दामाद ससुराल मे रहे क्या ये अच्छा लगता है

श्वेता को मायके गए 3 साल से भी ज्यादा हो गए थे लेकिन इस बार गर्मी की छुट्टियों में वह जरूर जाएगी, उसने 1 मई को ही बच्चों के साथ अपना टिकट रिजर्वेशन करवा दिया था.   श्वेता सोच रही थी कि इस बार पूरे 15 दिन अपने मायके में रह कर आएगी क्योंकि 15 मई को श्वेता की ननद भी गर्मी की छुट्टियों में आने वाली थी।

30 अप्रैल को ही श्वेता ने अपनी सारी पैकिंग कर ली थी क्योंकि 1 मई को तो 4:00 बजे शाम को अहमदाबाद से लखनऊ की ट्रेन थी।  लेकिन यह क्या 1 मई को सुबह सुबह ही श्वेता की ननद पूरे परिवार को लेकर अचानक से आ पहुंची।

श्वेता  की ननद को देख कर यहां पर सब चौंक गए क्योंकि श्वेता की ननद  ने फोन पर भी नहीं किसी को बताया था कि वह यहां आ रही है। जब श्वेता की सास ने अपनी बेटी मीना से पूछा मीना तू तो 15 मई को आने वाली थी ना फिर अचानक से यह कैसे और ना कोई फोन ना कोई मैसेज अचानक से।  मीना ने कहा मां तुम्हारे दामाद की छुट्टी आज से ही मिल गई थी तो हमने सोचा अब 15 मई का इंतजार क्या करते हैं चले जाते हैं अपने मायके और फिर मैंने सोचा कि तुम सबको सरप्राइज दे देती हूं।

लेकिन मीना का सरप्राइज़ श्वेता के लिए सजा बजने वाला था।  मीना को तो पता ही था कि श्वेता आज अपने मायके जाने वाली है।  मीना ने अपनी मां से यानी कि श्वेता की सास से जाकर कहा, “मां भाभी को कह दो ना कि वह अभी अपने मायके नहीं जाए हम जब चले जाएंगे तब वह जाए, वह चली जाएंगी तो खाना कौन बनाएगा ससुराल में तो सब कुछ करना ही पड़ता है और मायके में भी आकर वही सब करें तो फिर फायदा क्या है मायके आने का।



श्वेता की सास ने कहा हां सही कह रही हो बेटी मैं अभी श्वेता से बोल देती हूं कि टिकट कैंसिल करा ले।

श्वेता की सास ने  श्वेता को बुलाया और कहां बहु अपना टिकट कैंसिल करवा लो जब मीना चली जाएगी अपने ससुराल तब तुम अपने मायके चली जाना।  श्वेता ने कहा अब टिकट कैंसिल नहीं हो सकता है आपको तो पता ही है कि 24 घंटे के अंदर अगर टिकट कैंसिल कराते हैं तो सारे पैसे बेकार हो जाते हैं थोड़े पैसे ही वापस मिलते हैं।  श्वेता के सास ने कहा कोई बात नहीं दुबारा से टिकट करा लेना, मेरी बेटी क्या दुबारा से आएगी पूरे साल में 15 दिन का तो इसे समय मिलता है मायके आने का। श्वेता चाह कर भी कुछ नहीं कर सकी।

श्वेता का पति  राजेश दोपहर में ही ऑफिस से घर आ गया है कि 4:00 बजे तो ट्रेन ही थी घर आया तो देखा कि उसकी बहन आई हुई है।  अपने कमरे में गया तो देखता है कि श्वेता रो रही है उसने जब पूछा कि क्या हो गया तो श्वेता ने सारी बात बताई।  सासु माँ जाने से मना कर रही हैं कह रही हैं टिकट कैंसिल करा दो 15 दिन बाद चले जाना। राजेश बोला मैं भी मां से बात करके आता हूं।

राजेश को देखते ही श्वेता की सास ने कहा  बेटा, टिकट कैंसिल करा लो तुम्हारी बहन आई है अब बहू चली जाएगी तो फिर उसे मायके आने का क्या सुख मिलेगा तुम्हें तो पता ही है कि मुझसे तो अब कुछ होता है नहीं, ठीक से चला भी नहीं जाता है। राजेश  बोला माँ लेकिन अभी अचानक से टिकट कैसे कैंसिल हो सकता है 4:00 बजे की ट्रेन है। श्वेता की सास बोली बेटा 15 दिन बाद बहू चली जाएगी तो कोई आफत नहीं आ जाएगी। राजेश भी अपनी मां के आगे कुछ कर नहीं पाता था।  राजेश अपने कमरे में आया और अपने बीवी से बोला यार तुम ही बताओ मैं क्या करूं मां से लड़ाई करो। जीजा जी और दीदी बाहर बैठी है उन्हें क्या सोचेंगे कि मैं यहां आई हूं तो यह अपने बीवी को मायके ले जाने के लिए लड़ाई कर रहा है।



कोई बात नहीं 15 दिन की ही तो बात है 15 दिन बाद चल चलेंगे।  श्वेता ने अपने पति राजेश से कहा हां सही कह रहे हो तुम मेरा पक्ष थोड़ी लोगे आखिर मेरा तुम्हारा रिश्ता ही क्या है तुम्हारी बहन से और तुम्हारी मां से तो तुम्हारे खून का रिश्ता है मैं होती कौन हो जो तुम्हें मेरा ख्याल होगा।   इस घर की नौकरानी जो ठहरी मेरा काम है बस सब की सेवा करना। मेरी अपनी खुद की जिंदगी तो है ही नहीं।

