बेटा भी बहू के साथ घर के काम मे हाथ बटाए इसमें बुरा क्या है।

मिसेज गुप्ता घर-घर जाकर मिठाई का डब्बा बांट रही थी क्योंकि उनके बेटा राजीव का मेडिकल की परीक्षा  में पूरे भारत में नंबर वन रैंक आया है। गुप्ता परिवार के लिए यह बहुत बड़ी बात थी। मेडिकल की पढ़ाई के बाद उनका बेटा राजीव को दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में नौकरी हो गई।  अब मिसेज गुप्ता जल्दी से अपने बेटे की शादी कर देना चाहती थी इसके लिए उन्होंने अपने बेटे के लिए बहु ढूंढना शुरू कर दिया था अपने सारे रिश्तेदारों और मित्रों से अपने बेटे राजीव की शादी के लिए कह दिया था कि कोई अच्छा लड़की हो जो घरेलू और संस्कारी हो अपने बेटे राजीव की शादी कर देगी।  करते करते 5 साल बीत गए लेकिन कोई भी लड़की मिसेज गुप्ता को अपने बेटे के पत्नी बनने लायक नहीं दिखी।

इधर राजीव भी एम्स  के एक डॉक्टर, डॉक्टर नम्रता से प्यार कर बैठा था और नम्रता से ही शादी करना चाहता था लेकिन राजीव में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह अपनी मां से इस बारे में बात कर सके।  एक दिन संडे का दिन था राजीव ने नम्रता को अपने घर खाने पर बुलाया।

नम्रता के जाने के बाद राजीव ने अपनी मां से कहा मां तुम्हें नम्रता कैसी लगी।  राजीव की मां ने कहा लड़की तो अच्छी लगी काफी संस्कारी थी ऐसे ही तो मैं तुम्हारे लिए बहुत ढूंढ रही हूं लेकिन मिल ही नहीं रही है।  राजीव ने कहा मां अगर नम्रता से मेरी शादी हो जाए तो कैसा रहेगा।



मिसेज गुप्ता ने कहा ऐसे कैसे शादी हो जाएगा शादी कोई क्या गुड्डे गुड़ियों का खेल है सबसे पहले तो लड़की हमारी बिरादरी की होनी चाहिए और फिर वह हमारे स्टेटस से मेल भी खाना चाहिए और बिना कुंडली मिलाएं तो मैं शादी करूंगी ही नहीं अगर इन सारी शर्तों पर फिट बैठे तो फिर मैं तुम्हारी शादी उस लड़की से करा दूंगी।

राजीव ने कहा ठीक है माँ मैं नम्रता से बोल दूंगा उसके माता-पिता आकर तुमसे बात कर लेंगे।

अगले दिन राजीव  ने नम्रता से जा कर बोला  कि जब तक कुंडली नहीं मिलेगा तब तक हमारी शादी नहीं हो सकती है।  नम्रता ने कहा यार कहां तुम भी इन पचड़ो में फंसते हो मेरी तो कोई कुंडली  ही नहीं बनी है मेरे माता-पिता ने भी कुंडली बनवाया ही नहीं फिर शादी कैसे होगा।   राजीव ने कहा इसकी चिंता मत करो मैं एक पंडित को जानता हूं जो नकली कुंडली बना देगा।

राजू ने नकली कुंडली बनवा कर  नम्रता को दे दिया था कुछ दिन के बाद नम्रता के माता पिता ने अपनी बेटी की शादी की बात करने  राजीव के घर गए। जब मिसेज गुप्ता ने नम्रता की कुंडली राजीव से मिलाया तो 36 के 36 गुण मिल रहे थे, वह तो मिलना ही था जब कुंडली  ही नकली बनवाया गया हो तो गुण तो मिलेंगे ही।

