पत्नी / प्रेमिका.. – Moral Story In Hindi

गुंजन प्यारी सी शोख चंचल और मस्त सी लड़की.. छोटी सी गुड़िया जैसी बिटिया को देख कर दादी कहती इसके लिए चांद सा दुल्हा लायेंगे.. गुंजन खिलखिलाते हुए दादी की गोद में छुप जाती.. अम्मा के होठों पर मुस्कान और आंखों में एक खूबसूरत ख्वाब मचल जाता.. थोड़ी बड़ी हुई गुंजन.. सखियां आपस में एक दूसरे के साथ भावी जीवनसाथी को लेकर हंसी ठिठोली करती.. दोनो हथेलियों को जोड़कर देखती किसकी हथेली में चांद कितना अच्छा बन रहा है.. उसका दुल्हा चांद सा होगा.. गुंजन की हथेली मिलाने पर बहुत सुंदर चांद बन जाता था तब सहेलियां उसे छेड़ती…

और फिर देखते देखते एक दिन गुंजन चांद से दूल्हे की दुल्हन बन कर ससुराल आ गई.. प्रवीण को देखने के बाद गुंजन को अपनी दादी और सहेलियों की बातें याद आने लगी.. गुंजन को अपने भाग्य पर नाज होने लगा…

पर कहते हैं चांद में दाग होता है…

प्रवीण ने पहली रात को गुंजन से कहा मैं तुमको अंधेरे में नही रखना चाहता मैं किसी और से प्यार करता हूं.. तुम्हे इस घर में सारे अधिकार मिलेंगे जो एक बहु को मिलना चाहिए … गुंजन पल भर के लिए होश हवास खो बैठी, जैसे उसके पांव तले जमीन खिसक गई हो…

फिर अपने आप को संभाला और पूछा शादी क्यों की आपने? प्रवीण बोला क्योंकि सोनाली को शादी की जल्दी नही है पहले अपने कैरियर पर पूरा ध्यान देना चाहती है .. दो से तीन साल के बाद शादी करेगी … और उसे परिवार के बंधन में रहना पसंद नही.. और मैं अपना खानदानी व्यापार संभाल रहा हूं.. पापा चाहते हैं मैं पूरी जिम्मेदारी धीरे धीरे संभाल लूं.. पूनम की शादी के बाद पापा अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होकर कुछ समय गांव में बिताना चाहते हैं..

और ये थी गुंजन की पति के साथ पहली रात! जिसका सपना उसकी कुंवारी आंखों ने कब से संजो के रखा था..




कितनी विकट स्थिति थी.. प्रवीण की प्रेमिका उसी शहर में है.. कैसे क्या करूं… गुंजन कशमकश में थी.. किससे कहती अम्मा बाबूजी से.. कितने दुःखी और परेशान हो जाते दादी तो जीते जी मर जायेगी.. नही ये मेरी अपनी लड़ाई है मैं खुद लडूंगी.. आज वक्त इतना बदल चुका है कि गुंजन की जगह कोई और लड़की होती प्रवीण को छोड़ कर चली जाती या फिर रोज कलह लड़ाई झगड़े होते स्थिति दोनो परिवारों की नारकीय और हास्यपद हो जाती.. पर गुंजन की सोच थोड़ी अलग थी.. प्रवीण और गुंजन एक हीं कमरे में रात बिताते.. प्रवीण काउच पर सोता और गुंजन पलंग पर.. दिन भर हंसने मुस्कुराने का अभिनय करते करते थक जाती तो रात में आंसुओं के सैलाब से तकिया गीला कर देती.. वो भी खामोशी से क्योंकि प्रवीण उसी कमरे में गहरी नींद में सो रहा होता.. सोचती काश किसी सुबह आंखें खोलती तो खुद को प्रवीण की बाहों में पाती…

गुंजन पूरे परिवार में अपनी जगह बहुत जल्दी बना ली.. सास ससुर ननद सब की चहेती बन गई थी.. नही बन पाई थी तो अपने पति की प्रिया… शनिवार और रविवार की शाम को अक्सर प्रवीण सोनाली के साथ कभी मूवी तो कभी मॉल कभी कहीं चला जाता.. जब गुंजन को बताता रात देर से आऊंगा तुम जानती हीं हो मेरा शनिवार और रविवार सोनाली के लिए हीं बुक रहता है क्योंकि उस दिन सोनाली का ऑफिस बंद रहता तो लगता उसके जख्मों पर जैसे प्रवीण ने नमक छिड़क दिया हो .. अनकहे दर्द से बिलबिला उठती गुंजन….घर में सबको पता था पर जवान बेटे के साथ क्या करे समझ नही पाते.. गुंजन को देखकर अपराधबोध से भर जाते… सास गुंजन को छाती से लगा कर अक्सर रोने लगती आशीर्वाद देती बेटी तेरी निः स्वार्थ तपस्या मेरा आशिर्वाद एक दिन जरूर रंग लायेगा.. मैं एक बेटी की मां हूं तेरा दर्द समझ सकती हूं..

ननद पूनम की शादी खूब धूम धाम से संपन्न हो गई.. मेहमानों ने जी खोलकर गुंजन की तारीफ की, कितनी सुघड़ता से सब कुछ संभाल लिया है.. रूप और गुण दोनो भगवान ने भरपूर दिया है.. गुंजन मन हीं मन बोल उठी किस्मत के मामले में भगवान कंजूसी कर दिए…

गुंजन अब प्रवीण के व्यापार में भी सहायता करने लगी.. कॉमर्स की स्टूडेंट थी.. सारे अकाउंट्स देखती…

गुंजन प्रवीण मे आए बदलाव को महसूस कर रही थी.. और ये बदलाव उसके उम्मीदों को जवां कर रहे थे .. शायद कुछ अच्छा होने वालाहै…उसी के ये संकेत हैं या मेरा भरम .. गुंजन सोच रही थी शादी के दो साल हो चुके हैं… कल मेरा जन्मदिन है मुझे याद भी नहीं था वो तो पूनम के ऑनलाइन मिले गिफ्ट ने याद दिला दिया..




रोज की तरह तकिया लेकर पलंग पर लेट गई गुंजन.. प्रवीण अभी तक नही आया…

और ठीक बारह बजे प्रवीण हैप्पी बर्थडे गाते हुए गुंजन के पास आया माथे पर चुम्बन लिया.. और गुंजन अवाक निः शब्द… ये साड़ी पहन के आओ फिर हम दोनो केक काटेंगे मिलकर.. गुंजन के जैसे पर लग गए थे हवा में उड़ रही थी…

दोनों ने एक साथ केक काटा… गुंजन को गोद में उठाए प्रवीण उसे पलंग पर बैठा दिया आज से हम दोनो यहां सोएंगे.. जिंदगी की नई शुरुआत करेंगे.. और तुम्हारी माफी पाने के लिए हर सजा भुगतने के लिए तैयार हूं.. तुम्हारी इजाजत हो तो कल हमलोग हनीमून और जन्मदिन दोनो गोवा में मनाएंगे..मैने तुम्हारी इजाजत के बिना फ्लाइट के टिकट और होटल बुक कर लिए हैं..प्रवीण ने हाथ बढ़ाया गुंजन प्रवीण के बाहों में सिमट गई आंसू बह रहे थे पर खुशी के .. सब्र दुआ आशीर्वाद आज अपना रंग दिखा रहे थे..प्रवीण हमेशा के लिए सोनाली से रिश्ता खत्म कर वापस लौट आया था ..और गुंजन को आज पूरा बेदाग चांद मिल गया था..

वीणा सिंह

#दाग

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