मान मर्यादा – Moral Story In Hindi

क्यूँ इतना आक्रोशित हो रहे हो जवान बेटे पर जी…..ऐसा भी क्या कर दिया उसने…जात बिरादरी के बाहर की लड़की से ब्याह करना चाहता हैँ तो कर  दीजिये ना ….जहां बच्चें की ख़ुशी ,वहाँ हमारी ….वो तो हमारा रितेश इतना सीधा हैँ जो आपके इतने

 थप्पड़ बिना कुछ कहे खा गया …कोई और होता तो आपका हाथ पकड़ लेता और दस बातें और सुनाता …फिर आपकी क्या इज्जत  रह जाती समाज के सामने बताईये ….मैं तो इसलिये कुछ नहीं बोली कि आप ज्यादा क्रोध में ना आ जायें मैं भी रितेश का साथ देने लगी तो  …ठंडे दिमाग से सोचिये …अगर एकलौता बेटा हाथ से निकल गया तो क्या कर लेंगे …

तो क्या करूँ वीना ,वो जो कर रहा हैँ करने दूँ…मेरी मान मर्यादा सबको मिट्टी  में मिलाने पर तुला हैँ…कहां हम इतने रईस ,जात से पंडित ,और वो क्या नाम बताया था उसने उस लड़की का दिप्ती  ,यहीं ना शायद…वो कुलीन परिवार की ,बाप ज़िसका फल की ठेल लगाता हैँ….ओह मेरा तो सोच सोचकर सर ना फट जायें…मैं अपने  जीते जी तो ऐसा नहीं कर सकता…य़ा तो तू मुझे गोली मार दें वीना या मैं खुद ही आत्महत्या कर लूँ…..

ए जी ,,पागल हो गये हो क्या …कैसी बहकी बहकी बातें कर रहे हो ….देखा था वो शर्मा जी भी ऐसे ही तुम्हारी तरह अपनी बात, अपनी शान पर अड़े थे …क्या हुआ उनका बेटा मोनू  एक बार घर से निकला तो कभी लौटकर वापस नहीं आया …पूरे जीवन तरसते रहे शर्मा जी और भाभी जी बेटे को  एक नजर देखने को…अंत समय भी दोनों की निगाह दरवाजें पर ही टिकी रही ….पर नहीं आया मोनू….दाह संस्कार भी बेटे के हाथ नसीब नहीं हुआ….मैं नहीं चाहती जी हमारे साथ ऐसा हो…जमाना बहुत बदल गया हैँ….अब सब शादियां ऐसी ही हो रही हैँ…बस लड़का लड़की राजी हो ..और खुश रहे एक दूसरे के साथ …अपने  मोहल्ले में ही देख लो…लगभग हर घर में किसी ना किसी ने प्रेम विवाह ही किया  है …..

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तब तक बेटा रितेश भी आ गया ….पापा ,माँ आप लोग वैसे ही बिमार रहते हो….इतना मत सोचिये….मैं नहीं ला रहा दिप्ती को अपने घर …उसकी शादी कहीं और तय हो गयी हैँ…वो अबसे मुझसे बात नहीं करेगी…आप देख लिजियेगा मेरे लिए कोई पंडित लड़की…रुआंसा सा रितेश इतनी बात बोल अपने कमरे में चला गया …अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया….

रितेश के पापा कमल जी और माँ वीना जी एक दूसरे को देखने लगे …लीजिये हो गयी आपके मन की अब तो खुश……वीना जी बोली…

मेरा  बेटा खुश नहीं हैँ वीना…तुम्हारे पास उस लड़की दिप्ती का नंबर हैँ ?? 

क्यूँ  जी क्या करेंगे ?? 

बस बताओ हैँ कि नहीं….

जी हैँ ,कभी कभी रितेश मेरे फ़ोन से भी बात कर लेता है उससे…पर आप क्या करेंगे…जब सारी बात खत्म हो गयी तो …

बात खत्म नहीं हुई हैँ वीना…बस मुझे नंबर दो…

कमलजी ने दिप्ती को फ़ोन लगाया …उससे कहा,बेटा मैं रितेश का पापा बोल रहा हूँ …अगर तुम मेरी थोड़ी भी  इज्जत करती हो तो  एक बार हमारे घर आओ य़ा कहीं बाहर मैं और वीना तुमसे मिलना चाहते हैँ ,कुछ बात करना चाहते हैँ…

हिचकिचाती हुई दिप्ती ने बाहर मिलने की हामी भर दी ..

निर्धारित समय पर कमलजी और वीनाजी पहुँच गए…दिप्ती भी कुछ देर बाद आ गयी ….पतले दुबले शरीर की ,सांवला रंग ,हल्के गुलाबी रंग का सूट पहने ,पीछे कोलेज बैग टांगे….बहुत ही प्यारी ,मासूम सी लग रही थी …

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उसने दोनों को नमस्ते किया …कमल जी ने उसे बैठने को कहा…

इससे  पहले कमलजी कुछ बोलते दिप्ती दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगने लगी उनसे…अंकल आंटी वैरी सोरी ,मेरी वजह से आपके घर में बहुत झगड़ा हुआ…रितेश ने भी पता नहीं क्या क्या भला बुरा कह दिया होगा आपको….

वो सब तो ठीक हैँ…पर ये बताओ बेटा आप कि अभी तक आप और रितेश एक दूसरे से शादी करना चाहते थे …पर अब अचानक से तुमने ऐसा क्यूँ कहा कि तुम्हारी शादी तय हो गयी हैँ ,क्या ये बात सच हैँ ?? कमल जी बोले….

तुम्हे  रितेश की कसम बेटा ,सच सच बोलना…वीना जी बोली….




अंकल आंटी ,मुझे समझ आ गया है कि रितेश और मैं एक दूसरे के लिये नहीं बने ….आप लोग पैसे रूपये ,प्रतिष्ठा ,जात सबमें हमसे बड़े हैँ…अभी तक मेरे पापा मेरा गुरूर थे पर 15 दिन पहले वो भी चले गए  …अब मैं अनाथ हो गयी अंकल आंटी ,अब मेरी शादी कौन करता इसलिये रितेश से झूठ बोल दिया ..मुझे पता है सब मिल ज़ाता हैँ पर माँ बाप नहीं मिलते…वो मेरी वजह से आप लोगों से दूर हो जायें और आप लोगों की समाज में इज्जत कम हो जायें ऐसा नहीं चाहती मैं….इतना बोलते बोलते दिप्ती रोने लगी….

वीना जी ने उसे सींने से चिपका लिया ..

मेरे रितेश ने हीरा ढूंढ़ा हैँ हीरा…हम भी ऐसी सुलझी हुई ,समझदार लड़की ना खोज पाते उसके लिए …नाज हैँ मुझे बेटा तुम पर….

तुम ही हमारे घर की बहू बनोगी …कल आयेंगे हम तुम्हारी माँ से मिलने…इतना बोल कमल जी ने दिप्ती के सर पर हाथ रख दिया….

और हां रितेश से बात कर ले बेटा….वो मुर्झा गया हैँ तेरे बिना…बिल्कुल चेहरा लटक गया हैँ मेरे बेटे का …समझी …वीना जी धीरे से दिप्ती से बोली…

दिप्ती शर्मा गयी …दोनों के पैर छू मन में नयी उमंगे लिए चली गयी …

#आक्रोश 

स्वरचित 

मौलिक अप्रकाशित 

मीनाक्षी सिंह 

आगरा

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