लेकिन ऐसा नहीं है।  तुम्हारे जैसे राक्षस की मां होने से अच्छा है कि बिन बेटे की रहूँ।

रवि की मां ने अपनी बेटी को बोला कि अभी 100 नंबर पर फोन करके पुलिस को बुलाओ मुझे मिथलेश  को अभी जेल भिजवाना है।

जैसे ही सीमा की ननद ने फोन लगाना शुरू किया सीमा ने फोन काट कर कहा माँ जी  जाने दो माफ कर दो क्योंकि इसमें हमारे घर की ही बदनामी होगी। सीमा की सास ने कहा कि नहीं बेटी नहीं इस राक्षस को बाहर नहीं रहने दूंगी। मिथलेश भी माफी मांग रहा था कि मां मुझे माफ कर दो आज के बाद ऐसी गलती कभी नहीं होगी वह सीमा के  भी पैरों में जाकर गिर पड़ा की भाभी प्लीज मां को समझाओ आज के बाद मैं तुम्हारी तरफ कभी देखूंगा भी नहीं। अंत में सीमा के समझाने के बाद सीमा की सास मान गई।



1 महीने के बाद पता चला कि सीमा गर्भवती है यह खबर सुनकर सीमा की सास की तो होश ही उड़ गई अब करें तो क्या करें। सीमा की सास ने सोचा कि अबॉर्शन करवा देते हैं यही सही रहेगा नहीं तो कितनी बदनामी होगी समाज में कि विधवा बहू ने बच्चे को कैसे जन्म दे दिया।  यह बात उन्होंने सीमा के ससुर को बताया कि सीमा प्रेग्नेंट है बताओ क्या करा जाए। सीमा की सास ने जब अबॉर्शन के बाद अपने हस्बैंड यानी सीमा के ससुर से बताई तो उन्होंने साफ मना कर दिया अबॉर्शन कराने से उन्होंने बोला यह हमारे घर का चिराग है और हम इस चिराग को बुझने नहीं देंगे।  सीमा की सास ने कहा तो क्या इसे हम जन्म देकर अपने समाज में जग हंसाई कर ले। सीमा के ससुर ने कहा नहीं इसका भी हल है हमारे पास किसी को कुछ कानो कान खबर भी नहीं लगेगा और समस्या का समाधान भी हो जाएगा।

सीमा की सास ने कहा कैसे ?  तो सीमा के ससुर ने कहा मिथलेश और सीमा की शादी हम करा देते हैं इसे सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगा।  और सीमा को भी एक नई जिंदगी मिल जाएगी आखिर वह अकेले अपनी जिंदगी कब तक काटेगी। सीमा की सास ने कहा कि मिथलेश क्या तैयार होगा यह शादी करने के लिए।  सीमा के ससुर बोले तैयार क्यों नहीं होगा क्योंकि सारा दोष उसी का है आज अगर उसने बहू के साथ घिनौनी हरकत ही नहीं किया होता तो यह नौबत आती ही नहीं अब अगर उसने गलती की है तो सजा तो भुगतना पड़ेगा ही।

जब यह बात मिथलेश को पता चला कि सीमा प्रेग्नेंट हो गई है और उसके घरवाले सीमा से उसकी शादी कराना चाहते हैं।  मिथलेश एक पल में शादी के लिए तैयार हो गया था क्योंकि वह भी अपनी गलती को एक्सेप्ट कर चुका था और वह अपना प्रायश्चित करना चाहता था।



कुछ दिनों के बाद सीमा और मिथलेश की एक मंदिर में रीति रिवाज से शादी कर दिया गया था। सुहागरात के दिन जब मिथलेश सीमा के कमरे में गया तो सबसे पहले वह सीमा से माफी मांगने लगा कि सीमा मुझे माफ कर दो मुझे पता है इस गलती की सजा माफी नहीं है लेकिन फिर भी मैं चाहूंगा कि मुझे माफ कर दो और हम मिलकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करें।

मिथलेश बोला सीमा एक बात कहूं मैं चाहता हूं कि अगर तुम्हारा पेट से बेटा पैदा हो तो उसका नाम भैया के नाम पर रवि रखा जाएगा जिस वजह से तुम्हें भी भैया की कभी याद नहीं  आएगी। क्या हो गया सीमा क्या तुम मुझे अब तक नाराज हो क्या माफ नहीं करोगी मुझे।

मुझे पता है कि मैंने बहुत बड़ी गलती की है और तुमने जो किया उससे बड़ा उपकार कोई नहीं होगा नहीं तो तुम चाहती तो आज मैं सलाखों के पीछे होता लेकिन तुमने हमारी और अपने परिवार की इज्जत बचा लिया।

सीमा बिल्कुल ही चुप थी वह कुछ भी नहीं बोल रही थी मिथलेश ने उसका हाथ पकड़ कर बोला सीमा प्लीज मुझे माफ कर दो।  मिथलेश बोला अगर नहीं माफ करोगी तो ठीक है मैं जा रहा हूं फिर। जैसे ही मिथलेश जाने को हुआ सीमा ने मिथलेश का हाथ पकड़ लिया मिथलेश समझ चुका था कि सीमा ने उसे माफ कर दिया है।

उस दिन के बाद से सीमा के जिंदगी में भी उजाला हो गया था मिथलेश सीमा को बहुत ज्यादा ही प्यार करता था कुछ दिनों के बाद सीमा भी अपनी पुरानी जिंदगी भूल चुकी थी अब ऐसा लगता था कि उसके जीवन में कभी दुख भरे दिन आए ही नहीं थे सब खुश आकर रहने लगे थे समय के साथ ही सीमा को लड़का ही पैदा हुआ और उसका नाम रवि रखा गया।

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