किसी के चेहरे पर मुस्कान लाकर तो देखो

मैं और मेरे पति रोहित हम दोनों दिल्ली के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में डॉक्टर हैं।  हम दोनों एक ही मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे और वहीं से हम दोनों में दोस्ती हुई और यह दोस्ती प्यार में बदल गई।  आज हमारी शादी के 20 साल से भी ज्यादा हो गए हैं। लेकिन हम लोग जिंदगी को ऐसे जीते हैं जैसे अभी कल ही तो हमारी शादी हुई हो।  हमारे बच्चे भी हमें देखकर यही कहते हैं कि मम्मी-पापा आप लोग बिल्कुल है आज के जनरेशन के कपल की तरह रहते हो।

वैसे तो हॉस्पिटल में हमारे और रोहित की ड्यूटी का टाइम अलग अलग होता है  लेकिन कभी-कभी सेम टाइम पर भी हो जाता है, आज भी वैसे ही था तो रोहित बोला, “मेरे साथ ही  कार में चल चलो।” मैंने रोहित से बोला, “हां सही कह रहे हो।” मैं और रोहित दोनों साथ हॉस्पिटल जाने के लिए कार से निकल पड़े, हमारी कार एक लाल बत्ती पर खड़ी थी,  लाल बत्ती पर ही एक 10-12 साल का मासूम सा बच्चा हाथों में टेडी बीयर लेकर बेच रहा था।

वह लड़का  हमारे कार के खिड़की के पास आ गया और अपना टेडी बेयर खरीदने के लिए इशारे करने लगा । थोड़ी देर बाद मैंने खिड़की खोली और लड़के से पूछी कितने में दे रहे हो तो लड़का बोला, “मैडम ₹100  मे 2 बेच रहा हूं। उसके बाद मैं चुप हो गई थोड़ी देर बाद मेरे पति ने बोला ₹100 के 3 दोगे। लड़के ने जवाब दिया नहीं साहब इतना मुनाफा कहां है अब तो मुझे जल्दी आज घर जाना है इस वजह से मैं जल्दी बेच कर जाना चाहता हूं वरना ₹75 के एक बेचता हूं।



तब तक बती  हरी हो गई और हम वहां से जाने लगे लड़का हमारे पीछे दौड़ा और चिल्लाने लगा साहब ले लो ₹100 के तीन दे दूंगा।  हमें हॉस्पिटल जाने की जल्दी थी इसलिए हम गाड़ी रोक नहीं रहे थे, लेकिन हमने देखा कि वह बच्चा हमारे पीछे पीछे काफी दूर भाग रहा था  और आवाज दे रहा था साहब ले लो ₹100 में 3 ले लो फिर थोड़ी देर के बाद आवाज आई कि साहब 100 मे चार ले लो। मैंने रोहित को कार रोकने को कहा और तब तक  वह लड़का आया उसके बाद मैंने अपने पास से ₹100 निकाले और उससे दो टेडी बेयर ले लिया और वह दो और भी देने लगा मैंने बोला नहीं यह तो किसी और को बेच देना।  मेरे पति बोलने लगे तुम भी कितनी बेवकूफ हो जब वह 100 में 4 दे रहा था तो तुम्हें लेने में क्या जा रहा था वह घर से थोड़ी दे रहा था। मैने रोहित से कहा रोहित तुम तो बड़े घर से हो ना तुम्हें क्या पता किसी की मजबूरी।  आज मैं भले डॉक्टर हूं और तुमसे मेरी शादी हुई है लेकिन बचपन में हमने जो दिन देखे हैं जो आज भी याद है।

आज तक मैंने रोहित से अपने परिवार के बारे में कभी कुछ नहीं बताया था और ना ही पिछली जिंदगी के बारे में कि हम कैसे रहते थे लेकिन आज जब रोहित ने कहा तो मैंने बताना शुरू किया है।

रोहित एक बार की बात है।  हम जब गांव में रहते थे तो हमारे पास गांव में सिर्फ रहने को एक घर था और मेरे पापा  एक गाय पाला करते थे और वह जो दूध देती थी उसी के दूध बेचकर हमारे घर का खर्चा चलता  था। सुबह सुबह दूध निकालकर पापा पास के शहर में घर घर जाकर दूध बेच देते थे। एक दिन जब दूध बेचकर आ रहे थे तो पापा के पैर से लगातार खून निकल रहा था हम सब ने पापा से पूछा कि पापा इतना खून कैसे निकल रहा है तो पापा ने बताया कि रास्ते में आते वक्त एक कांच धंस गया।  पापा को माँ ने कितनी बार बोला था कि आप अपने लिए एक हवाई चप्पल खरीद लो । लेकिन पापा हमारी जरूरतों के आगे अपनी जरूरतों का ध्यान ही नहीं रखते थे।



पापा के पैरों में दर्द इतना बढ़ गया था कि अगले दिन वह दूध बेचने के लिए जा ही नहीं सके।  अगले दिन कैसे भी करके मां उधार में घर का सामान खरीद ले आई, आज तो दूध बिका ही नहीं तो पैसे कहां से आते। अगले दिन भी पापा के पैरों में अभी भी ताकत नहीं थी चल पाने की क्योंकि खून बहुत ज्यादा ही निकल गया था लेकिन पापा फिर भी मां से बोले डब्बे में दूध निकाल कर दे दो नहीं तो परिवार कैसे चलेगा बेचने नहीं जाऊंगा तो।  मुझसे पापा की हालत देखी नहीं गई और मैंने पापा से बोला पापा आप यहीं पर रहो मैं आज दूध बेचने जाऊंगी। दूध बेचने तो मैं शहर चली गई लेकिन मेरा दूध बिक नहीं रहा था मैं कई गली गली घूम कर आ गई कोई भी मेरा दूध नहीं ले रहा था। फिर मैंने दूध बाजार के भाव से ₹5 लीटर सस्ता भेजना शुरू कर दी उसके बाद मेरा सारा दूध बिक गया। क्योंकि हमें पैसे की बहुत जरूरत है अगर आज भी दूध नहीं बिकता तो हमारे घर में शाम को खाना भी नहीं बन पाता।

रोहित कहने का मेरा मतलब यह है कि जरूरी नहीं है कोई अगर सस्ता बेच रहा है तो वह उसमें मुनाफा कमा रहा हो मजबूरी ऐसा चीज है कि इंसान को कई बार अपना सामान सस्ता में भी बेचना पड़ जाता है।  क्या पता इस बच्चे की भी कोई ना कोई मजबूरी हो।

मैं जब भी उस रास्ते से गुजरती थी अगर वह बच्चा मुझे बत्ती पर टेडी बियर बेचता मिल जाता था और मैं उससे एक टेडी बेयर जरूर खरीदती थी और उस टेडी बियर को हॉस्पिटल में किसी बच्चे को दे देती थी।  इस काम से मुझे जो सुकून मिलता था इसका एहसास सिर्फ मुझे ही है आप भी ऐसा करके देखिए किसी के चेहरे पर मुस्कान लाना उस से बढ़कर दुनिया में कोई काम हो ही नहीं सकता।

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