तभी श्वेता की मां का फोन आया बेटी घर से निकल गई तुम लोग, तुम्हारी ट्रेन राइट टाइम है ना, कल सुबह लखनऊ आने से एक  घंटा पहले फोन कर देना, तुम्हारा भाई तुम्हें स्टेशन लेने चले जाएगा। सरिता फोन पर ही रोने लगी और बोली मां अब हम नहीं आ रहे हैं।  यह कहकर फोन काट दिया।

श्वेता  की मां ने कई बार फोन किया लेकिन श्वेता गुस्से से फोन रिसीव नहीं कर रही थी  श्वेता की माँ ने अपने दामाद राजेश के पास फोन मिलाया और पूछा कि बात क्या है।  राजेश ने अपनी सास को सब कुछ बता दिया उसके बाद श्वेता की मां ने कहा कोई बात नहीं बेटा तुम 15 दिन बाद श्वेता को लेकर जरूर आना।

रोते रोते ही  श्वेता ने अपनी मां को व्हाट्सएप किया।

मां मैं कई दिनों से इंतजार कर रही थी माएके आकर तुम्हारे हाथों की कॉफी पियूंगी, कितने दिन बीत गए सुबह के 8:00 बजे तक सोते रहना,  मायके आऊंगी तो मैं 8:00 बजे तक सोंउगी फिर तुम मुझे जगाती रहोगी लेकिन फिर भी नहीं जागूंगी। लेकिन लगता है यह सब सिर्फ अब एक सपना बनकर रह गया है, लड़की की शादी होने के बाद यह सब उसकी जिंदगी से गायब हो जाता है वह सिर्फ एक ससुराल की दासी बनकर रह जाती है उसका अपना खुद का जीवन पता नहीं कहां खो जाता है।  सबको बहु से आस होता है लेकिन बहू के बारे में किसी को चिंता नहीं होती है।

श्वेता की मां ने व्हाट्सएप का जवाब दिया बेटी शादी होने के बाद एक लड़की का घर उसका ससुराल ही हो जाता है और किसी भी लड़की को पहले अपने ससुराल को प्राथमिकता देनी चाहिए और वह तुम भी करो, यही स्त्री का कर्तव्य होता है।



राजेश ने श्वेता की टिकट दोबारा से 15 मई को करा दिया था अब 15 मई का ट्रेन का इंतजार कर रही थी कि कैसे भी 15 दिन बीत जाए और वह अपने मायके चली जाए।  राजेश की जीजा सेना में नौकरी करते थे वैसे तो 1 महीने की छुट्टी लेकर आए थे लेकिन उनकी छुट्टी अचानक से रद्द हो गई और वह 10 मई को ही यहां से चले गए।

आखिर  इंतजार की घड़ी  समाप्त हुई और 15 मई आ ही गया है श्वेता अपने मायके के लिए तैयार होकर घर से निकलने लगी तभी श्वेता की सास ने राजेश से कहा बेटा बहू को पहुंचाकर परसों ही आ जाना 18 मई को तुम्हारी दीदी को भी पहुंचाने जाना होगा तुम्हें, क्योंकि जीजा तो है नहीं मीना अकेले कैसे जाएगी।

श्वेता सोच रही थी कि राजेश 15 दिन उसके मायके में ही रहेगा क्योंकि राजेश ने भी 15 दिन की छुट्टी ले रखी थी।  श्वेता ने कहा मम्मी जी सूरत यहां से दूरी कितना है ट्रेन में बैठकर दीदी आराम से चली जाएंगी। मैं सोच रही हूं राजेश साथ में मेरे वापस आए फिर एक बार दोबारा लेने जाएंगे मुझे।  

तभी श्वेता की सास ने  कहा, “बेटी दामाद को अपने ससुराल में ज्यादा दिन नहीं रहना चाहिए नहीं तो उसका मान खत्म हो जाता है, दामाद अपने ससुराल में जितना कम दिन में इतना अच्छा रहता है।  

मन तो कर रहा था की अपनी सास को जवाब दे दे कि जब जीजा जी इतने दिन से थे तब तो सबको अच्छा लग रहा था आखिर वह भी तो इस घर के दामाद थे लेकिन पता नहीं क्यों जब अपने बेटे की बारी आती है तो लगता है कि बेटा बीवी का गुलाम हो गया है और अपने ससुराल पर ज्यादा ध्यान देता है लेकिन वही सेम चीज अगर अपनी बेटी पर आती है तो फिर लोग इस चीज को भूल जाते हैं।  लेकिन श्वेता ने कुछ नहीं कहा वह मन मसोसकर रह गई।

राजेश श्वेता को उसके मायके पहुंचाकर वापस आ गया था 15 दिन बाद जब राजेश ने बोला कि मैं जा रहा हूं श्वेता को लेने के लिए तो श्वेता के सास ने कहा बहु कोई बच्ची नहीं है बोल दो अपने ससुराल वालों से उसको ट्रेन में बैठा देंगे कल  जाकर तुम स्टेशन से ले आना।

राजेश ने जब श्वेता को फोन पर बताया कि वह लेने नहीं आएगा वह तुम्हारा टिकट करा दे रहा है तुम अकेले अहमदाबाद आ जाओ मैं तुम्हें स्टेशन से ले लूंगा फोन सुनने के बाद श्वेता मन ही मन कह रही थी कि सच में कुछ भी हो जाए एक  एक बहू सास के लिए कभी भी बेटी नहीं बन सकती है, जो लगाव बेटी के लिए होता है बहू के लिए सास के मन में कभी नहीं हो सकता है यह तो बिल्कुल ही कटु सत्य है। बस इतना ही कहा श्वेता ने ठीक है मैं आ जाऊंगी।

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