फिर क्या था कुछ महीनों में ही राजीव और नम्रता की शादी हो गई। राजीव और नम्रता दोनों एक दूसरे को  बहुत प्यार करते थे तो बड़े प्यार से ही घर में भी रहते थे। नम्रता भले ही जॉब करती थी लेकिन उसे घर के काम करने में कोई एतराज नहीं था और सुबह शाम खाना खुद ही बनाती थी। अपने बहू की  व्यवहार से मिसेज गुप्ता भी खुश रहती थी और अपने बहू की तारीफ सब जगह करते रहती थी।

शादी के एक साल बाद नम्रता अब मां बनने वाली थी।  नम्रता ने हॉस्पिटल से मैटरनिटी लीव ले लिया था।



नम्रता को  ज्यादा मेहनत ना करना पड़े इसलिए किचन में भी राजीव नम्रता की हेल्प करवा देता था।  मिसेज गुप्ता कई दिनों से यह चीज देख रही थी, एक दिन जब राजीव हॉस्पिटल चला गया, मिसेज गुप्ता ने बड़ी शालीनता से अपनी बहू से कहा।  बहुत तुम्हें शर्म नहीं आती है बेटे से किचन में काम करवाते हुए। तुमसे नहीं होता है तो भले मत करो हम किसी बाई को रख लेंगे काम करने के लिए लेकिन यह अच्छा लगता है की मर्द काम करे।

यह हमारे घर का रिवाज नहीं है जो आदमी किचन में जाकर खाना बनाए।  पूरे दिन नौकरी करता है और थक कर आएगा तो घर में आराम करेगा कि वह खाना बनाएगा खाने बनाने का काम लड़कों का नहीं होता है बहू, लड़के तो बाहर काम करने के लिए होते हैं।

नम्रता ने भी अपनी सास को प्यार से ही जवाब दिया मां मुझे तो लगता है कि आप भी मुझे जो बेटाकहती हैं वह तो सिर्फ दिखावा ही है मैं भी तो नौकरी करती हूं मैं भी थक जाती हूं लेकिन फिर भी मैं घर का सारा काम करती हूं आपका बेटा नौकरी करता है तो मैं भी तो नौकरी करती हूं तो आखिर वह घर का काम क्यों नहीं कर सकता।  लड़कियों को पढ़ा लिखा कर समाज में बदलाव तो कर लिया लेकिन लड़कियों को अभी भी वो दर्जा नहीं मिला जो लड़कों को मिला है। अभी भी लड़कियां को यह माना जाता है कि वह नौकरी भी करें और घर का काम भी करें ऐसा क्यों? दुख की बात तो यही है माँ जी कि जितनी कोशिश लड़कियों के लिए समाज में बदलने की हो रही है अगर उसमें से थोड़ा सा भी प्रयास लड़कों को बदलने के लिए किया जाए तो समाज बिल्कुल ही बदल जाएगा मैं यह नहीं कह रही हूं लड़के हमेशा घर का काम करें लेकिन जब जरूरत पड़े तो वह अपने बीवी की मदद तो कर ही सकते हैं।

तभी नम्रता के ससुर जी ने तालियां बजाते हुए कहा बहु  तुमने सही कहा हमें अपनी यह सोच बदलने की जरूरत है कि लड़की नौकरी करे या न करे  लेकिन खाना वहीं बनाएंगी। अगर लड़के ने हेल्प कर दिया तो इसमें कोई बहुत बड़ा अपराध नहीं हो गया ।  

मैंने भी कई बार तुम्हारी सासू मां की हेल्प करने की कोशिश की लेकिन यह मुझे कभी भी किचन में घुसने  हीं नहीं देती थी, कहती थी कि लोग देखेंगे तो क्या सोचेंगे कि अपने पति से खाना बनवाती है अब जमाना बदल गया है।  अगर बेटा भी बहू के घर के कामों में हाथ बटाए तो इसमें बुरा क्या है इसी का नाम तो जिंदगी है जीवनसाथी का मतलब ही होता है सुख-दुख में साथ देना लेकिन यह जमाना कब समझेगा।

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